News18 : May 16, 2020, 08:53 AM
नई दिल्ली: पृथ्वी की अंदर की परतें क्या अपनी घूमने की दिशा बदल रही हैं। हाल ही में हुए एक शोध से वैज्ञानिकों को ऐसा ही लगता है। उनके अध्ययन के अनुसार हाल ही में पृथ्वी की सबसे अंदर की परत जिसे क्रोड़ (Core) कहते हैं, उसकी आंतरिक और बाह्य परतों की घूमने की दिशा में बदलाव आ रहा है। इसकी पुष्टि पृथ्वी के अंदर से आ रही भूगर्भीय तरंगों (Seismic Waves) ने की है।भूकंप संबंधी आंकड़ों से मिले यह नतीजेयह शोध भूकंप संबंधी आंकड़ों के आधार पर है। यह आंकड़े पृथ्वी पर बार बार होने वाले भूकंप और उनसे संबंधी नई पद्धतियों के आधार पर जमा किए गए हैं। इनसे पता चला है कि पृथ्वी का आंतरिक क्रोड (Inner core) अलग तरह से घूम रहाी है। इस शोध के नतीजों से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic field) की उन प्रक्रियाओं के बारे में भी पता चल सकेगा जो उसे नियंत्रित करती हैं।24 साल पहले के आंकड़े ने भी दिखाया ये बदलावशोध के सहलेखक और जियोलॉजी के प्रोफेसर जियाओडॉन्ग सॉन्ग का कहना है, “हमारी टीम को 1996 में आंतरिक क्रोड से जाने वाली भूकंपीय तरंगों में छोटा लेकिन व्यवस्थित बदलाव दिखाई दिया था। जिसे हमने पृथ्वी की सतह के परस्पर आंतरिक क्रोड के घूर्णन का प्रमाण माना था। हालांकि कुछ शोधों का यह मानना है कि जिसे हम आंतरिक क्रोड की गतिविधि मान रहे हैं, इस दरअसल इस क्रोड के सिकुड़ने और फैलने के कारण लग रहा है जैसा कि पर्वतों के बढ़ने या खाइयों कटने के कारण होता है।
एक ही स्थान के आंकड़ों ने दिए बदलाव के संकेतशोधकर्ताओं ने भूकंपी आंकड़ों का फिर से अध्ययन किया जो विभिन्न जगहों से और एक ही स्थान पर बार बार आने वाले भूकंपों के थे। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर संकेतों के बदलावों का भी पता चला और वे उन्हें अंतरिक गतिविधि और घूर्णन के संकेतों से अलग कर सके।कैसे पता चला कि आंतरिक क्रोड़ में हो रहे हैं बदलाववैज्ञानिकों ने पाया कि भूकंप से पैदा होने वाली भूगर्भीय तरंगें पृथ्वी के आंतरिक क्रोड तक चली जाती है और कुछ समय बाद बदल जाती है जो कि तब कतई नहीं हो सकता जब यह आंतरिक क्रोड़ स्थाई हो यानि की पृथ्वी की ऊपरी सतह के साथ ही घूम रहा हो। सॉन्ग का कहना है कि वे देख पा रहे हैं कि ये परावर्तित तरंगे प्रतिबिंबित किरणों के आने से पहले ही बदल जाती हैं। इससे साफ होता है कि ये बदलाव आंतरिक क्रोड़ में हो रहे हैं।
कैसे हटाई त्रुटियों की गुंजाइशप्रमुख शोधकर्ता यी यांग का कहना है कि हमारा शोध इसलिए अलग है कि यह सटीकता से बता सकता है कि कब इन भूगर्भीय तरंगों में बदलाव होते हैं और दुनिया के विभिन्न सीज्मिक स्टेशनों में पहुंचते हैं। हमने उन तरंगों को आधार बनाया जो आंतरिक क्रोड तक पहुंचती ही नहीं हैं। इससे त्रुटियों की संभावना हट जाती है।
