Coronavirus / चीन में Covid-19 वैक्सीन के बंदरों पर हुए प्रयोग ने जगाई उम्मीद

कोविड-19 वैक्सीन का बंदरों पर हुआ प्रयोग सफल बताया जा रहा है। अब इस वैक्सीन के परीक्षण के अगले चरण में उसे इंसानों पर प्रयोग किया जाएगा। इस वैक्सीन की रिपोर्ट की समीक्षा अभी नहीं हुई है। एक सप्ताह पहले प्रकाशित इस अध्ययन की औपचारिक समीक्षा से पहले ही वैज्ञानिकों का इस पर ध्यान चला गया है। ट्विटर पर वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को खास तवज्जो दी है जबकि अभी तक इसका मानवों पर प्रयोग शुरू भी नहीं हुआ है।

News18 : Apr 26, 2020, 08:30 AM
Coronavirus: कोरोना वायरस (Corona virus) के फैलते प्रकोप के बीच दुनिया भर में सैकड़ों दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल (clinical Trail) चल रहा है। इसके अलावा कई वैक्सीन पर भी प्रयोग चल रहे हैं। इसी बीच चीन में एक वैक्सीन का बंदरों पर प्रयोग सफल होने की खबर आई है। अब उस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल किया जाएगा।

पहला चरण सफल हुआ 

कोविड-19 वैक्सीन का बंदरों पर हुआ प्रयोग सफल बताया जा रहा है। अब इस वैक्सीन के परीक्षण के अगले चरण में उसे इंसानों पर प्रयोग किया जाएगा। इस वैक्सीन की रिपोर्ट की समीक्षा अभी नहीं हुई है। एक सप्ताह पहले प्रकाशित इस अध्ययन की औपचारिक समीक्षा से पहले ही वैज्ञानिकों का इस पर ध्यान चला गया है। ट्विटर पर वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को खास तवज्जो दी है जबकि अभी तक इसका मानवों पर प्रयोग शुरू भी नहीं हुआ है।

नतीजों से उत्साह

यह वैक्सीन चीन की राजधानी बीजिंग की  सिनोवाक बायोटेक कंपनी ने विकसित किया है। लाइव साइंस में प्रकाशित लेख के अनुसार मनुष्यों पर परीक्षण करने से पहले इस वैक्सीन का जानवरों पर प्रीक्लीनिकल टेस्ट किया गया। इस दौरान इस वैक्सीन का रेसस मैकाक्यू नाम की वानर प्रजाति के कुछ बंदरों पर प्रयोग किया गया। इसके उत्साहजनक नतीजे आए  हैं।

पहली प्रबल दावेदार वैक्सीन

माउंट सिनाई के इकहान स्कूल ऑफ मेडिसिन के माइक्रोबायोलॉजी  विभाग के प्रोफेसर फ्लोरिएन क्रामेर ने अपने ट्वीट में कहा, “यह पहला गंभीर प्रीक्लीनिकल डेटा है जो मैं किसी वास्तविक वैक्सीन उम्मीदवार के तौर पर देखा है।

अब क्या होगा आगे

सिनोवाक के वरिष्ठ निदेशक मेंग वीनिंग ने बताया कि अब क्लीनिकल ट्रायल के अगले चरण में इस वैक्सीन का 114 लोगों पर प्रयोग कर यह जांचा जाएगा कि क्या सुरक्षित है। इसमें वैकसीन के प्रभावों की जांच की जाएंगी। उसकी सटीकता, प्रभावोत्पादकता, और उसके साइड इफेक्ट्स की भी जांच की जाएगी। इसके बाद वैक्सीन का एक हजार अन्य लोगों पर प्रयोग क्या जाएगा और तब देखा जाएगा कि क्या उन लोगों में भी वह पर्याप्त प्रतिरोध क्षमता पैदा कर पाती है या नहीं।

कैसे काम करती है यह वैक्सीन

इस वैक्सीन में सार्स कोव-2 का निष्क्रिय रूप है। शरीर में निष्क्रिय वायरस देने से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करती है। ये एंटीबॉडी बिना कोविड-19 संक्रमण हुए रोगाणुओं को निशाना बनाते हैं

इसे बनाना भी होगा आसान

जब यह वैकसीन चूहों और बंदरों में दी गई तो वैक्सीन ने ऐसी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दी थी। क्रमेर ने ट्विटर पर कहा, “यह एक पुरानी तकनीक है जो वैक्सीन के उत्पादन को आसान बनाएगी। मुझे सबसे अच्छा यह लगा कि  बहुत से वैक्सीन निर्माता यहां तक कि कम आमदनी वाले देश भी इस वैक्सीन को बना सकते हैं।”

दुनिया के हर नमूने पर दिख रही है प्रभावी

इतना ही नही  यह वैक्सीन विभिन्न देशों के मरीजों के नमूनों से लिए गए सार्स कोव-2  स्ट्रेंस पर प्रभावी रहे हैं। इनमें चीन इटली स्पेन,स्विट्जरलैंड और यूके शामिल हैं। ओरेगॉन हेल्थ और साइंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क स्लिफ्का का मानना है कि जिस तरह से अध्ययन में एंटीबॉडी विभिन्न स्टेंस को निष्प्रभावी कर रही  थीं, उससे साफ है कि वायरस इस तरह से म्यूटेट नहीं कर रहा है कि वह एक कोविड-19  वैक्सीन को बेअसर कर दे।

ऐसे मिले नतीजे

शोधकर्ताओं ने बंदरों को वैक्सीन देने के 8 दिन बाद उन्हें सार्स कोव-2 वायरस का संक्रमण दिया। लेकिन उनपर इसका असर नहीं हुआ। ज्यादा डोज वाले बंदरों पर तो बहुत बढ़िया असर हुआ और उन्हें वायरस के  संक्रमण नहीं दिखाई दिए। जबकि मध्यम डोज वाले बंदों में कुछ वायरस के लक्षण दिखे लेकिन वे नियंत्रण में दिखे। इन नतीजों ने शोधकर्ताओं में बहुत उत्साह बढ़ाया है।