कोरोना वायरस / वुहान लैब में एक इंटर्न से लीक हुआ कोरोना वायरस? जानें इस बात में कितनी है सच्चाई

कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में हहाकार मचा हुआ है। लेकिन जिस देश में इसकी शुरूआत हुई यानी कि चीन, वो इससे लगभग उबर चुका है। अब पूरा विश्व यहां तक कि सुपर पावर अमेरिका भी चीन की तरफ संदेह भरी नजरों से देख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को पहले ही परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं।

Zee News : Apr 20, 2020, 09:30 AM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरी दुनिया में हहाकार मचा हुआ है। लेकिन जिस देश में इसकी शुरूआत हुई यानी कि चीन, वो इससे लगभग उबर चुका है। अब पूरा विश्व यहां तक कि सुपर पावर अमेरिका (America) भी चीन की तरफ संदेह भरी नजरों से देख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चीन को पहले ही परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं। अब एक वैज्ञानिक के दावों से एक नए विवाद ने जन्म ले लिया है। दरअसल, फ्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कहा है कि कोरोना वायरस एक लैब से आया है। 

उन्होंने कहा है कि SARS-CoV-2 वायरस एक लैब से आया है, और यह एड्स वायरस के लिए बनाई जा रही वैक्सीन के निर्माण के प्रयास का परिणाम है। एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि "वुहान शहर की प्रयोगशाला को 2000 के दशक के शुरुआत से ही कोरोन वायरस पर विशेषज्ञता हासिल है। वो इस क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं।''

पिछले काफी समय से इस बात पर चर्चा हो रही है कि Covid -19 वायरस एक लैब से निकला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर रहे एक इंटर्न द्वारा गलती से लीक हो गया होगा।

फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि हालांकि वायरस चमगादड़ों के बीच स्वाभाविक रूप से पाया जाता है, और ये कोई जैविक हथियार नहीं है। लेकिन वुहान प्रयोगशाला में इसका अध्ययन किया जा रहा था।

न्यूज चैनल ने कहा कि वायरस का प्रारंभिक प्रसार चमगादड़ से मनुष्यों में था, उन्होंने यह भी बताया कि 'पेशेंट जीरो' प्रयोगशाला में ही काम करता था। लैब का यह कर्मचारी गलती से संक्रमित हो गया और वुहान की लैब के बाहर आम लोग संक्रमित हो गए।

प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर को उनके सहयोगी प्रोफेसर फ्रानकोइस बर्रे-सिनौसी के साथ एड्स के वायरस की पहचान के लिए मेडिसिन में 2008 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

हालांकि उनके सहयोगी और वैज्ञानिक कोरोना वायरस पर उनके इस नए दावे की आलोचना कर रहे हैं। जुआन कार्लोस गैबल्डन ने ट्वीट किया, "अगर आप नहीं जानते तो बता दूं कि टीकाकरण के विरोधी होने और होम्योपैथी की बेतुकी तरफदारी करने के चलते डॉ। मॉन्टैग्नियर पिछले कुछ सालों से काफी आलोचनाएं झेल रहे हैं। वे जो भी कहते हैं, उनकी बातों पर यकीन न करें।"