देश / कच्चे तेल में गिरावट: जानें पेंट, सीमेंट या टायर कंपनियों को क्यों होगा फायदा?

पेंट से लेकर टायर, सीमेंट, तेल वितरण कंपनियों तक को कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट का जबर्दस्त फायदा होने वाला है। अमे​रिका के WTI क्रूड से लेकर लंदन के ब्रेंट क्रूड और इंडियन बास्केट क्रूड तक, सब तरफ गिरावट देखी गई है। इसका फायदा कई भारतीय कंपनियों को होगा। गौरतलब है कि अमेरिका के वेस्ट टेक्सस इंटरमीडियएट क्रूड का दाम पिछले दिनों कई शताब्दी के निचले स्तर पर चला गया था।

AajTak : Apr 23, 2020, 04:30 PM
दिल्ली:   पेंट से लेकर टायर, सीमेंट, तेल वितरण कंपनियों तक को कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट का जबर्दस्त फायदा होने वाला है। अमे​रिका के WTI क्रूड से लेकर लंदन के ब्रेंट क्रूड और इंडियन बास्केट क्रूड तक, सब तरफ गिरावट देखी गई है। इसका फायदा कई भारतीय कंपनियों को होगा।

गौरतलब है कि अमेरिका के वेस्ट टेक्सस इंटरमीडियएट (WTI) क्रूड का दाम पिछले दिनों कई शताब्दी के निचले स्तर पर चला गया था। मई के इसके वायदा सौदे तो शून्य से 36 डॉलर नीचे तक चले गए। ब्रेंट क्रूड भी काफी टूटते हुए बुधवार को 17 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था। भारत के लिए महत्वपूर्ण इंडियन बास्केट क्रूड भी हाल में 20 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चला गया था।

येस सिक्योरिटीज ने हाल की अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इससे भारत की पेंट, सीमेंट टायर और तेल एवं गैस कंपनियों को फायदा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे माल की लागत में कमी आने से सीमेंट और पेंट कंपनियों की कमाई बढ़ेगी।

पेंट कंपनियों को कैसे फायदा

रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी की गिरावट आने से पेंट कंपनियों की कमाई 4 फीसदी तक बढ़ सकती है। पेंट कंपनियों के कच्चे माल का करीब 60 फीसदी हिस्सा कच्चा तेल एवं उससे जुड़े उत्पादों का होता है।


सीमेंट कंपनियों को क्या फायदा

तेल की कीमतों में गिरावट से सीमेंट कंपनियों की भी खुशी बढ़ गई है। इन कंपनियों की लागत का करीब 40 फीसदी हिस्सा कच्चे तेल से जुड़ा होता है। इससे सीमेंट कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत में 10 से 12 फीसदी की कमी आ सकती है।

टायर कंपनियां

टायर कंपनियों के कच्चे माल का करीब 37 फीसदी हिस्सा प्राकृतिक रबर का होता है। इसी तरह टायर उत्पादन लागत का 50 फीसदी हिस्सा कार्बन ब्लैक और सिंथेटिक रबर आदि का होता है जो कि कच्चा तेल के डेरिवेटिव होते हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा दोपहिया टायर बनाने वाली कंपनियों को होगा, क्योंकि इसमें प्राकृतिक रबर का हिस्सा सिर्फ 15 फीसदी ही होता है।


तेल मार्केटिंग कंपनियां

कच्चे तेल की कीमत घटने से तेल मार्केटिंग कंपनियों की भी चांदी हो गई है। उनके लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत कम हो गई है। येस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल होने से तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों का करीब 8100 करोड़ रुपया बचेगा।