News18 : Apr 30, 2020, 05:17 PM
कोरोना वायरस (coronavirus) को फैले लगभग 5 महीने हो चुके हैं। इस बीच भी वैज्ञानिक वायरस के बारे में खास जानकारी नहीं जुटा सके हैं। असरदार दवा या टीके (vaccine of corona) की खोज पर काम चल ही रहा है। ऐसे में चमगादड़ों पर रिसर्च (research on bats) कर रहे एक अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक (Peter Daszak) का कहना है कि जिससे वायरस मिला, उससे इलाज भी हो सकता है।
कौन हैं पीटर डेसजैक
ये एक वायरस हंटर हैं जो जगह-जगह जाकर चमगादड़ों में मिलने वाले वायरस पर काम कर रहे हैं। एक संस्था इकोहेल्थ अलायंस के तहत 10 सालों से इसपर काम करे रहे पीटर अबतक 20 देशों में सैंपल इकट्ठा करने जा चुके हैं। पीटर खुद बताते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस फैमिली के 15 हजार से ज्यादा नमूने जमा किए, जिनमें से 500 सैंपल न्यू कोरोना वायरस से जुड़े पाए गए। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा।फैला हुआ है कई देशों में वाइरस हंटर बतौर काम करने वाले पीटर अकेले शख्स नहीं हैं, बल्कि उन्हें कई संस्थाओं का सहयोग है, जो ये पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि भविष्य में कौन सा वायरस इंसानों पर हमला बोल सकता है। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं शामिल हैं। सिर्फ चमगादड़ों से फैलने वाले वायरस पर शोध के लिए एशिया और अफ्रीका में इनके 60 लैब काम कर रहे हैं।
चीन के इस हिस्से में बहुतायत मेंचमगादड़ों में इंसानों के लिए खतरनाक होने वाले वायरस की खोज करने के लिए पीटर ने चीन के युन्नान (Yunnan) प्रांत पर फोकस किया। ये इलाका चूने पत्थर वाली पहाड़ियों से घिरा होने की वजह से यहां काफी चमगादड़ पाए जाते हैं। वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित करते हैं। पीटर बताते हैं कि चीन से सार्स बीमारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों का इस जगह पर ध्यान गया लेकिन अब दिख रहा है कि चमगादड़ों में सैकड़ों ऐसे वायरस होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं।
कैसे मिला चमगादड़ों से इलाज का आइडियाचीन के युन्नान प्रांत के एक शहर Jinning में काम के दौरान वहां के लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। जांच के नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीटर की टीम ने देखा कि वहां रहने वाले लोगों में 3 प्रतिशत के शरीर में वे सारी एंटीबॉडीज थीं, जो सिर्फ चमगादड़ों में होती हैं। यानी वे पहले ही वायरस से एक्सपोज हो चुके हैं और उनका शरीर इससे होने वाली बीमारियों के लिए इम्यून हो चुका है।
बनाई है कोरोनावायरस लाइब्रेरीपीटर और टीम सबसे पहले सैंपल लेते हैं, उसे लिक्विड नाइट्रोजन में पैक करते हैं और फिर उनकी जांच के लिए लैब में भेज देते हैं। लेकिन काम यहीं खत्म नहीं होता। इसके बाद आता है सैंपल के नतीजों को एक जगह जमा करने का काम ताकि दवा या टीका तैयार करने वाले वैज्ञानिकों को प्री-क्लिनिकल रिसर्च में मदद मिल सके। अगर वायरस नया है तो ये जांचने की कोशिश की जाती है कि कितने दिनों में वो इंसानों पर हमला कर सकता है। अब तक न्यूमोनिया पैदा करने वाले आधे से भी कम वायरसों की पहचान हो सकी है इसलिए वायरस हंटर का काम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा
हो सकता है इलाज
कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद Wuhan Institute of Virology ने तुरंत इस लाइब्रेरी के डाटाबेस को खंगाला। यहीं पता चला कि युन्नान में साल 2013 में ही ये वायरस देखा जा चुका है। दोनों वायरसों में 96।2% समानताएं दिखीं। वायरस का ओरिजिन पता लगाने पर टीके की खोज आसान हो जाती है। अब पीटर का दावा है कि चमगादड़ों के शरीर में पाए जाने वाली एंटीबॉडी से कोरोना वायरस का इलाज हो सकेगा। Duke-NUS में वायरोलॉजिस्ट वैंग लिंफा भी इससे सहमत हैं। उनके अनुसार चमगादड़ों से जो खून के नमूने लिए गए, उनमें काफी मात्रा में एंटीबॉडी दिखी। ये जाहिर तौर पर कोरोना वायरस से एक्सपोज होने पर बनी होंगी। इसके आधार पर कोविड-19 के लिए टीका तैयार हो सकता है।
अगली बीमारी का पूर्वानुमानइसके साथ ही वैज्ञानिक चमगादड़ों के जरिए ये समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में कोरोना जैसी कोई महामारी दोबारा हमला कर सकती है! इससे बचाव के लिए भी कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है। जैसे जिन इलाकों में चमगादड़ ज्यादा होते हैं, आबादी को वहां से दूर करने की कोशिश। केन्या में लोगों को अपने घरों में वेंटिलेशन के लिए बने छोटे-छोटे झरोखों को बंद करने या उसपर जाली जैसा कुछ लगाने की सलाह दी जा रही है ताकि चमगादड़ भीतर न आ सकें।बता दें कि उड़ने वाला स्तनधारी होने की वजह से वे काफी ज्यादा पैथोजन्स के संपर्क में आते हैं। हालांकि मजबूत इम्यून सिस्टम इससे लड़ने में उनकी मदद करता है। यही वजह है कि चमगादड़ों में ज्यादातर पशुओं की बजाए वायरल लोड काफी ज्यादा होता है।
