Zee News : Aug 21, 2020, 06:53 AM
नई दिल्लीः सोशल मीडिया (Social Media) पर दुनिया भर में हर एक सेकंड करोड़ों लोग फोटोज पोस्ट करते हैं। पर यही फोटोज शेयर करना उनके पर्सनल लाइफ पर भारी पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया पर राज करने वाली फेसबुक (Facebook) यूजर के डेटा को लेकर एक बार फिर सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है।
इस बार फेसबुक की ही कंपनी इंस्टाग्राम पर गंभीर आरोप लगे हैं जिस कारण फेसबुक पर अमेरिका में भारी जुर्माना लग सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिका में फेसबुक पर एक मुकदमा दायर किया गया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि फेसबुक की सब कंपनी इंस्टाग्राम द्वारा यूजर्स की इजाजत के बिना उनका बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा किया गया है।ऐसा करने पर फेसबुक ने कानून का उल्लंघन किया जिस कारण कंपनी को अब 500 अरब डॉलर्स तक का भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। यहां पर दायर हुआ है मुकदमापिछले हफ्ते कैलिफोर्निया स्थित रेडवुड सिटी (Redwood City) की Court में यह मुकदमा दर्ज किया गया है। दायर किए गए इस मुकदमे में इंस्टाग्राम पर आरोप लगाया गया है कि कंपनी ऑटोमैटिकली लोगों के चेहरे को स्कैन करती है। इस दौरान उन लोगों के चेहरे भी स्कैन किए गए हैं जो किसी दूसरे के इंस्टाग्राम के अकाउंट में दिख रहे थे। ऐसे में इंस्टाग्राम के पास उन लोगों का डेटा भी मौजूद है जोकि कंपनी की प्लेटफॉर्म टर्म्स को मानते नहीं हैं। इस दौरान 100 करोड़ लोगों के डेटा को स्टोर किया गया और प्रॉफिट कमाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है।
लोगों की प्राइवेसी के खिलाफ है टूललोगों के चेहरे के बायोमेट्रिक डेटा के जरिए उनको किसी को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर ढूंढना मुश्किल नहीं होता जो यूजर की प्राइवेसी के खिलाफ है। इंस्टाग्राम पर आरोप लगाया गया कि इंस्टाग्राम फोटो-टैगिंग टूल के जरिए लोगों की पहचान करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक ने इस मुकदमे को निराधार बताया है। उनका कहना है कि इंस्टाग्राम फेसबुक पर दी जा रही फेस रिकग्निशन सेवाओं का उपयोग नहीं करती है। यह पहली बार नहीं है जब फेसबुक पर फेशियल रिकॉग्निशन के जरिए डेटा इकट्ठा करने को लेकर मुकदमा दायर किया गया है। पिछले महीने फेसबुक ने 650 मिलियन डॉलर देकर एक मुकदमा सैटल किया था, जिसमें कंपनी पर आरोप था कि उसने अमेरिकी स्टेट इलिनोइस के डाटा कलेक्शन रूल्स का उल्लंघन किया और यूजर की प्राइवेसी ब्रीच हुई है।इस साल 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने साइबर सिक्योरिटी के कानून की बात कही और अगर वो भारत में आ जाता है तो भारत के यूजर्स के डेटा की प्राइवेसी को लेकर सभी सवालों का अंत हो जाएगा।
इस बार फेसबुक की ही कंपनी इंस्टाग्राम पर गंभीर आरोप लगे हैं जिस कारण फेसबुक पर अमेरिका में भारी जुर्माना लग सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिका में फेसबुक पर एक मुकदमा दायर किया गया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि फेसबुक की सब कंपनी इंस्टाग्राम द्वारा यूजर्स की इजाजत के बिना उनका बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा किया गया है।ऐसा करने पर फेसबुक ने कानून का उल्लंघन किया जिस कारण कंपनी को अब 500 अरब डॉलर्स तक का भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। यहां पर दायर हुआ है मुकदमापिछले हफ्ते कैलिफोर्निया स्थित रेडवुड सिटी (Redwood City) की Court में यह मुकदमा दर्ज किया गया है। दायर किए गए इस मुकदमे में इंस्टाग्राम पर आरोप लगाया गया है कि कंपनी ऑटोमैटिकली लोगों के चेहरे को स्कैन करती है। इस दौरान उन लोगों के चेहरे भी स्कैन किए गए हैं जो किसी दूसरे के इंस्टाग्राम के अकाउंट में दिख रहे थे। ऐसे में इंस्टाग्राम के पास उन लोगों का डेटा भी मौजूद है जोकि कंपनी की प्लेटफॉर्म टर्म्स को मानते नहीं हैं। इस दौरान 100 करोड़ लोगों के डेटा को स्टोर किया गया और प्रॉफिट कमाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है।
लोगों की प्राइवेसी के खिलाफ है टूललोगों के चेहरे के बायोमेट्रिक डेटा के जरिए उनको किसी को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर ढूंढना मुश्किल नहीं होता जो यूजर की प्राइवेसी के खिलाफ है। इंस्टाग्राम पर आरोप लगाया गया कि इंस्टाग्राम फोटो-टैगिंग टूल के जरिए लोगों की पहचान करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक ने इस मुकदमे को निराधार बताया है। उनका कहना है कि इंस्टाग्राम फेसबुक पर दी जा रही फेस रिकग्निशन सेवाओं का उपयोग नहीं करती है। यह पहली बार नहीं है जब फेसबुक पर फेशियल रिकॉग्निशन के जरिए डेटा इकट्ठा करने को लेकर मुकदमा दायर किया गया है। पिछले महीने फेसबुक ने 650 मिलियन डॉलर देकर एक मुकदमा सैटल किया था, जिसमें कंपनी पर आरोप था कि उसने अमेरिकी स्टेट इलिनोइस के डाटा कलेक्शन रूल्स का उल्लंघन किया और यूजर की प्राइवेसी ब्रीच हुई है।इस साल 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने साइबर सिक्योरिटी के कानून की बात कही और अगर वो भारत में आ जाता है तो भारत के यूजर्स के डेटा की प्राइवेसी को लेकर सभी सवालों का अंत हो जाएगा।