देश / कोरोना संकट में बेरोजगार हुए कामगारों को आधी सैलरी देगी सरकार, जानें नियम और शर्तें

AMAR UJALA : Aug 21, 2020, 01:37 PM
नई दिल्ली | सरकार ने कोरोना संकट में बेरोजगार हुए औद्योगिक कामगारों को राहत दी है। ऐसे कर्मचारियों को उनके पिछले तीन महीने के वेतन के औसत के करीब 50 फीसदी तक की रकम बेरोजगारी हितलाभ के रूप में दी जाएगी। इस फैसले का लाभ लगभग 40 लाख कामगारों को होने की उम्मीद है।

सरकार ने नियमों को लचीला बनाते हुए यह फैसला लिया है कि कोरोना संकट में नौकरी गंवा चुके औद्योगिक कामगारों को उनके तीन महीने के वेतन का 50 फीसदी तक बेरोजगारी हितलाभ के तौर पर दिया जाए। यह फायदा केवल उन कामगारों को मिलेगा जिन्होंने 24 मार्च से 31 दिसंबर 2020 के बीच अपनी नौकरी गंवाई है या गंवाएंगे।

ईएसआईसी की बैठक में रखा गया प्रस्ताव

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था। ईएसआईसी श्रम मंत्रालय के तहत आने वाला एक संगठन है जो कर्मचारियों को ईएसआई योजना के तहत 21,00 रुपये का बीमा मुहैया कराता है।

ये हैं प्रमुख शर्तें

इस योजना का फायदा केवल उन्हीं कामगारों को मिलेगा जो ईएसआई के साथ कम से कम पिछले दो सालों से जुड़े हुए हैं। यानी केवल उन्हीं कामगारों को इसका फायदा मिल सकेगा जो एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2020 तक इस योजना से जुड़े रहे। इस दौरान एक अक्तूबर 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच कम से कम 78 दिनों का कामकाज जरूरी है।

इस तरह से मिलेगा फायदा

ईएसआईसी अपने डाटा के अनुसार बेरोजगार कामगारों को इस योजना का फायदा देगा। कामगार ईएसआईसी की किसी भी शाखा में जाकर सीधे आवेदन भी कर सकते हैं। पर्याप्त जांच-पड़ताल के बाद रकम सीधे उनके बैंक खाते में पहुंच जाएगी। इसके लिए आधार नंबर की भी मदद ली जाएगी।

1.9 करोड़ लोगों की गई है नौकरी

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुए संकट के कारण लगभग 1.9 करोड़ लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं। केवल जुलाई के महीने में 50 लाख लोग बेरोजगार हुए हैं। हालांकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार, जून में 4.98 लाख लोग औपचारिक कार्यबल से जुड़े हैं।

इससे पहले पीएम किसान योजना थी सबसे बड़ी नकदी योजना

अब तक सीधे नकद देने वाली सबसे बड़ी योजना पीएम किसान योजना थी। इसके तहत लाभार्थी को सालाना छह हजार रुपये दिए जाते हैं। हालांकि इसका दायरा बड़ा है। इससे आठ करोड़ किसानों को सहायता मिलती है। विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना ने आठ करोड़ किसानों को राहत पहुंचाई है।

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