दावा / चीन नहीं यूरोप में था कोरोना का पहला मरीज, नवंबर में सामने आया था पहला केस

News18 : Jun 01, 2020, 11:52 AM
पेरिस। फ्रांस (France) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि यूरोप में पहला कोरोना वायरस (Coronavirus) के केस 16 नवंबर 2019 को ही सामने आ गया था। उत्तर-पूर्व फ्रांस के एक अस्पताल ने नवंबर से दिसंबर के बीच अस्पताल में फ्लू की शिकायत लेकर आए 2500 से ज्यादा लोगों की एक्स-रे रिपोर्ट का अध्ययन किया है। सिर्फ नवंबर में ही दो एक्सरे रिपोर्ट ऐसी हैं जिनमें कोरोना वायरस (Covid-19) की स्पष्ट पुष्टि हुई है, हालांकि उस दौरान डॉक्टर्स को इसकी जानकारी नहीं थी।

उत्तर-पूर्व फ्रांस के कॉलमार में स्थित अल्बर्ट श्वित्जर अस्पताल के डॉक्टर माइकल श्मिट की टीम ने दावा किया है कि अभी तक जिन्हें यूरोप के देशों में केस जीरो माना जा रहा है वो सभी गलत साबित हो सकते हैं। इस टीम में दावा किया है कि हो सकता है कि चीन में कोरोना का पहला मामला सामने ही न आया हो, क्योंकि ये संक्रमण नवंबर मध्य तक तो यूरोप में दस्तक दे चुका था। डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस अस्पताल में 16 नवंबर को एक व्यक्ति का एक्सरे किया गया था जिसकी रिपोर्ट देखकर स्पष्ट होता है कि उसे कोरोना संक्रमण था। इसी व्यक्ति का अगले दिन भी एक एक्सरे कराया गया था जिसमें फिर से इस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं।

नंवबर-दिसंबर की 2500 एक्सरे रिपोर्ट की जांच की

बता दें कि फ्रांस ने 24 जनवरी को देश में पहले कोरोना संक्रमण के मामले की पुष्टि की थी। हालांकि इस टीम के दावे के मुतबिक पहल केस 16 नवंबर को सामने आया। डॉक्टर माइकल श्मिट के मुताबिक सिर्फ फ्रांस ही नहीं यूरोप के ज्यादातर देशों में और अमेरिका में भी ये सामने आया है कि 'केस जीरो' जिसे माना जा रहा था वो असल में जीरो पेशेंट नहीं था और इसी के चलते कई सारे मामले ट्रैक नहीं हुए और अनजाने क्लस्टर बन गए। इस टीम के मुताबिक दिसंबर के हुए एक्सरे की जांच में सामने आया कि कुल 12 लोग ऐसे थे जिनमें कोरोना संक्रमण के स्पष्ट लक्षण नज़र आ रहे थे।

अन्य डॉक्टर्स ने भी कहा- सही हो सकता है दावा

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन में ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर विन गुप्ता ने भी इस दावे की और इन एक्सरे की जांच की है। डॉक्टर विन के मुताबिक एक्सरे में जो फेफड़े नज़र आ रहे हैं उनमें वो असामान्यता नज़र आ रही है जो कोरोना संक्रमण से होती है, हालांकि सभी एक्सरे में ऐसा नहीं है। ये टीम अब अक्टूबर में किये गए एक्सरे की जांच भी कर रही है जिससे असल जीरो पेशेंट तक पहुंचा जा सके। डॉक्टर माइकल श्मिट ने NBC से बातचीत में कहा- हम जब तक पहले मामले तक नहीं पहुंचेंगे तब तक हम इस संक्रमण से एक कदम पीछे ही रहेंगे, हमें ये नहीं अत चल पाएगा कि ये कहां से आया और इसे कैसे रोके। अगर हमारा दावा सही है तो ये देशों की कोरोना संक्रमण के खिलाफ अपने जा रही नीतियों को पूरी तरह बदल देगा।

बता दें कि फ्रांस के ही डॉक्टर युव्स कोहेन दावा किया था कि पेरिस के इले-दे-फ्रांस अस्पताल में भी 27 दिसंबर को ही संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि हो गयी है। डॉक्टर कोहेन की टीम ने भी दिसंबर और नवंबर के 24 मरीजों की रिपोर्ट्स की जांच की थी जिनमें कोरोना के लक्षण पाए गए थे। कोहेन का कहना है कि कुछ ऐसे क्लस्टर पाए गए थे जिनके सोर्स का पता नहीं चल रहा था और अब इन मामलों के जरिए साड़ी कड़ियां आपस में जुड़ती नज़र आ रहीं हैं। डॉक्टर कोहेन की टीम ने इन 24 मरीजों को भी कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया है।

चीन में 17 नवंबर को मिला पहला केस

चीन में कोरोना वायरस का पहला मरीज 17 नवंबर को मिला था। चीन की एक वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक सरकारी दस्तावेज में उस मरीज का रिकॉर्ड दर्ज है। चीनी प्रशासन ने ऐसे 266 संदिग्ध कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की पहचान की है, जिन्हें ये बीमारी पिछले साल लगी थी। कोरोना वायरस को लेकर व्हिसल ब्लोअर्स का काम करने वाले कुछ लोगों से बातचीत की गई है। उन्होंने इंटरव्यू में बताया है कि दिसंबर के आखिर में जाकर चीन के डॉक्टर ये पता लगा पाए कि ये नई तरह की बीमारी है। 27 दिसंबर को हुबेई प्रांत के एक हॉस्पिटल के डॉक्टर झांग जिक्सियन ने पहली बार चीनी प्रशासन को बताया कि एक नए तरह के कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है। उस वक्त तक करीब 180 संक्रमित मरीज सामने आ चुके थे। 31 दिसंबर को चीन ने कोरोना संक्रमण फैलने की आधिकारिक घोषणा की थी।

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