देश / कोरोना वायरस की ऐसी पड़ी मार, देश के हर चौथे शख्स के सामने बेरोजगारी का संकट

कोरोना वायरस के संकट के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। जॉब डेटा के शुरुआती अनुमान के मुताबिक देश में 23.4 फीसदी यानी करीब एक चौथाई लोगों के सामने बेरोजगारी का संकट पैदा हो सकता है। यही नहीं शहरी क्षेत्रों में यह दर 30.9 पर्सेंट तक पहुंचने की आशंका है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के साप्ताहिक सर्वे में यह अनुमान जताया गया है।

Jansatta : Apr 07, 2020, 12:45 PM
Coronavirus in India: कोरोना वायरस के संकट के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। जॉब डेटा के शुरुआती अनुमान के मुताबिक देश में 23.4 फीसदी यानी करीब एक चौथाई लोगों के सामने बेरोजगारी का संकट पैदा हो सकता है। यही नहीं शहरी क्षेत्रों में यह दर 30.9 पर्सेंट तक पहुंचने की आशंका है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के साप्ताहिक सर्वे में यह अनुमान जताया गया है। 5 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह का यह डेटा सोमवार को संस्था की ओर से रिलीज किया गया था। CMIE का कहना है कि देश में मार्च के मध्य में बेरोजगारी की दर 8.4 पर्सेंट थी, जिसके अब 23 फीसदी तक बढ़ने की आशंका है।

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने कहा कि एक मोटे अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन के सिर्फ दो सप्ताह में ही 5 करोड़ लोग अपने रोजगार गंवा बैठे हैं। livemint की रिपोर्ट के मुताबिक सेन ने कहा कि अभी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो फिलहाल अपने गांवों की ओर चले गए हैं, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद असली आंकड़े सामने आएंगे, जो अनुमान से कहीं ज्यादा होंगे। भारत में इतने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की बड़ी यह भी है कि संगठित क्षेत्र की नौकरियों का अभाव है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु ने भी कहा कि कुछ ऐसे ही आंकड़ों का अनुमान लगाया जा सकता है।

भारत ही नहीं कोरोना वायरस के संकट के चलते दुनिया भर के कई अन्य बड़े देशों में भी लॉकडाउन के हालात हैं। यही नहीं उन देशों में भी बेरोजगारी की दर काफी अधिक बढ़ गई है। अमेरिका की ही बात करें तो बीते 15 दिनों में वहां 1 करोड़ लोगों ने बेरोजगार होने का दावा किया है। हिमांशु ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आखिर लॉकडाउन खुलने के बाद क्या होगा। मेरा अनुमान है कि बेरोजगारी की दर अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकती है।

बता दें कि देश में करीब एक-तिहाई वर्कफोर्स असंगठित क्षेत्र में काम करती है। किसी भी तरह के आर्थिक संकट में यही वर्ग सबसे पहले और सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि कमाई कम होने से लोग अपने खर्च में कटौती करेंगे और फिर लंबे समय के लिए अर्थव्यवस्था पर मंदी का यह असर दिखने वाला है।