News18 : Apr 14, 2020, 05:13 PM
कोरोना वायरस (Corona Virus) के बारे में वैज्ञानिक (Scientists) कहते रहे हैं कि इसकी संक्रमण की रफ्तार आश्चर्यचकित कर देने वाली है। थाईलैंड से आई एक खबर अब इस बात को और पुष्ट कर रही है। थाईलैंड के एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश में कोरोना वायरस किसी जिंदा आदमी से नहीं बल्कि एक शव की वजह से फैला है। हुआ ये कि एक डॉक्टर एक मृतक कोरोना मरीज के शरीर का परीक्षण कर रहा था। परीक्षण के दौरान उस मृतक के शरीर से कोरोना वायरस डॉक्टर के शरीर में ट्रांसफर हो गया था। ये खबर शव गृहों के कर्मचारियों के लिए चिंताजनक है। इससे पहले ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई थी। ये स्टडी Journal of Forensic and Legal Medicine study में आई है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं Won Sriwijitalai और Viroj Wiwanitkit का कहना है कि अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि थाईलैंड में कितने शवों में कोरोना वायरस मौजूद है क्योंकि इस तरह का कोई परीक्षण पोस्टमॉर्टम के दौरान नहीं किया जा रहा है। हालांकि वैश्विक स्तर पर 19 लाख संक्रमण के मामले होने के बावजूद थाईलैंड में अभी सिर्फ 2579 मामले ही सामने आए हैं।रिसर्चकर्ताओं का कहना है कि अभी तक ये बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कोरोना वायरस कितने दिनों तक शवों में रह सकता है। इससे पहले इबोला वायरस के भी शवों से इंसानों में ट्रांसफर होने का मामला सामने आया था। इससे पहले WHO ने हेपेटाइटिस, टीबी और कॉलरा के मरीजों की डेड बॉडी को लेकर गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं। संस्था ने इन रोग से मरने वाले मरीजों के शवों को सील करने के दौरान ज्यादा एहतियात बरतने की गाइडलाइंस जारी की हुई हैं।
गौरतलब है कि बीते 25 मार्च को थाईलैंड के मेडिकल डिपार्टमेंट ने कहा था कि कोरोना की वजह से मरे मरीजों के शव से वायरस नहीं फैलता है। दरअसल उस समय देश में कई अंतिम संस्कार स्थलों ने कोरोना मरीजों के शवों को लेने से मना कर दिया था।
शव गृहों के कर्मचारी जाहिर कर चुके हैं चिंता
द अटलांटिक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना मरीजों के शवों को लेकर दुनियाभर के शव गृह कर्मचारी अपनी चिंता जता चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू हेवन के प्रोफेसर जॉनसन मैक्गी का कहना है कि कोरोना मरीजों के शवों के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को पूरे इंतजाम करने चाहिए। इन मरीजों की का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों का खयाल रखना ही होगा जो मृतकों का खयाल रखते हैं।शवों को जलाना
कोरोना महामारी फैलने के बाद ही चीन से ऐसी खबरें आई थीं कि शवों को जलाया जा रहा है। दरअसल शुरुआत से कोरोना की वजह मरे लोगों को जलाया जाना ही सबसे मुफीद तरीका माना जा रहा है। शवों से वायरस ट्रांसफर होने की खबर चिंताजनक है और कई देश इस पर विचार कर रहे हैं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं Won Sriwijitalai और Viroj Wiwanitkit का कहना है कि अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि थाईलैंड में कितने शवों में कोरोना वायरस मौजूद है क्योंकि इस तरह का कोई परीक्षण पोस्टमॉर्टम के दौरान नहीं किया जा रहा है। हालांकि वैश्विक स्तर पर 19 लाख संक्रमण के मामले होने के बावजूद थाईलैंड में अभी सिर्फ 2579 मामले ही सामने आए हैं।रिसर्चकर्ताओं का कहना है कि अभी तक ये बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कोरोना वायरस कितने दिनों तक शवों में रह सकता है। इससे पहले इबोला वायरस के भी शवों से इंसानों में ट्रांसफर होने का मामला सामने आया था। इससे पहले WHO ने हेपेटाइटिस, टीबी और कॉलरा के मरीजों की डेड बॉडी को लेकर गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं। संस्था ने इन रोग से मरने वाले मरीजों के शवों को सील करने के दौरान ज्यादा एहतियात बरतने की गाइडलाइंस जारी की हुई हैं।
गौरतलब है कि बीते 25 मार्च को थाईलैंड के मेडिकल डिपार्टमेंट ने कहा था कि कोरोना की वजह से मरे मरीजों के शव से वायरस नहीं फैलता है। दरअसल उस समय देश में कई अंतिम संस्कार स्थलों ने कोरोना मरीजों के शवों को लेने से मना कर दिया था।
शव गृहों के कर्मचारी जाहिर कर चुके हैं चिंता
द अटलांटिक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना मरीजों के शवों को लेकर दुनियाभर के शव गृह कर्मचारी अपनी चिंता जता चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू हेवन के प्रोफेसर जॉनसन मैक्गी का कहना है कि कोरोना मरीजों के शवों के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को पूरे इंतजाम करने चाहिए। इन मरीजों की का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों का खयाल रखना ही होगा जो मृतकों का खयाल रखते हैं।शवों को जलाना
कोरोना महामारी फैलने के बाद ही चीन से ऐसी खबरें आई थीं कि शवों को जलाया जा रहा है। दरअसल शुरुआत से कोरोना की वजह मरे लोगों को जलाया जाना ही सबसे मुफीद तरीका माना जा रहा है। शवों से वायरस ट्रांसफर होने की खबर चिंताजनक है और कई देश इस पर विचार कर रहे हैं।