News18 : Aug 29, 2020, 07:26 AM
नई दिल्ली। आज से 3 दिन के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 6 महीने के लिए लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की अवधि समाप्त हो रही है। कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के बाद RBI ने तीन महीने के लिए लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था। बाद में इसकी अवधि और 3 महीनों के लिए बढ़ा दी गई, जोकि 31 अगस्त को खत्म हो रहा है। RBI द्वारा दूसरी बार इसकी अवधि बढ़ाने के बाद कई बैंकर्स ने कहा था कि लोन की रकम जमा नहीं होने से फाइनेंशियल सिस्टम (Financial System) की सेहत पर असर पड़ेगा।
दूसरे चरण में कम लोगों ने लिया मोरेटोरियम का लाभजेफरीज़ रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि लोन मोरेटोरियम की आंकड़े पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में कम हुए हैं। पहले चरण में 31 फीसदी बॉरोवर्स ने लोन मोरेटोरियम का लाभ लिया, जबकि दूसरे चरण में 18 फीसदी बॉरोवर्स (लोन लेने वाले) ने इसका लाभ लिया है। प्रमुख तौर पर इसके पीछे दो कारण हैं। पहला तो यह कि जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगीं, वैसे-वैसे बॉरोवर्स ने लोन रिपेमेंट करना भी शुरू कर दिया। दूसरा कारण यह है कि बैंक भी मोरेटोरियम का लाभ देने के लिए सख्त हुए हैं।भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वो लेंडर्स को लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring Scheme) की सुविधा देगा। इससे उन लोगों को राहत मिल सकेगा, जिन्होंने लोन लिया है लेकिन मौजूदा संकट में रिपेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा के तहत बॉरोवर्स लोन पेमेंट को नये तरीके से शेड्यूल कर सकेंगे। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।।।[q]लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर RBI ने क्या कहा है?[/q][ans]RBI ने लेंडर्स के लिए वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम (One-Time Restructuring Scheme) का ऐलान किया है। इसके तहत लोन की रिपेमेंट शर्तों में बदलाव किया जा सकेगा। इसके तहत बॉरोवर्स का अकाउंट स्टैंडर्ड ही रखा जाएगा। उन्हें डिफॉल्टर या नॉन-परफॉर्मिंग लोन अकाउंट के तौर पर मार्क नहीं किया जाएगा। आमतौर पर रिपेमेंट फेल होने के 90 दिनों के बाद ऐसे अकाउंट को NPA अकाउंट घोषित कर दिया जाता है।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चरिंग विंडो कब तक के लिए होगा?[/q][ans]आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, बैंक 31 दिसंबर 2020 तक योग्य लोन्स को रिस्ट्रक्चर कर सकेंगे।[/ans]
[q]क्या गैर-बैंकिंग संस्थाओं और सहकारी बैंकों का लोन भी रिस्ट्रक्चर हो सकेगा?[/q][ans]हां, RBI ने सभी सरकारी बैंक, प्राइवेट बैंक, भारत में आॅपरेट करने वाले विदेशी बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, लोकल एरिया बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, शहरी सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, गैर-बैकिंग वित्तीय संस्थान, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों को यह सुविधा दिया है।[/ans]
[q]क्या सभी लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए योग्य होंगे?[/q][ans]यह स्कीम उन सभी पर्सनल और कॉरपोरेट लोन्स (Corporate Loans) के लिए है, जो मौजूदा संकट की वजह से स्ट्रेस में है। इसके लिए कुछ शर्तें हैं। लेकिन फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स, कुल 25 करोड़ रुपये से कम आउटस्टैंडिंग वाले MSME बॉरोवर्स, फार्म क्रेडिट और सरकारी संस्थाओं को दिए गए लोन इसके लिए योग्य नहीं होंगे। कृषि के लिए प्राइमारी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज यानी पीएसीएस या फार्मर्स सर्विस सोसाइटीज को दिए गए लोन रिस्ट्रक्चरिंग के दायरे में आएंगे।[/ans]
[q]इस स्कीम के तहत बॉरोवर्स के लिए क्या शर्तें हैं?[/q][ans]इस स्कीम का लाभ केवल वही बॉरोवर्स ले सकेंगे, जिन्होंने अब तक समय पर लोन रिपेमेंट किया है। एक शर्त यह भी है कि 31 मार्च 2020 तक कम से कम 30 दिनों के लिए उन्होंने कोई अमाउंट ओवरड्यू (पुराना बकाया) नहीं रखा है।[/ans]