इस बदलाव के प्रभाव को नहीं समझा जा सका है अब तकवैज्ञानिकों को यह बदलाव सामियक लगते हैं लेकिन ये काफी समय से धीरे-धीरे हो रहे हैं। पृथ्वी की ये आंतरिक परते हैं पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड को बनाने के लिए जिम्मेदार हैं, भूगर्भविज्ञानियों को अभी तक यह पूरी तरह से समझ में नहीं आया है कि पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड बनाने वाला जनरेटर काम कैसे करता है। फिर भी उनका मानना है कि इसका हमारी पृथ्वी के भीतर बाह्य और आंतरिक क्रोड (Core) की सीमा में होने वाली गतिक (Dynamic) प्रक्रियाओं से गहरा संबंध है।प्रोफेसर सॉन्ग का कहना है कि तरंगों के आगमन के समय का सटीक विश्लेषण, उच्च गुणवत्ता के आंकड़े और यांग कि सटीक सांख्यिकीय विश्लेषण ही इस शोध की ताकत है। इससे यह सिद्ध होता है कि जो सामयिक बदलाव हो रहे हैं उसमें से ज्यादातर आंतरिक क्रोड से ही हो रहे हैं।
एक ही स्थान के आंकड़ों ने दिए बदलाव के संकेतशोधकर्ताओं ने भूकंपी आंकड़ों का फिर से अध्ययन किया जो विभिन्न जगहों से और एक ही स्थान पर बार बार आने वाले भूकंपों के थे। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर संकेतों के बदलावों का भी पता चला और वे उन्हें अंतरिक गतिविधि और घूर्णन के संकेतों से अलग कर सके।कैसे पता चला कि आंतरिक क्रोड़ में हो रहे हैं बदलाववैज्ञानिकों ने पाया कि भूकंप से पैदा होने वाली भूगर्भीय तरंगें पृथ्वी के आंतरिक क्रोड तक चली जाती है और कुछ समय बाद बदल जाती है जो कि तब कतई नहीं हो सकता जब यह आंतरिक क्रोड़ स्थाई हो यानि की पृथ्वी की ऊपरी सतह के साथ ही घूम रहा हो। सॉन्ग का कहना है कि वे देख पा रहे हैं कि ये परावर्तित तरंगे प्रतिबिंबित किरणों के आने से पहले ही बदल जाती हैं। इससे साफ होता है कि ये बदलाव आंतरिक क्रोड़ में हो रहे हैं।
कैसे हटाई त्रुटियों की गुंजाइशप्रमुख शोधकर्ता यी यांग का कहना है कि हमारा शोध इसलिए अलग है कि यह सटीकता से बता सकता है कि कब इन भूगर्भीय तरंगों में बदलाव होते हैं और दुनिया के विभिन्न सीज्मिक स्टेशनों में पहुंचते हैं। हमने उन तरंगों को आधार बनाया जो आंतरिक क्रोड तक पहुंचती ही नहीं हैं। इससे त्रुटियों की संभावना हट जाती है।
इस बदलाव के प्रभाव को नहीं समझा जा सका है अब तकवैज्ञानिकों को यह बदलाव सामियक लगते हैं लेकिन ये काफी समय से धीरे-धीरे हो रहे हैं। पृथ्वी की ये आंतरिक परते हैं पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड को बनाने के लिए जिम्मेदार हैं, भूगर्भविज्ञानियों को अभी तक यह पूरी तरह से समझ में नहीं आया है कि पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड बनाने वाला जनरेटर काम कैसे करता है। फिर भी उनका मानना है कि इसका हमारी पृथ्वी के भीतर बाह्य और आंतरिक क्रोड (Core) की सीमा में होने वाली गतिक (Dynamic) प्रक्रियाओं से गहरा संबंध है।प्रोफेसर सॉन्ग का कहना है कि तरंगों के आगमन के समय का सटीक विश्लेषण, उच्च गुणवत्ता के आंकड़े और यांग कि सटीक सांख्यिकीय विश्लेषण ही इस शोध की ताकत है। इससे यह सिद्ध होता है कि जो सामयिक बदलाव हो रहे हैं उसमें से ज्यादातर आंतरिक क्रोड से ही हो रहे हैं।