AajTak : Apr 08, 2020, 08:05 AM
Coronavirus: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ को लेकर चीन पर अधिक ध्यान देने का आरोप लगाया है।डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से बड़े पैमाने पर धन मिलता है। मैंने चीन के लिए यात्रा पर बैन लगाया तो वो मुझसे असहमत थे और उन्होंने (डब्ल्यूएचओ) ने मेरी आलोचना की। वे बहुत सारी चीजों के बारे में गलत थे। ऐसा लग रहा है कि उनका चीन पर ज्यादा ध्यान है। हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च की जाने वाली धनराशि पर रोक लगाने जा रहे हैं।'डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन पर बड़ी रोक लगाने जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के इस निकाय के फंडिग का बड़ा स्रोत अमेरिका है। 'अमेरिका पहले' का नारा देने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च किए जाने वाले धन पर रोक लगाने जा रहे हैं।' ट्रंप पहले भी संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाली एजेंसियों को निशाने पर ले चुके हैं।हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि डब्ल्यूएचओ के लिए खर्च किए जाने वाले कितने पैसे पर रोक लगाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा: "मैं यह नहीं कह रहा कि मैं यह करने जा रहा हूं।" उन्होंने कहा, 'हम फंडिंग खत्म करने पर विचार करेंगे।' डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक डब्ल्यूएचओ "चीन की ओर बहुत पक्षपाती प्रतीत होता है। यह सही नहीं है।"कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए चीन से आने वाले विमानों पर रोक लगाने का जिक्र करते हुए ट्रंप ने पूछा कि डब्ल्यूएचओ ने "इस तरह की दोषपूर्ण सिफारिश क्यों की है।" डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रैवल बैन लगाने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, 'सौभाग्य से मैंने चीन से अपनी सीमाएं जल्द खोलने की उनकी सलाह को खारिज कर दिया।'बहरहाल, डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है। अमेरिका में कोरोना वायरस से निपटने को लेकर अपने रवैये पर ट्रंप खुद भी आलोचना के घेरे में हैं।भारत पर ट्रंप का बयानविश्व स्वास्थ्य संगठन पर अपनी इस टिप्पणी से पहले डोनाल्ड ट्रंप का भारत को लेकर दिया गया बयान भी चर्चा के केंद्र में रहा। डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया की ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवाई ना देने पर भारत को छुपे शब्दों में कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि निजी अनुरोध के बाद भी भारत का दवाई ना देना उनके लिए चौंकाने वाला होगा क्योंकि वॉशिंगटन के नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध हैं।बता दें कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की एक पुरानी और सस्ती दवाई है। ट्रंप इसे कोरोना वायरस के इलाज के लिए व्यवहारिक बता रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से अमेरिका में 12,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और करीब साढ़े तीन लाख लोग इससे संक्रमित हैं।