[q]पर्सनल लोन लेने वाले लोगों को रिस्ट्रक्चरिंग का क्या लाभ मिलेगा?[/q][ans]किसी बॉरोवर के लिए लोन रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब होगा कि उनके लोन की शर्तों में बदलाव होंगे। जैसे पेमेंट को रिशेड्यूल किया जाएगा, छोटे लोन के लिए ब्याज में बदलाव, मोरेटोरियम अनुदान देने जैसे बदलाव होंगे। यह 2 साल से ज्यादा के लिए नहीं होगा। सभी योग्य बॉरोवर्स के अकाउंट को स्टैंडर्ड अकाउंट के तौर पर मेंटेन किया जाएगा।[/ans]
[q]पर्सनल रिस्ट्रक्चरिंग के लिए बैंकों का क्या नियम है?[/q][ans]लेंडर्स/बैंकों को किसी भी लोन को रिस्ट्रक्चर करने या रिजॉलुशन के लिए 90 दिन का समय दिया जाएगा। अगर वो इस अवधि में इसे लागू करने में फेल होते हैं तो उन्हें कोविड-19 लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। उन्हें लोन को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित करना होगा।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चरिंग के लिए RBI एक एक्सपर्ट कमेटी भी बना रही है। इसकी क्या भूमिका होगी?[/q][ans]अनुभवी बैंकर के वी कामथ (K V Kamath) की अगुवाई में एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई जा रही है। यह कमेटी RBI को इस लोन रिकास्ट स्कीम के बारे में सलाह देगी। यह कमेटी कुछ फाइनेंशियल पैरामीटर्स के एक लिस्ट की सिफारिशक करेगी, जिसे रिजालुशन प्लान के वक्त ध्यान रखना होगा। यह सेक्टर के आधार पर होगी। कमेटी यह भी देखेगी कि बड़े रिजालुशन प्लान में उचित नियमों का पालन हो रहा है या नहीं।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चर्ड लोन को बैड लोन में तब्दील होने की भी संभावना है। RBI इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?[/q][ans]मौजूदा नियमों के तहत, बैंकों ने अपने कुल लोन का 15 फीसदी हिस्सा प्रोविजन बफर के लिए रखा है। हालांकि, कोविड-19 विंडो के तहत RBI ने इन बैंकों से कहा है कि वो फिर से बातचीत के बाद के कर्ज का 10 फीसदी हिस्सा अलग से रखें। यह पर्सनल लोन और कॉरपोरेट लोन के लिए होगा। हालांकि कॉरपोरेट लोन के लिए, जिन लेंडर्स ने इनवोकेशन के 30 दिनों के अंदर ICA साइन नहीं किया है, उन्हें इस रकम का 20 फीसदी हिस्सा अलग से रखना होगा।[/ans][ans]मौजूदा नियमों के तहत, बैंकों ने अपने कुल लोन का 15 फीसदी हिस्सा प्रोविजन बफर के लिए रखा है। हालांकि, कोविड-19 विंडो के तहत RBI ने इन बैंकों से कहा है कि वो फिर से बातचीत के बाद के कर्ज का 10 फीसदी हिस्सा अलग से रखें। यह पर्सनल लोन और कॉरपोरेट लोन के लिए होगा। हालांकि कॉरपोरेट लोन के लिए, जिन लेंडर्स ने इनवोकेशन के 30 दिनों के अंदर ICA साइन नहीं किया है, उन्हें इस रकम का 20 फीसदी हिस्सा अलग से रखना होगा।[/ans]
दूसरे चरण में कम लोगों ने लिया मोरेटोरियम का लाभजेफरीज़ रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि लोन मोरेटोरियम की आंकड़े पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में कम हुए हैं। पहले चरण में 31 फीसदी बॉरोवर्स ने लोन मोरेटोरियम का लाभ लिया, जबकि दूसरे चरण में 18 फीसदी बॉरोवर्स (लोन लेने वाले) ने इसका लाभ लिया है। प्रमुख तौर पर इसके पीछे दो कारण हैं। पहला तो यह कि जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगीं, वैसे-वैसे बॉरोवर्स ने लोन रिपेमेंट करना भी शुरू कर दिया। दूसरा कारण यह है कि बैंक भी मोरेटोरियम का लाभ देने के लिए सख्त हुए हैं।भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वो लेंडर्स को लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring Scheme) की सुविधा देगा। इससे उन लोगों को राहत मिल सकेगा, जिन्होंने लोन लिया है लेकिन मौजूदा संकट में रिपेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा के तहत बॉरोवर्स लोन पेमेंट को नये तरीके से शेड्यूल कर सकेंगे। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।।।[q]लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर RBI ने क्या कहा है?[/q][ans]RBI ने लेंडर्स के लिए वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम (One-Time Restructuring Scheme) का ऐलान किया है। इसके तहत लोन की रिपेमेंट शर्तों में बदलाव किया जा सकेगा। इसके तहत बॉरोवर्स का अकाउंट स्टैंडर्ड ही रखा जाएगा। उन्हें डिफॉल्टर या नॉन-परफॉर्मिंग लोन अकाउंट के तौर पर मार्क नहीं किया जाएगा। आमतौर पर रिपेमेंट फेल होने के 90 दिनों के बाद ऐसे अकाउंट को NPA अकाउंट घोषित कर दिया जाता है।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चरिंग विंडो कब तक के लिए होगा?[/q][ans]आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, बैंक 31 दिसंबर 2020 तक योग्य लोन्स को रिस्ट्रक्चर कर सकेंगे।[/ans]
