लाइफस्टाइल / Earth Day: पृथ्वी पर ही क्यों रह रहे हैं हम...? नासा ने बताए 9 कारण

पृथ्वी पर ऑक्सीजन और अन्य गैसों की सही मात्रा है। जिसकी वजह से हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं। अगर हम मंगल या किसी और ग्रह पर होते तो हमें सांस लेने के लिए मशीनों या ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती। मंगल ग्रह का वायुमंडल धरती के वायुमंडल से 100 गुना हल्का है। मंगल पर सही चुंबकीय क्षेत्र न होने से गैसों का सही मूवमेंट नहीं है। धरती पर है। मंगल पर पानी नहीं है।

AajTak : Apr 22, 2020, 02:13 PM
आज यानी 22 अप्रैल 2020 को पूरी दुनिया पृथ्वी दिवस (Earth Day) मना रही है। जबकि, हमारी दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। इस धरती पर इतनी आपदाएं आती हैं। दिक्कतें भी हैं। हर साल प्रकृति अपने विकराल रूप से हजारों लोगों को मार देती है। इन सबके बावजूद हम पृथ्वी पर रहते हैं। आखिर क्यों? हम किसी और ग्रह पर क्यों नहीं चले जाते।।।इन्हीं सवालों का जवाब दिया है अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने। 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पृथ्वी दिवस की 50वीं सालगिरह पर यहां रहने के 9 कारण बताए हैं।

1। हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं

पृथ्वी पर ऑक्सीजन और अन्य गैसों की सही मात्रा है। जिसकी वजह से हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं। अगर हम मंगल या किसी और ग्रह पर होते तो हमें सांस लेने के लिए मशीनों या ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती। मंगल ग्रह का वायुमंडल धरती के वायुमंडल से 100 गुना हल्का है। मंगल पर सही चुंबकीय क्षेत्र न होने से गैसों का सही मूवमेंट नहीं है। धरती पर है। मंगल पर पानी नहीं है। सिर्फ रेत है। तापमान माइनस 63 तक चला जाता है। धरती पर हर जगह ऐसा नहीं होता। 

2। मजबूत जमीन मिली है सीधे खड़े होने के लिए

धरती पर हमें एक मजबूत जमीन मिली है सीधे खड़े होने के लिए। साथ ही उपयुक्त मात्रा में गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)। आपने कभी सूर्य की सतह को ध्यान से देखा है। मान लीजिए अगर आप उसकी सतह पर खड़े हों तो वहां टिकेंगे नहीं बल्कि 3।30 लाख किलोमीटर अंदर उसके केंद्र में चले जाएंगे। आपको पता है सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती की ग्रैविटी से 28 गुना ज्यादा है। यानी 77 किलोग्राम के आदमी का सूर्य पर वजन हो जाएगा 2245 किलोग्राम। तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस। कैसे जिएंगे वहां। धरती का तापमान, गुरुत्वाकर्षण शक्ति सबकुछ इंसान और अन्य जीव-जंतुओं के हिसाब से एकदम दुरुस्त है। 

3। बदलते हुए सुहाने मौसम हैं धरती पर

जब से पृथ्वी के मौसम के बारे में लोगों ने जानकारी रखी है। तब से दुनिया के किसी न किसी कोने में हर मौसम को उत्सव की तरह मनाया जाता है। क्योंकि हमारी धरती अपनी धुरी पर 23।5 डिग्री झुकी हुई है। इसलिए ऐसे सुहाने मौसम देखने को मिलते हैं। हमें हमेशा गर्मी या सर्दी झेलने को नहीं मिलती। शुक्र ग्रह (Venus) पर ऐसा नहीं है। वह अपनी धुरी पर बहुत हल्का सा झुका है। इसलिए वहां मौसम बदलता ही नहीं। वहां पूरे साल 464 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है। 

4। सही मात्रा में ग्रैविटी है धरती पर

धरती पर एकदम सही मात्रा में ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण बल है। यह इतना संतुलित है कि आप सीधे खड़े होकर चल पाते हैं। जबकि एक ब्लैक होल में इतना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल होता है कि वो आपको घसीटकर और दबाकर नूडल्स की तरह मोड़ दे। आप सीधे खड़े ही न रह सकें। अच्छी बात ये है कि धरती के आसपास कोई ब्लैक होल नहीं है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती की ग्रैविटी से 28 गुना ज्यादा है। 

