देश / e-Agenda: कोरोना से जंग में होम्योपैथी कितनी कारगर, विशेषज्ञ ने किया ये दावा

आज जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, हर तरफ इसके इलाज पर काम हो रहा है। एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेद और होम्योपैथ भी इसका इलाज खोजने में लगे हैं। आयुर्वेद जहां इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोना से जंग लड़ने की वकालत कर रहा है, वहीं होम्योपैथ इसको लेकर नई पर‍िभाषा दे रहा है।

AajTak : Apr 25, 2020, 05:31 PM
दिल्ली: आज जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, हर तरफ इसके इलाज पर काम हो रहा है। एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेद और होम्योपैथ भी इसका इलाज खोजने में लगे हैं। आयुर्वेद जहां इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोना से जंग लड़ने की वकालत कर रहा है, वहीं होम्योपैथ इसको लेकर नई पर‍िभाषा दे रहा है।

आज तक ई एजेंडा के चीनी वायरस देसी इलाज सेशन में होम्योपैथी पर भी चर्चा हुई। इस सेशन में डॉ। मुकेश बत्रा- फाउंडर, बत्रा ग्रुप ऑफ कंपनीज, डॉ। विपुल अग्रवाल- डिप्टी सीईओ, NHA और आयुष्मान भारत, आचार्य राम गोपाल दीक्षित- फाउंडर प्रेसिडेंट, आरोग्यपीठ और डॉ। प्रताप चौहान- डायरेक्टर, जीवा आयुर्वेद मौजूद थे।

इस सेशल में बोलते हुए डॉ। मुकेश बत्रा, फाउंडर, बत्रा ग्रुप ऑफ कंपनीज, ने कहा कि होम्योपैथी ऐसी चिकित्सा पद्ध‍ति है जिसने 250 साल पहले एपिडेमिस के बारे में जो उनके फाउंडर थे semul hahnemann उन्होंने इसके लिए genus epidemicus एक प्रयोग किया था। उन्होंने इसके बारे में अपनी किताब में अपना पूरा वर्णन किया था।

डॉ बत्रा ने कहा कि ये आज से नहीं है बीते 100 सालों से होम्योपैथिक में एपिडेमिक को लेकर प्रयोग हुए हैं। पहले जब स्पेनिश फ्लू हुआ था, उसमें ट्रेडिशनल दवाएं दी गईं तब उसका मृत्युदर 30 प्रतिशत था। तब भी होम्योपैथी की दवाएं कारगर साबित हुई थीं। इसी तरह फिर हिंदुस्तान में भी इसका यूज किया गया था।

कोरोना पर होम्योपैथी की बात करें तो आयुष मंत्रालय ने सुझाव दिया था आर्सेनिक एल 30 दवा प्रिवेंटिव(बचाव के लिए) इस्तेमाल की जाए। फिर पूना में बजाज ऑटो ने अपने एंप्लाई को इसे दिया है, हमने भी अपने ट्रेनिंग के द्वारा इसे दिया और इसके कई फायदे सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी स्पेसिफिक इम्युनिटी की तरह काम करती है, दूसरी चीज जनरल इम्युनिटी में ये व्यक्तिगत तौर पर काम करता है।

होम्योपैथ‍िक के बारे में धारणा है कि इलाज के नतीजे लंबे समय बाद आते हैं, ऐसे में होम्योपैथी कितनी कारगर हो सकती है। इस सवाल पर डॉ बत्रा ने कहा कि ये गलतफहमी है, संक्रमण के दौरान पहले भी होम्योपैथी को यूज किया गया था। बर्ड फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस में इसका इस्तेमाल हुआ था। तब आंध्र प्रदेश सरकार ने 10 लाख डोज बेलाडोना के दिए थे। उन्होंने दावा किया कि एक्यूट बीमारी में होम्योपैथी का असर बहुत जल्दी होता है।