देश / डॉक्टरों पर कोरोना का कहर, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मौतें, IMA ने जाहिर की चिंता

NavBharat Times : Aug 09, 2020, 04:11 PM
नई दिल्ली: कोरोना से लड़ाई में डॉक्टरों का योगदान बेहद अहम है, इसमें कोई शक नहीं है। दुख की बात यह है कि कोरोना से लड़ते-लड़ते अकसर डॉक्टरों की भी जान चली जाती है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) ने इसपर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। यअब तक देश में कोरोना से लगभग 200 डॉक्टरों की मौत हो गई। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 43 डॉक्टरों की मौत हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात में 23-23 मौतें हुई हैं। दिल्ली में भी 12 डॉक्टरों की जान चली गई।

डॉक्टरों की मौत पर ध्यान दिलाते हुए IMA ने लिखा, 'आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में कोरोना ने 196 डॉक्टरों की जान ले ली। इनमे से 170 की उम्र 50 साल से ज्यादा थी और 40 प्रतिशत डॉक्टर जनरल प्रैक्टिशनर थे।'

IMA ने कहा कि डॉक्टर कोरोना का इलाज करते-करते खुद इसके शिकार हो जाते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि इससे हेल्थकेयर कम्युनिटी पर गलत असर पड़ेगा जो कोरोना आगे आकर सामना कर रही है। पत्र में कहा गया है कि डॉक्टरों को भी बेड और दवाएँ नहीं उपलब्ध हो पा रही हैं। इससे डॉक्टरों का मनोबल गिर रहा है। असोसिएशन ने कहा कि दिल्ली में कोरोना से 12 डॉक्टरों की मौत हो गई। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत तमिलनाडु में हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात का नंबर है।

असोसिएशन ने कहा कि कोरोना का पहला शिकार जनरल प्रैक्टिशनर बन रहे हैं। उनके संपर्क में ऐसे मरीज अकसर आते हैं जिन्हें सर्दी जुकाम या बुखार की शिकायत होती है। जाने-अंजाने वे संक्रमित हो जाते हैं। IMA ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि डॉक्टरों को पर्याप्त मात्रा में चिकित्सकीय उपकरण और दवाएं उपलब्ध करवाई जाएं। इसके अलावा डॉक्टरों और उनके परिवार को लाइफ इंश्योरेंस की सुविधाएं बढ़ाने की मांग की गई है।

IMA ने कहा कि देशभर में 3.5 लाख डॉक्टर हैं जो कि लोगों के घर तक भी इलाज पहुंचाते हैं। पत्र में कहा गया है कि कोरोना से सभी को बराबर खतरा है। यह सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर में भेदभाव नहीं करता है। IMA के सेक्रटरी आरवी अशोकन ने कहा, कोरोना की वजह से डॉक्टरों की मृत्यु दर खतरनाक स्थिति तक पहुंच गई है।


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