[q]क्या गैर-बैंकिंग संस्थाओं और सहकारी बैंकों का लोन भी रिस्ट्रक्चर हो सकेगा?[/q][ans]हां, RBI ने सभी सरकारी बैंक, प्राइवेट बैंक, भारत में आॅपरेट करने वाले विदेशी बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, लोकल एरिया बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, शहरी सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, गैर-बैकिंग वित्तीय संस्थान, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों को यह सुविधा दिया है।[/ans]
[q]क्या सभी लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए योग्य होंगे?[/q][ans]यह स्कीम उन सभी पर्सनल और कॉरपोरेट लोन्स (Corporate Loans) के लिए है, जो मौजूदा संकट की वजह से स्ट्रेस में है। इसके लिए कुछ शर्तें हैं। लेकिन फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स, कुल 25 करोड़ रुपये से कम आउटस्टैंडिंग वाले MSME बॉरोवर्स, फार्म क्रेडिट और सरकारी संस्थाओं को दिए गए लोन इसके लिए योग्य नहीं होंगे। कृषि के लिए प्राइमारी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज यानी पीएसीएस या फार्मर्स सर्विस सोसाइटीज को दिए गए लोन रिस्ट्रक्चरिंग के दायरे में आएंगे।[/ans]
[q]इस स्कीम के तहत बॉरोवर्स के लिए क्या शर्तें हैं?[/q][ans]इस स्कीम का लाभ केवल वही बॉरोवर्स ले सकेंगे, जिन्होंने अब तक समय पर लोन रिपेमेंट किया है। एक शर्त यह भी है कि 31 मार्च 2020 तक कम से कम 30 दिनों के लिए उन्होंने कोई अमाउंट ओवरड्यू (पुराना बकाया) नहीं रखा है।[/ans]
[q]पर्सनल लोन लेने वाले लोगों को रिस्ट्रक्चरिंग का क्या लाभ मिलेगा?[/q][ans]किसी बॉरोवर के लिए लोन रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब होगा कि उनके लोन की शर्तों में बदलाव होंगे। जैसे पेमेंट को रिशेड्यूल किया जाएगा, छोटे लोन के लिए ब्याज में बदलाव, मोरेटोरियम अनुदान देने जैसे बदलाव होंगे। यह 2 साल से ज्यादा के लिए नहीं होगा। सभी योग्य बॉरोवर्स के अकाउंट को स्टैंडर्ड अकाउंट के तौर पर मेंटेन किया जाएगा।[/ans]
[q]पर्सनल रिस्ट्रक्चरिंग के लिए बैंकों का क्या नियम है?[/q][ans]लेंडर्स/बैंकों को किसी भी लोन को रिस्ट्रक्चर करने या रिजॉलुशन के लिए 90 दिन का समय दिया जाएगा। अगर वो इस अवधि में इसे लागू करने में फेल होते हैं तो उन्हें कोविड-19 लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। उन्हें लोन को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित करना होगा।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चरिंग के लिए RBI एक एक्सपर्ट कमेटी भी बना रही है। इसकी क्या भूमिका होगी?[/q][ans]अनुभवी बैंकर के वी कामथ (K V Kamath) की अगुवाई में एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई जा रही है। यह कमेटी RBI को इस लोन रिकास्ट स्कीम के बारे में सलाह देगी। यह कमेटी कुछ फाइनेंशियल पैरामीटर्स के एक लिस्ट की सिफारिशक करेगी, जिसे रिजालुशन प्लान के वक्त ध्यान रखना होगा। यह सेक्टर के आधार पर होगी। कमेटी यह भी देखेगी कि बड़े रिजालुशन प्लान में उचित नियमों का पालन हो रहा है या नहीं।[/ans]
[q]रिस्ट्रक्चर्ड लोन को बैड लोन में तब्दील होने की भी संभावना है। RBI इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?[/q][ans]मौजूदा नियमों के तहत, बैंकों ने अपने कुल लोन का 15 फीसदी हिस्सा प्रोविजन बफर के लिए रखा है। हालांकि, कोविड-19 विंडो के तहत RBI ने इन बैंकों से कहा है कि वो फिर से बातचीत के बाद के कर्ज का 10 फीसदी हिस्सा अलग से रखें। यह पर्सनल लोन और कॉरपोरेट लोन के लिए होगा। हालांकि कॉरपोरेट लोन के लिए, जिन लेंडर्स ने इनवोकेशन के 30 दिनों के अंदर ICA साइन नहीं किया है, उन्हें इस रकम का 20 फीसदी हिस्सा अलग से रखना होगा।[/ans][ans]मौजूदा नियमों के तहत, बैंकों ने अपने कुल लोन का 15 फीसदी हिस्सा प्रोविजन बफर के लिए रखा है। हालांकि, कोविड-19 विंडो के तहत RBI ने इन बैंकों से कहा है कि वो फिर से बातचीत के बाद के कर्ज का 10 फीसदी हिस्सा अलग से रखें। यह पर्सनल लोन और कॉरपोरेट लोन के लिए होगा। हालांकि कॉरपोरेट लोन के लिए, जिन लेंडर्स ने इनवोकेशन के 30 दिनों के अंदर ICA साइन नहीं किया है, उन्हें इस रकम का 20 फीसदी हिस्सा अलग से रखना होगा।[/ans]