Coronavirus / नौ दिन बाद कोरोना मरीज से दूसरों में नहीं फैलता संक्रमण

AMAR UJALA : Jul 31, 2020, 09:38 PM
Coronavirus: कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली महामारी है। यह सामान्यत: किसी संक्रमित के खांसने, छींकने या बात करने के दौरान उसके ड्रॉपलेट्स से फैलता है। इसके अलावा इन ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से संक्रमित सतहों के जरिए भी फैलता है। लेकिन क्या इसकी भी कोई सीमा होती है कि कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति कितने दिनों तक संक्रमण फैला सकता है? इसको लेकर ब्रिटेन के एक ताजा अध्ययन में बड़ा दावा किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीज नौ दिन बाद दूसरों में वायरस संक्रमण नहीं पहुंचाता है। इस शोध अध्ययन ने दुनियाभर के विशेषज्ञों को चौंकाया है। 

कोरोना वायरस को लेकर ब्रिटेन के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोरोना का मरीज नौ दिन के बाद दूसरों में संक्रमण नहीं फैलाता है। इस अध्ययन के मुताबिक, नौ दिन के बाद वायरस संक्रमण फैलाने की उसकी क्षमता खत्म हो जाती है। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच यह बहुत बड़ा दावा माना जा रहा है।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस अध्ययन में बताया गया है कि नौ दिन बाद कोरोना वायरस शरीर में मौजूद तो रहता है, लेकिन इससे संक्रमण फैलता नहीं है। संक्रमण के नौ दिन बाद कोरोना वायरस का कान, तंत्रिका तंत्र और दिल पर असर बना रहता है, लेकिन यह एक तरीके से बेअसर हो जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी को कोरोना हुआ है तो उससे सिर्फ नौ दिन तक ही संक्रमण फैलने का खतरा है। 

इस रिसर्च स्टडी से जुड़े शोधकर्ताओं एंटोनियो हो और मुगे केविक का कहना है कि इस अध्ययन के नतीजे कोरोना मरीजों को अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज करने में मददगार साबित होंगे। इससे अस्पताल प्रबंधन पर से गैर जरूरी बोझ भी कम होगा और उसी अस्पताल में ज्यादा लोगों को चिकित्सकीय सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। 

ऐसे पहुंचे निष्कर्ष पर

इस शोध अध्ययन में ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पूर्व में हो चुके 98 शोधों के आंकड़ों का अध्ययन और विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने इसमें नए कोरोना वायरस Sars-Cov-2 संबंधित 79 शोधों के अलावा आठ Sars-Cov-1 और 11 Mars-Cov वायरस संबंधित शोधों को भी अपने अध्ययन में शामिल किया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर कोविड मरीजों के गले, नाक, मल आदि में नौ दिन बाद भी कोरोना वायरस मौजूद रह जाती है, तो भी उससे संक्रमण नहीं फैलता है। 

गले में 17 से 83 दिन तक रहता है आरएनए

इस शोध अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस का जेनेटिक पदार्थ यानी आरएनए गले में 17 से 83 दिन तक रह सकता है। हालांकि यह आरएनए खुद संक्रमण नहीं फैलाता। शोध अध्ययन के अनुसार, पीसीआर टेस्ट द्वारा ऐसे जेनेटिक आरएनए पदार्थ की पहचान हो जाती है, जो संक्रमण नहीं फैलाता। लेकिन संवेदनशीलता के कारण उसकी पहचान हो जाती है। 

पहले सप्ताह में संक्रमण का ज्यादा खतरा

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कई पूर्व के अध्ययनों को कोट करते हुए कहा है, "कई रिसर्च स्टडी का यह मानना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में वायरल लोड बुखार के पहले सप्ताह में बहुत ज्यादा होता है। इस वजह से यह लक्षण दिखने के शुरुआती पांच दिन में सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है। जबकि बहुत से लोगों को जबतक पता चलता है, तबतक संक्रमण फैलाने के दौर से वे गुजर चुके होते हैं।"

दिशा-निर्देश में बदलाव का सुझाव

शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना संक्रमित मरीज को शुरुआती दिनों में आइसोलेट करना बहुत जरूरी कदम है। इसके अलावा एसिम्पटोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले मरीज भी शुरुआत में ही ज्यादा संक्रमण फैला सकते हैं। अध्ययन के नतीजों इस बात की ओर सुझाव देते हैं कि किसी मरीज को ज्यादा लंबे समय तक अस्पताल में रखने की जरूरत नहीं है। 

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