विश्व / ब्रह्मांड में अब तक का सबसे ताकतवर सुपरनोवा खोजा, जानें खासियत

ब्रह्मांड में अब तक जितने भी सुपरनोवा खोजे गए हैं उनमें से भी सबसे ताकतवर तारे की खोज कर ली गई है। यह न सिर्फ सामान्य सुपरनोवा से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है बल्कि उससे करीब 500 गुना ज्यादा चमकदार भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकरा कर एक हो जाने के दौरान बना है। यह सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकराकर एक हो जाने के दौरान बना है।

AMAR UJALA : Apr 17, 2020, 09:29 AM
वाशिंगटन | ब्रह्मांड में अब तक जितने भी सुपरनोवा खोजे गए हैं उनमें से भी सबसे ताकतवर तारे की खोज कर ली गई है। यह न सिर्फ सामान्य सुपरनोवा से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है बल्कि उससे करीब 500 गुना ज्यादा चमकदार भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकरा कर एक हो जाने के दौरान बना है।

नासा और ईएसए के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकराकर एक हो जाने के दौरान बना है। ब्रिटेन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने नेचर एस्ट्रोनॉमी नाम के पीयर रिव्यू जर्नल में प्रकाशित अपने शोधपत्र में इसका खुलासा किया है।

ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी और अमेरिका के हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स ने अपनी इस खोज को एसएन-2016एपीएस नाम दिया है। शोध के सह लेखक इडो बर्गर ने इसे इसके आकार और चमक के अलावा कई दूसरे मायनों में भी बेहद खास बताया  है।

आम सुपरनोवा अपनी कुल ऊर्जा का सिर्फ एक फीसदी दिखने वाले प्रकाश तक ही सीमित दिखता है लेकिन इसका प्रकाश बेहद ज्यादा है। इसकी ऊर्जा 20 खरब गीगाटन टीएनटी के धमाके के बराबर होगी। शोध के मुताबिक, इसके आसपास के बादलों में हाइड्रोजन की मात्रा भी काफी ज्यादा है।

जैसे दो सूर्य आपस में टकराएं

नए सुपरनोवा से जो प्रमाण मिले हैं वह बताते हैं कि यह जरूर हमारे सूर्य जैसे दो तारों के आपस में मिल जाने के कारण बना होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसी घटना का जिक्र अब तक सिर्फ सैद्धांतिक तौर पर होता आया है लेकिन पहली बार इसके प्रमाण मिले हैं। उन्हें उम्मीद है कि आगे इससे मिलते जुलते और सुपरनोवा का भी पता चलेगा जो बताएगा कि बहुत पहले हमारा ब्रह्मांड और उसका माहौल कैसा होता था।

यह होता है सुपरनोवा

किसी बहुत पुराने तारे के टूटने से वहां जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे ही सुपरनोवा कहते हैं। कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है, वह हमारे सौरमंडल के सबसे मजबूत सदस्य सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है। सुपरनोवा की ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि उसके आगे हमारी धरती की आकाशगंगा कई सप्ताह तक फीकी पड़ सकती है।

निर्माण के ये प्रमाण भी मिले

आमतौर पर सुपरनोवा के निर्माण में व्हाइट ड्वार्फ की अहम भूमिका होती है जिसके एक चम्मच द्रव्य का वजन भी करीब 10 टन तक हो सकता है। ये गर्म होते होते अचानक गायब हो जाते हैं। लेकिन कुछ गिने चुने व्हाइट ड्वार्फ दूसरे तारों से मिलकर सुपरनोवा बनाते हैं। लेकिन नए सुपरनोवा में व्हाइट ड्वार्फ तारों से न टकराकर दो तारे ही आपस में टकराए हैं। यह आज तक के इतिहास का सबसे बड़ा सुपरनोवा बना गए।