Coronavirus / क्या अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक महीने तक रहती हैं शरीर में एंटी बॉडीज?

ABP News : Sep 13, 2020, 08:01 AM
Coronavirus: गंभीर रूप से कोरोना वायरस मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक महीने के अंदर इम्युनिटी के निशान तेजी से गायब हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया है कि वायरस के खिलाफ ब्लड में विकसित होने वाले एंटी बॉडीज एक बार मरीज के ठीक होने के बाद तेजी से कम पाए गए।

एंटी बॉडीज एक महीने तक रह सकती हैं

चीन में नानजिंग यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने दो ग्रुप के कोविड-19 मरीजों की निगरानी की। उनमें से सात गंभीर रूप से मरीज थे जबकि 19 कोविड-19 के मामूली मरीज थे। उन्होंने एक महीने और तीन सप्ताह तक उनके एंटी बॉडीज रिस्पॉंस के बढ़ने का पता लगा लगाया। इस दौरान उन्होंने पाया कि मरीजों में अलग-अलग लेवल के एंटी बॉडीज रिस्पॉंस थे। जबकि बहुत कम लोगों में प्रभावी लेवल के वायरस खत्म करने की क्षमता पाई गई। हालांकि वैज्ञानिकों ने ये नहीं बताया कि कितने लोगों में ये क्षमता थी। शोध से संकेत मिला कि अस्पताल से डिस्चार्ज के 3-4 सप्ताह बाद ठीक हुए मरीजों से एंटी बॉडीज खत्म होने का सिलसिला न के बराबर हो गया।

नया खुलासा इस लिहाज से चिंताजनक है कि कोविड-19 के खिलाफ शरीर को इम्युनिटी मिलने की उम्मीद जताई जाती है। इसलिए ज्यादातर लोगों को बीमारी के खिलाफ एंटी बॉडीज के निशान दिखने के बाद अस्पताल से घर भेज दिया जाता है। चीन के शोधकर्ताओं ने बताया गया कि 81 फीसद मरीजों में एंटी बॉडीज पाई गई मगर उनमें से कुछ लोगों में ही वायरस खत्म करने की क्षमता थी। वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत मिले हैं जिससे पता चलता है कि शरीर वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है। लेकिन 'विश्वसनीय' मामलों की बढ़ती हुई संख्या के दोबारा संक्रमित होने का भी खुलासा हुआ है।

डिस्चार्ज होने के चार में कोशिकाओं में कमी

अगर शरीर लंबे समय तक एंटी बॉडीज नहीं बहाल रख सकता तो इसका मतलब हुआ कि वैक्सीन हमेशा के लिए सुरक्षा नहीं दे सकती। जबकि दुनिया भर के राजनेता और वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं वैक्सीन सुरक्षित साबित होगी। शोधकर्ताओं ने लिखा, कोरोना वायरस से एंटी बॉडी रिस्पॉंस का विकास उजागर होना शुरू हो गया मगर पकड़ में आना मुश्किल है। पहले के कई शोध में बताया गया है कि बीमारी से ग्रसित होने के बाद एंटी बॉडीज महीनों रह सकती है। जबकि दूसरे शेध में पता चला है कि लोगों में इम्युनिटी का निर्माण बमुश्किल ही होता है। वैज्ञानिक इस बात पर भी एकमत नहीं है कि क्या बीमारी की गंभीरता कोई भूमिका निभाती है।

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