AajTak : Apr 19, 2020, 06:47 AM
अशोकनगर | कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। लेकिन इस फैसले से कई लोगों की जिंदगी ठहर गई है। कई तबाह हो गए हैं तो कइयों के सामने खाने और रहने का संकट है। सरकार के दावे एक तरफ लेकिन हर रोज दिहाड़ी मजदूरों के कुछ ऐसे किस्से सामने आ ही जाते हैं जो सिस्टम की असफलता और जिंदगी जीने के लिए इनकी दो रोटी का संघर्ष समाज के सामने ला देते हैं। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में एक ऐसा ही किस्सा सामने आया है जो इन दिनों आम आदमी की पेट की तड़प और परिवार के बसर की चिंता को जाहिर करता है।परिवार के भूख मिटाने की चिंता ने दिव्यांग बुजुर्ग भगवत सिंह को अप्रैल महीने की भरी दोपहरी और तपती धूप के बीच 2 किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर कर दिया। बैसाखी के सहारे भगवत किसी तरह पूर्व विधायक जजपाल सिंह के दफ्तर पहुंचे। उन्हें जानकारी मिली थी कि पूर्व विधायक के ऑफिस पर राशन वितरित हो रहा है।पहुंचने पर देखा की ऑफिस के बाहर लंबी लाइन लगी है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से सड़क पर गोले बनाए गए हैं। जिससे कि वहां भीड़ इकट्ठा ना हो और लोगों के बीच की दूरी बनी रहे।यह देखकर भगवत सिंह भी एक गोले के अंदर खड़े हो गए। लेकिन जब धूप बहुत तेज हो गई और कृत्रिम (नकली) पैर पर खड़े रहना असहनीय हो गया तो उन्होंने अपना कृत्रिम पैर निकालकर गोल घेरे में रख दिया। खुद बैसाखी के सहारे छांव में जाकर बैठ गए।काफी देर के बाद इस दिव्यांग पर पूर्व विधायक जजपाल सिंह की नजर पड़ी। उन्होंने बुजुर्ग को वहीं लाकर भोजन दिया, साथ ही तांगा बुलवाकर उन्हें घर भिजवाया। इतना ही नहीं उन्होंने आगे भी लॉकडाउन के दौरान दिव्यांग बुजुर्ग के पर राशन और भोजन भेजने की बात कही है।दिव्यांग बुजुर्ग ने बताया कि सात साल पहले एक ट्रेन हादसे में उनका पैर कट गया था। तब से ही वह असहाय हैं उनके घर में 6 सदस्य हैं लेकिन खाने के लिए कुछ नहीं बचा। इसलिए जब राशन वितरण की खबर मिली तो यहां पहुंच गए।