5। धरती पर ठंडी बयार बहती है

हमे धन्यवाद देना चाहिए धरती का कि यहां ठंडी बयार या राहत देने वाली हवा बहती है। साथ ही आप स्वच्छ हवा में सांस ले पाते हैं। हमारी धरती पर हवा चलने की गति बेहद संतुलित है। जबकि बृहस्पति ग्रह (Jupiter) पर बहने वाली हवा की सामान्य गति 430 से 680 किलोमीटर है। यानी अगर कोई स्काईडाइविंग करे तो वह धरती की तुलना में आसमान से जमीन की ओर 2।5 गुना ज्यादा गति से आएगा। यानी धरती पर तो इतनी गति की हवा चक्रवाती तूफानों में ही बहती है। यानी हमारी धरती की हवा की गति बेहतर है। 

6। खूबसूरत नीला, सफेद और हरा रंग

नीला यानी पानी, सफेद यानी बर्फ और हरा यानी पेड़ पौधे। अगर आप धरती को अंतरिक्ष से देखें तो यह एकदम ऐसी ही दिखती है। आंखों को सुकून देने वाली खूबसूरत रंगों से भरी हुई। हमारे यहां समुद्र में ज्वारभाटा आता है अधिकतम 50 फीट ऊंचा। लेकिन बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा लो (LO) पर यह 330 फीट ऊंचा होता है। लेकिन इस ग्रह पर पानी नहीं गर्म पत्थरों का ज्वारभाटा उठता है। क्योंकि यह ग्रह ज्वालामुखियों से भरा पड़ा है। यहां ज्वालामुखियों के झरने बहते हैं जो सैकड़ों किलोमीटर तक बहते हैं। यानी धरती ठीक है। 

7। साफ आकाश, पानी और सही मात्रा में धूप

धरती से आपको साफ आसमान दिखता है। सही मात्रा में पानी है जिसका हर तरह से उपयोग करते हैं। संतुलित मात्रा में धूप मिलती है जीवन को आगे बढ़ाने के लिए। शनि ग्रह (Saturn) के दूसरे सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर भी झीलें हैं। बादल हैं। बारिश होती हैं। नदियां हैं। बहुत कुछ धरती जैसा ही है लेकिन वहां ऑक्सीजन नहीं है। फिर आप सोचेंगे कि फिर ये सब कैसे मौजूद हैं वहां। वहां झीलें, बादल, नदियां, बारिश सब कुछ तरल मीथेन के हैं। यानी हमारी धरती फिर सही निकली इस मामले में भी। 

8। जमीन और जल का बेहतर संतुलन है यहां

हमारी धरती पर जमीन और जल का बेहतर संतुलन है। बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर भी पानी है। समंदर है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्क्त ये है कि ये समुद्र पूरे ग्रह पर है। वहां कोई जमीन नहीं है। इसलिए आप धरती की तरह वहां बीच या तट का मजा नहीं ले सकते। ये आनंद आपको धरती पर ही मिलेगा। दूसरा यूरोपा का तापमान जो माइनस 223 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। ठंडे पानी की वजह से। जबकि धरती पर ऐसी कोई जगह है ही नहीं। 

9। खूबसूरत बादल हैं हमारी धरती पर

धरती पर आपको हमेशा अलग-अलग रंगों के बादल दिखते हैं। लेकिन ये कभी आपको नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन अंतरिक्ष में हमारी धरती के बादलों वाले कई ग्रह है। हमारे सोलर सिस्टम में करीब 4 हजार से ज्यादा ग्रह खोजे गए हैं। हम बात करते हैं केपलर-7बी की। इस पर भी बादल है। बहुत सारे लेकिन हमेशा घने और न हिलने वाले बादल। इस ग्रह की जमीन पर सूर्य की रोशनी पहुंचती ही नहीं। केपलर-7बी ग्रह के चारों तरफ के बादल गर्म पत्थरों से निकली भाप और लोहे के कणों से बने हैं। इन बादलों का तापमान 1356 डिग्री सेल्सियस रहता है।