Coronavirus China / कोरोना वायरस चीन का फैलाया हुआ एक जैविक हथियार? जानिए क्यों कहा जा रहा है ऐसा

Zoom News : May 23, 2021, 02:47 PM
Coronavirus China: कोविड-19 (Covid-19) के शुरुआती मामले सबसे पहले चीनी शहर वुहान (Wuhan) में दिसंबर 2019 से दिखाई देने लगे थे। इस दौरान दुनिया इस फैलते खतरे से अनजान रही क्योंकि चीन (China) सरकार ने सक्रिय रूप से कोरोना वायरस (Coronavirus) के बारे में जानकारी को दबाने की कोशिश की और यहां तक कि दुनिया को इस बारे में सचेत करने का प्रयास करने वालों को धमकाने और दंडित करने के हद तक चली गई।

चीन ने छुपाई कोरोना से जुड़ी जानकारी

तब से ही वायरस के प्रारंभिक रूप से निपटने और इसके बारे में जानकारी छुपाने के प्रयासों के लिए चीन सरकार (Chinese Govt) को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। चीन की कथित लापरवाही ही एकमात्र कारण है कि वायरस दुनियाभर में तेजी से फैल गया और पूरी दुनिया को झकझोर देने में कामयाब रहा।

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का नाम आया सामने

वायरस की उत्पत्ति को उजागर करने के लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने यह तलाशना शुरू किया कि वास्तव में वायरस कहां से आया होगा। सच्चाई का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने चीन के वुहान शहर की और देखना शुरू किया, जहां इस वायरस के सबसे पहले मामले सामने आए थे। वायरस की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांतों पर चर्चा की जाने लगी। उनमें से एक संभावना यह भी थी कि कोविड-19 स्वाभाविक रूप से उत्पन्न नहीं हुआ था, बल्कि जानबूझकर एक प्रयोगशाला में विकसित किया गया था।

इस मामले में संदिग्ध के रूप में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी सामने आया, जो बीमारियों के अध्ययन में महारत वाली संस्था है और उसी शहर में स्थित है, जहां पहली बार कोविड-19 की पुष्टि हुई थी।

अमेरिकी फैक्ट शीट में किया गया ये दावा

जनवरी में प्रकाशित एक अमेरिकी फैक्ट शीट के अनुसार चीन में वैज्ञानिक, विशेष रूप से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक पशु-व्युत्पन्न (एनिमल-डिराइव्ड) कोरोना वायरस पर लगातार शोध कर रहे थे। फैक्ट शीट से यह भी पता चलता है कि प्रकोप के डेढ़ साल बाद भी चीन दुनिया के सामने सारी सच्चाई प्रकट करने से कतरा रहा है और दुनियाभर में वायरस के तेजी से प्रसार में अपनी संलिप्तता पर पर्दा डालने के लिए जानबूझकर वायरस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहा है।

कोरोना वायरस पर चीन की घिनौनी चाल

फैक्ट शीट में आगे कहा गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक सबसे पहले कोविड-19 जैसे लक्षणों वाले संक्रमण के मामलों की पहचान 2019 की शरद ऋतु से ही करने लगे थे। जबकि दिसंबर 2019 तक मामले सार्वजनिक रूप से दर्ज नहीं किए थे।

यह दर्शाता है कि चीनी सरकार को 2019 की शरद ऋतु से ही इस बारे में जानकारी थी, फिर भी उसने इसके बारे में दुनिया को सचेत नहीं करना तय किया। इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के संबंध में लगातार गोपनीयता बनाए रखी है।

यह भी पता चला है कि इस इंस्टीट्यूट के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध हैं और उसने कई गुप्त परियोजनाओं पर इंस्टीट्यूट के साथ सहयोग किया है। चीन द्वारा जैविक हथियारों को विकसित करने का प्रयास करने के पहले से ही प्रलेखित सबूत हैं और इस प्रकार यह मानने में कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 एक जैविक हथियार है जो वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में विकसित किया गया।

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