COVID-19 Update / सिंगापुर में डेल्टा वैरिएंट का खौफ, सिक्वेसिंग में बताया गया 'ज्यादा संक्रामक'

सिंगापुर में कोविड-19 सिक्वेंसिंग (Covid-19 sequencing) के दौरान पता चला है कि महामारी की नई लहर के तेजी से फैलने में डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) का बड़ा रोल है। सिक्वेंसिंग की स्टडी के दौरान इस स्ट्रेन के ज्यादा संक्रामक होने की बात को एक बार फिर रेखांकित किया गया है। कोरोना वायरस का ये स्ट्रेन पहली बार भारत में मिला था।

Vikrant Shekhawat : Jun 09, 2021, 06:56 AM
नई दिल्ली। सिंगापुर में कोविड-19 सिक्वेंसिंग (Covid-19 sequencing) के दौरान पता चला है कि महामारी की नई लहर के तेजी से फैलने में डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) का बड़ा रोल है। सिक्वेंसिंग की स्टडी के दौरान इस स्ट्रेन के ज्यादा संक्रामक होने की बात को एक बार फिर रेखांकित किया गया है। कोरोना वायरस का ये स्ट्रेन पहली बार भारत में मिला था।

देश के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बीती 31 मई तक देश में आए 449 मामलों में 428 डेल्टा वैरिएंट से संबंधित थे। इसके अलावा 9 केस बीटा वैरिएंट के थे जो पहली दक्षिण अफ्रीका में मिला था। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट्स सहित कुछ अन्य स्ट्रेन पहले वाले स्ट्रेन से ज्यादा संक्रामक पाए गए हैं। उन्होंने कहा है कि नए वैरिएंट्स को लेकर स्टडी जारी है, ज्यादा जानकारी मिलने के साथ ही हम अपनी रणनीति में भी बदलाव करेंगे।

हर कोरोना केस की सिक्वेंसिंग करता है सिंगापुर

बता दें कि दुनिया में सिंगापुर इकलौता देश है जो अपने यहां हर कोरोना केस की डेटा सिक्वेंसिंग करता है। इसी के जरिए वो अपनी रणनीति भी तैयार करता है। इस वक्त सिंगापुर में सबसे ज्यादा प्रभाव डेल्टा वैरिएंट का है। बीते 6 महीने के दौरान ये वैरिएंट दुनिया के 60 देशों में मिला है। ये भी चिंता जाहिर की जा रही है कि इसके फैलाव के साथ ही संक्रमण का फैलाव भी तेज हो सकता है।

कोरोना के खिलाफ कदमों को लेकर दुनियाभर में तारीफ बटोर चुका है सिंगापुर

सिंगापुर कोरोना के खिलाफ अपने प्रयासों को लेकर पहली लहर में दुनियाभर में तारीफ बटोर चुका है। अप्रैल महीने में डेल्टा वैरिएंट की जानकारी मिलने के साथ ही उसने तुरंत ही एहतियात भरे कदम उठाए थे। भारत से जाने वाली फ्लाइट्स पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। स्कूलों समेत अन्य जगहों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। देश में बीते साल कोरोना की पहली लहर के बाद से ही सार्वजनिक जगहों पर सीमित छूट ही जाती है।