देश / लापरवाही न बरतें, युवाओं को भी गिरफ्त में ले रहा कोरोना वायरस, ये कहते हैं आंकड़े

कोरोना भले ही बुजुर्गों की जान ज्यादा ले रहा हो, लेकिन युवा भी इसकी गिरफ्त में हैं। राजधानी के आंकड़े तो यही हकीकत बयां कर रहे हैं। यहां मिले नौ पॉजीटिव केसों में आठ की उम्र 20 से 42 वर्ष के बीच है। इससे स्पष्ट है कि कोरोना हर उम्र के लोगों को चपेट में ले रहा है। सभी को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

AMAR UJALA : Apr 02, 2020, 05:56 PM
दिल्ली:  कोरोना भले ही बुजुर्गों की जान ज्यादा ले रहा हो, लेकिन युवा भी इसकी गिरफ्त में हैं। राजधानी के आंकड़े तो यही हकीकत बयां कर रहे हैं। यहां मिले नौ पॉजीटिव केसों में आठ की उम्र 20 से 42 वर्ष के बीच है। इससे स्पष्ट है कि कोरोना हर उम्र के लोगों को चपेट में ले रहा है। सभी को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

मिथक है कि कोरोना का असर वृद्धों एवं बच्चों में ज्यादा होता है, पर राजधानी में सामने आने वाले केस में ज्यादातर युवा हैं। यहां करीब 42 वर्षीया बॉलीवुड गायिका एसजीपीजीआई और 73 साल की वृद्धा कमांड हॉस्पिटल में भर्ती है। आठ मरीज केजीएमयू में हैं।

इसमें एक लखीमपुर खीरी का है। इन सभी की उम्र 20 से 42 साल के बीच है। आठों में छह की उम्र 35 साल से कम है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि युवा खुद पर कोरोना बेअसर होने की भूल न करें। वे भी लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करें और घर में रहें।  

पहली मौत भी युवा की

यूपी में कोरोना की चपेट में आने से पहली मौत भी युवा की हुई है। बस्ती निवासी जिस युवक की मौत गोरखपुर अस्पताल में हुई, उसकी उम्र करीब 25 साल थी।

युवाओं के लिए सुझाव

- यह भूल जाएं कि कोरोना का असर नौजवानों पर नहीं होगा।

- बाहर निकलते वक्त मास्क और फुल ड्रेस पहनकर जाएं।

- घर आते ही ठीक से साबुन-पानी से हाथ-मुंह धोएं।

- खान-पान दुरुस्त रखें। सुबह नींबू-पानी का सेवन करें।

- नशा न करें, क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है।

- भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचें।


क्या कहते हैं जिम्मेदार

केजीएमयू की प्रभारी संक्रामक रोग नियंत्रण यूनिट के डॉ. डी हिमांशु का कहना है कि कोरोना वायरस का असर हर उम्र के लोगों पर हो सकता है। युवाओं में इससे मृत्युदर बेहद कम है, पर इनकी चपेट में आने की दर अधिक है। इसकी बड़ी वजह है कि वे निश्चिंत होकर भाग-दौड़ अधिक करते हैं। इससे वे संक्रमित होते हैं और दूसरों को भी वायरस दे देते हैं।

सिर्फ पांच फीसदी को पड़ती अस्पताल की जरूरत

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना की चपेट में आने वाले करीब 95 फीसदी लोग दो सप्ताह में बिना दवा के ठीक हो जाते है। हालांकि, इस बीच यदि वे किसी कमजोर इम्युनिटी वाले के संपर्क में आते हैं तो उसकी जान के लिए जोखिम बढ़ जाता है। अस्पताल में भर्ती होने वालों में करीब दो फीसदी को आईसीयू की जरूरत पड़ती है। इसमें एक फीसदी को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है।

उम्र --मृत्युदर

0-9 साल  --0 फीसदी

0-19 साल  --0.2 फीसदी

20-29 साल  --0.2 फीसदी

40- 49 साल  --0.4 फीसदी

60-70 साल  --3.8 फीसदी

70-79 साल --8 फीसदी

80 से अधिक --15 फीसदी