AajTak : Apr 03, 2020, 03:35 PM
भारत में कोरोना वायरस सबसे ज्यादा युवा और कामकाजी आबादी को अपनी चपेट में ले रहा है। इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने कोरोना वायरस के कन्फर्म 1,801 मामलों के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।
आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी कोरोना वायरस के निशाने पर है। अभी तक इसकी चपेट में आए लोगों में से 60 फीसदी की उम्र 50 साल से कम है। आंकड़े के मुताबिक, 1,801 कन्फर्म केसों में से 391 यानी 22 फीसदी मरीजों की उम्र 30 से 39 साल के बीच है। इसके बाद 376 यानी 21 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच है, जबकि 17 फीसदी संक्रमित लोगों की उम्र 40 से 49 साल के बीच है।
इसके पहले अन्य देशों जैसे चीन और इटली से आने वाली रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस से प्रभावित होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या वृद्ध लोगों की है। लेकिन भारत में कुल कन्फर्म केसों में से 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वाले मरीजों संख्या सिर्फ 19 फीसदी है और 80 साल से ऊपर की उम्र वाले मात्र 2 फीसदी लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं।
एक अप्रैल तक 3 फीसदी यानी 46 केस ऐसे सामने आए थे जिसमें संक्रमित मरीज की उम्र 10 साल से कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा लोग अब तक सोच रहे थे कि वे इस रोग से कम प्रभावित होंगे, लेकिन वे गंभीर बीमार पड़ सकते हैं और मौत भी हो सकती है।
इन्फ्लूएंजा वायरस विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क में ट्रूडो इंस्टीट्यूट में प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ प्रिया लूथरा ने इंडिया टुडे से कहा, "यहां हम देख सकते हैं कि भारत में अचानक कितने मामले सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले यानी बुजुर्गों की आबादी को इस बीमारी से प्रभावित होने का सबसे ज्यादा गंभीर खतरा है। हालांकि, यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है। इस वायरस से जुड़ी बारीकियों में से एक बात यह है कि किसी व्यक्ति में यह संक्रमण बहुत हल्का हो सकता है, जहां संक्रमण के कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखते, लेकिन फिर भी वह व्यक्ति इस वायरस का वाहक बन सकता है और उस व्यक्ति से यह दूसरे व्यक्ति में पहुंच सकता है। इसलिए हर किसी को सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी चाहिए और हाथ साफ रखने के नियमों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है।”जितने मामले अभी तक सामने आए हैं, उनमें उम्र के साथ-साथ लैंगिक तौर पर भी अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। आंकड़ों के मुताबिक, 1,801 मामलों में से 73 फीसदी पुरुष हैं जबकि महिलाएं सिर्फ 27 प्रतिशत हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं के मामले में ज्यादातर की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। 2 अप्रैल तक इस आयुवर्ग की 110 महिलाओं में संक्रमण की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शुरुआत में युवाओं की तुलना में वृद्ध लोगों में मृत्यु दर अधिक हो सकती है। लेकिन युवा आयु का होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति खतरे से बाहर है।डॉ लूथरा ने कहा, “हो सकता है कि गंभीर और जानलेवा मामलों की दर वैसी न हो, जैसी बुजुर्ग आबादी के बीच है, लेकिन आंकड़े पहले से ही दिखा रहे हैं कि सिर्फ कम उम्र आपको अजेय नहीं बना सकती। एक बात का ध्यान रखें कि यह उम्र से तय नहीं होता कि किसके साथ संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है और किसके साथ कम। इटली, स्पेन और अमेरिका से जो नये आंकड़े आ रहे हैं, वे दिखाते हैं कि किशोरों की तुलना में वयस्कों को अस्पताल में भर्ती कराने दर ज्यादा है और तुलनात्मक रूप से उनमें से ज्यादातर को आईसीयू की जरूरत पड़ रही है। मृत्यु दर अभी कम है, लेकिन मौतें हो रही हैं। इसलिए मैं कहूंगी कि अगर भारत और ज्यादा जांच करनी शुरू कर दे तो यहां भी हमें वैसा ही ट्रेंड देखने को मिल सकता
आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी कोरोना वायरस के निशाने पर है। अभी तक इसकी चपेट में आए लोगों में से 60 फीसदी की उम्र 50 साल से कम है। आंकड़े के मुताबिक, 1,801 कन्फर्म केसों में से 391 यानी 22 फीसदी मरीजों की उम्र 30 से 39 साल के बीच है। इसके बाद 376 यानी 21 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच है, जबकि 17 फीसदी संक्रमित लोगों की उम्र 40 से 49 साल के बीच है।
इसके पहले अन्य देशों जैसे चीन और इटली से आने वाली रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस से प्रभावित होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या वृद्ध लोगों की है। लेकिन भारत में कुल कन्फर्म केसों में से 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वाले मरीजों संख्या सिर्फ 19 फीसदी है और 80 साल से ऊपर की उम्र वाले मात्र 2 फीसदी लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं।
एक अप्रैल तक 3 फीसदी यानी 46 केस ऐसे सामने आए थे जिसमें संक्रमित मरीज की उम्र 10 साल से कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि युवा लोग अब तक सोच रहे थे कि वे इस रोग से कम प्रभावित होंगे, लेकिन वे गंभीर बीमार पड़ सकते हैं और मौत भी हो सकती है।
इन्फ्लूएंजा वायरस विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क में ट्रूडो इंस्टीट्यूट में प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ प्रिया लूथरा ने इंडिया टुडे से कहा, "यहां हम देख सकते हैं कि भारत में अचानक कितने मामले सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले यानी बुजुर्गों की आबादी को इस बीमारी से प्रभावित होने का सबसे ज्यादा गंभीर खतरा है। हालांकि, यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है। इस वायरस से जुड़ी बारीकियों में से एक बात यह है कि किसी व्यक्ति में यह संक्रमण बहुत हल्का हो सकता है, जहां संक्रमण के कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखते, लेकिन फिर भी वह व्यक्ति इस वायरस का वाहक बन सकता है और उस व्यक्ति से यह दूसरे व्यक्ति में पहुंच सकता है। इसलिए हर किसी को सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी चाहिए और हाथ साफ रखने के नियमों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है।”जितने मामले अभी तक सामने आए हैं, उनमें उम्र के साथ-साथ लैंगिक तौर पर भी अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। आंकड़ों के मुताबिक, 1,801 मामलों में से 73 फीसदी पुरुष हैं जबकि महिलाएं सिर्फ 27 प्रतिशत हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं के मामले में ज्यादातर की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। 2 अप्रैल तक इस आयुवर्ग की 110 महिलाओं में संक्रमण की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शुरुआत में युवाओं की तुलना में वृद्ध लोगों में मृत्यु दर अधिक हो सकती है। लेकिन युवा आयु का होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति खतरे से बाहर है।डॉ लूथरा ने कहा, “हो सकता है कि गंभीर और जानलेवा मामलों की दर वैसी न हो, जैसी बुजुर्ग आबादी के बीच है, लेकिन आंकड़े पहले से ही दिखा रहे हैं कि सिर्फ कम उम्र आपको अजेय नहीं बना सकती। एक बात का ध्यान रखें कि यह उम्र से तय नहीं होता कि किसके साथ संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है और किसके साथ कम। इटली, स्पेन और अमेरिका से जो नये आंकड़े आ रहे हैं, वे दिखाते हैं कि किशोरों की तुलना में वयस्कों को अस्पताल में भर्ती कराने दर ज्यादा है और तुलनात्मक रूप से उनमें से ज्यादातर को आईसीयू की जरूरत पड़ रही है। मृत्यु दर अभी कम है, लेकिन मौतें हो रही हैं। इसलिए मैं कहूंगी कि अगर भारत और ज्यादा जांच करनी शुरू कर दे तो यहां भी हमें वैसा ही ट्रेंड देखने को मिल सकता