कौन हैं पीटर डेसजैक
ये एक वायरस हंटर हैं जो जगह-जगह जाकर चमगादड़ों में मिलने वाले वायरस पर काम कर रहे हैं। एक संस्था इकोहेल्थ अलायंस के तहत 10 सालों से इसपर काम करे रहे पीटर अबतक 20 देशों में सैंपल इकट्ठा करने जा चुके हैं। पीटर खुद बताते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस फैमिली के 15 हजार से ज्यादा नमूने जमा किए, जिनमें से 500 सैंपल न्यू कोरोना वायरस से जुड़े पाए गए। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा।फैला हुआ है कई देशों में वाइरस हंटर बतौर काम करने वाले पीटर अकेले शख्स नहीं हैं, बल्कि उन्हें कई संस्थाओं का सहयोग है, जो ये पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि भविष्य में कौन सा वायरस इंसानों पर हमला बोल सकता है। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं शामिल हैं। सिर्फ चमगादड़ों से फैलने वाले वायरस पर शोध के लिए एशिया और अफ्रीका में इनके 60 लैब काम कर रहे हैं।
चीन के इस हिस्से में बहुतायत मेंचमगादड़ों में इंसानों के लिए खतरनाक होने वाले वायरस की खोज करने के लिए पीटर ने चीन के युन्नान (Yunnan) प्रांत पर फोकस किया। ये इलाका चूने पत्थर वाली पहाड़ियों से घिरा होने की वजह से यहां काफी चमगादड़ पाए जाते हैं। वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित करते हैं। पीटर बताते हैं कि चीन से सार्स बीमारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों का इस जगह पर ध्यान गया लेकिन अब दिख रहा है कि चमगादड़ों में सैकड़ों ऐसे वायरस होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं।
कैसे मिला चमगादड़ों से इलाज का आइडियाचीन के युन्नान प्रांत के एक शहर Jinning में काम के दौरान वहां के लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। जांच के नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीटर की टीम ने देखा कि वहां रहने वाले लोगों में 3 प्रतिशत के शरीर में वे सारी एंटीबॉडीज थीं, जो सिर्फ चमगादड़ों में होती हैं। यानी वे पहले ही वायरस से एक्सपोज हो चुके हैं और उनका शरीर इससे होने वाली बीमारियों के लिए इम्यून हो चुका है।
बनाई है कोरोनावायरस लाइब्रेरीपीटर और टीम सबसे पहले सैंपल लेते हैं, उसे लिक्विड नाइट्रोजन में पैक करते हैं और फिर उनकी जांच के लिए लैब में भेज देते हैं। लेकिन काम यहीं खत्म नहीं होता। इसके बाद आता है सैंपल के नतीजों को एक जगह जमा करने का काम ताकि दवा या टीका तैयार करने वाले वैज्ञानिकों को प्री-क्लिनिकल रिसर्च में मदद मिल सके। अगर वायरस नया है तो ये जांचने की कोशिश की जाती है कि कितने दिनों में वो इंसानों पर हमला कर सकता है। अब तक न्यूमोनिया पैदा करने वाले आधे से भी कम वायरसों की पहचान हो सकी है इसलिए वायरस हंटर का काम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा
हो सकता है इलाज
कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद Wuhan Institute of Virology ने तुरंत इस लाइब्रेरी के डाटाबेस को खंगाला। यहीं पता चला कि युन्नान में साल 2013 में ही ये वायरस देखा जा चुका है। दोनों वायरसों में 96।2% समानताएं दिखीं। वायरस का ओरिजिन पता लगाने पर टीके की खोज आसान हो जाती है। अब पीटर का दावा है कि चमगादड़ों के शरीर में पाए जाने वाली एंटीबॉडी से कोरोना वायरस का इलाज हो सकेगा। Duke-NUS में वायरोलॉजिस्ट वैंग लिंफा भी इससे सहमत हैं। उनके अनुसार चमगादड़ों से जो खून के नमूने लिए गए, उनमें काफी मात्रा में एंटीबॉडी दिखी। ये जाहिर तौर पर कोरोना वायरस से एक्सपोज होने पर बनी होंगी। इसके आधार पर कोविड-19 के लिए टीका तैयार हो सकता है।
अगली बीमारी का पूर्वानुमानइसके साथ ही वैज्ञानिक चमगादड़ों के जरिए ये समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में कोरोना जैसी कोई महामारी दोबारा हमला कर सकती है! इससे बचाव के लिए भी कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है। जैसे जिन इलाकों में चमगादड़ ज्यादा होते हैं, आबादी को वहां से दूर करने की कोशिश। केन्या में लोगों को अपने घरों में वेंटिलेशन के लिए बने छोटे-छोटे झरोखों को बंद करने या उसपर जाली जैसा कुछ लगाने की सलाह दी जा रही है ताकि चमगादड़ भीतर न आ सकें।बता दें कि उड़ने वाला स्तनधारी होने की वजह से वे काफी ज्यादा पैथोजन्स के संपर्क में आते हैं। हालांकि मजबूत इम्यून सिस्टम इससे लड़ने में उनकी मदद करता है। यही वजह है कि चमगादड़ों में ज्यादातर पशुओं की बजाए वायरल लोड काफी ज्यादा होता है।