COVID-19 Update / वैक्सीन मिल भी गई तो कोरोना खत्म करने में ये लोग पैदा करेंगे बड़ी दिक्कत

AajTak : Jul 07, 2020, 04:31 PM
Covid19: एक सर्वे में पता चला है कि ब्रिटेन में हर छह में से एक व्यक्ति कोरोना की वैक्सीन लगवाने से मना कर देगा। करीब इतनी ही संख्या ऐसे लोगों की भी है जो अब तक तय नहीं कर पाए हैं कि वैक्सीन उपलब्ध होने पर वे हां कहेंगे या ना। ब्रिटिश टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले कुछ सर्वे में ये भी सामने आया है कि अमेरिका, जर्मनी और चेक रिपब्लिक की करीब आधी आबादी वैक्सीन नहीं लगवाएगी। 

कई देशों की सोशल मीडिया पर एंटी वैक्सिनेशन कैंपेन चल रहे हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर खतरा जताया है और कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियां गैर जिम्मेदाराना तरीके से ऐसे कंटेंट को प्रकाशित करने दे रही हैं। इसकी वजह से कम्युनिटी में वायरस को रोकना मुश्किल होगा।

असल में किसी समाज में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कम से कम 60 से 70 फीसदी आबादी के इम्यून होने (हर्ड इम्यूनिटी) की जरूरत होती है। चाहे वे वायरस से संक्रमित होने की वजह से इम्यून हों या वैक्सीन से। आमतौर पर 60 फीसदी लोगों के इम्यून होने पर वायरस का चेन टूट जाता है और बचे लोग संक्रमित होने से बच जाते हैं। लेकिन अगर काफी संख्या में लोग वैक्सीन लगाने से इनकार करते हैं तो हर्ड इम्यूनिटी हासिल करना यानी वायरस को रोकना मुश्किल हो जाएगा।

सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (CCDH) नाम की संस्था के लिए YouGov ने सर्वे किया था। सर्वे में पता चला कि ब्रिटेन के 16 फीसदी वयस्क शायद या पक्के तौर पर वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। CCDH ने जब सोशल मीडिया पर एंटी वैक्सीन कैंपेन चलाने वाले टॉप-150 पेज की पड़ताल की पता चला कि कोरोना संकट शुरू होने के वक्त से अब तक इन पेज के करीब 80 लाख फॉलोअर्स बढ़े हैं। वहीं, ऐसे 400 ग्रुप में कुल 5 करोड़ 50 लाख फॉलोअर्स हैं।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन में वैक्सीन कंफिडेंस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हेदी लार्सन का कहना है कि यह एक चुनौती होने जा रही। खासकर आम आबादी नई वैक्सीन को लेकर अधिक चिंतित है और यह समझने योग्य भी है।

इससे पहले अमेरिकी सरकार के कोरोना टास्क फोर्स में शामिल और देश के टॉप संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ। एंथनी फाउसी ने सीएनएन से कहा था कि उन्हें लगता है कि एंटी वैक्सिंग और एंटी साइंस माहौल की वजह से अमेरिका में हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की संभावना कम है।

वहीं, चेक यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंस के वायरोलॉजिस्ट जिरी कर्नी कहते हैं कि लोगों के लिए वैक्सीन लगवााना अनिवार्य करने के बारे में विचार किया जाना चाहिए। बता दें कि एक सर्वे में पता चला था कि चेक रिपब्लिक के सिर्फ 49 फीसदी लोग ही कोरोना की वैक्सीन लगवाना चाहते हैं।

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