AMAR UJALA : Aug 03, 2020, 11:36 AM
Coronavirus: कोरोना की वैक्सीन जल्द से जल्द बाजार में उपलब्ध कराने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और रूस की वैक्सीन ट्रायल के अंतिम चरण में हैं यानी उनके सफल होने की घोषणा कभी भी हो सकती है। हालांकि जब तक कोरोना की कारगर वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक वैज्ञानिक अन्य बीमारियों के लिए इस्तेमाल होने वाले टीकों पर भी शोध कर रहे हैं। ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि टीबी के लिए इस्तेमाल होने वाली बीसीजी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ भी असर दिखा रही है। साइंस एडवांसेज नाम के जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बीसीजी वैक्सीन कम से कम पहले 30 दिनों में फैलने वाले कोरोना संक्रमण की रफ्तार को धीमा कर सकती है।अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस के मुताबिक, बीसीजी का टीका लगाना जिन देशों में अनिवार्य है, वहां कोरोना वायरस के प्रसार के पहले 30 दिनों में कम संक्रमण और कम मृत्यु दर देखी गई। ऐसे में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि अगर अमेरिका में भी दशकों पहले बीसीजी वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया गया होता तो वहां मृत्यु दर अभी की अपेक्षा काफी कम होती। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 29 मार्च तक अमेरिका में कोरोना वायरस से 2400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी जबकि अगर लोगों को बीसीजी वैक्सीन लगाई गई होती तो यह आंकड़ा 500 के नीचे ही होता। इस शोध का विश्लेषण 134 देशों के डाटा के आधार पर किया गया। किन देशों में अनिवार्य है बीसीजी टीका? भारत और चीन में बीसीजी टीका राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसी वजह से यहां मृत्यु दर कम रही है। कुछ डॉक्टरों का भी मानना है कि बीसीजी वैक्सीन कोरोना से जुड़ी परेशानियों से बचने में मदद कर रही है। बच्चों को लगाया जाता है बीसीजी का टीकाबीसीजी का टीका जन्म से 15 दिन के अंदर बच्चों को लगाया जाता है। यह कई संक्रामक बीमारियों से बच्चों को बचाता है, खासकर टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से। बीसीजी वैक्सीन का चल रहा क्लिनिकल ट्रायल भारत में तो महाराष्ट्र सरकार कोरोना मरीजों पर बीसीजी वैक्सीन का असर देखने के लिए क्लिनिकल ट्रायल भी कर रही है। इसके तहत 250 मरीजों को बीसीजी वैक्सीन लगाई गई है। इसके नतीजों के आने में दो से तीन महीने का वक्त लगेगा।