News18 : Jul 07, 2020, 08:45 PM
COVID-19 Vaccine: Bharat Biotech के दावों और ICMR की उतावली के बाद हुआ ये कि विशेषज्ञों ने माना कि Covid-19 की वैक्सीन के लिए 15 अगस्त की तारीख घोषित कर देना जल्दबाज़ी और छवि खराब करने वाला कदम रहा। दूसरी तरफ, इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ किया कि वैक्सीन का सुरक्षित और प्रभावी होना ज़रूरी है और ऐसी किसी भी संभावित वैक्सीन के ट्रायल (Vaccine Trial) के पूरे होने में छह से नौ महीने तो लग ही जाएंगे।मामला ये है कि भारत बायोटेक कंपनी जो वैक्सीन Covaxin डेवलप कर रही है, उसके लिए जल्दबाज़ी करते हुए भारत की शीर्ष मेडिकल रिसर्च संस्था ICMR के डॉक्टर बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते 12 डॉक्टरों को ट्रायल संबंधी औपचारिकताएं सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिख डाला। ये भी कहा गया कि Covaxin 15 अगस्त से सार्वजनिक उपयोग में लाई जा सकेगी। इसके बाद बड़ी किरकरी हुई और सवाल खड़ा हुआ कि क्या वाकई इतनी जल्दी वैक्सीन आ सकती है!WHO ने सुरक्षित वैक्सीन पर साफ किया रुखदुनिया में स्वास्थ्य संबंधी शीर्ष संस्था की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन के हवाले से द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया कि बहुत आशावादी रहकर एक अनुमान लगाया जाए तो पहले से तीसरे फेज़ के ट्रायल के पूरे होने में छह से नौ महीने का वक्त लगेगा ही। स्वामीनाथन ने कहा कि वैक्सीन ज़रूरी है और इसमें कम वक्त लगे इसके लिए सरकारें नीति, ट्रायल के लिए योजनाएं पहले से बनाने के साथ ही उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकती हैं। लेकिन, ट्रायल की प्रक्रिया में समय कम करना मुनासिब नहीं है।स्वामीनाथन के मुताबिक कम से कम सात भारतीय कंपनियां वैक्सीन विकास में जुटी हुई हैं, यह उत्साहजनक है लेकिन इन सभी को पहले बायोटेक्नोलॉजी विभाग और ICMR के सामंजस्य के साथ परीक्षणों से गुज़रना होगा और नतीजों के अध्ययनों के बाद ही तय हो सकेगा कि कौन सी वैक्सीन कामयाब है। एक स्पष्ट क्राइटेरिया और नियामक स्टैंडर्ड इस प्रक्रिया को आसान बना सकेंगे।अन्य विशेषज्ञों का मत भी है उपयोगीडॉ। भार्गव के पत्र के संदर्भ में विशेषज्ञों ने माना कि इस तरह के कदम से ICMR जैसी टॉप रिसर्च संस्था की छवि को धक्का लगा और 15 अगस्त की तारीख दे देना बहुत ही अव्यावहारिक घोषणा रही। भारतीय विज्ञान अकादमी ने अपने बयान में कहा कि प्रशासनिक मंज़ूरियों की प्रक्रिया में जल्दबाज़ी संभव है लेकिन वैज्ञानिक प्रक्रिया में जितना समय लगता है उसे कम करने के लिए समझौते नहीं किए जा सकते। भारत बायोटेक के दावों को लेकर एक और विशेषज्ञ का बयान उल्लेखनीय है।भारत बायोटेक और आईसीएमआर के ऐसे कदमों पर विशेषज्ञों की राय पर आधारित एक रिपोर्ट में दिल्ली बेस्ड वैक्सीनोलॉजिस्ट डॉ। चंद्रकांत लहरिया के हवाले से लिखा गया 'यह साफ है कि हम सभी एक सुरक्षित और असरदार वैक्सीन चाहते हैं....प्रेगनेंसी नौ महीने की होती है; यह विज्ञान है और इससे पहले कोई भी नतीजा जोखिम भरा होगा।'तो इस वैक्सीन को लेकर है ये बवालजिसके लिए 15 अगस्त की टाइमलाइन सेट किए जाने को लेकर जो बवाल मचा हुआ है, कोरोना वायरस के खिलाफ वो वैक्सीन हैदराबाद बेस्ड फार्मा कंपनी भारत बायोटेक और ICMR मिलकर विकसित कर रहे हैं। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा इस Covaxin के पहले और दूसरे क्लिनिकल मानव ट्रायल की मंज़ूरी दी जा चुकी है।