News18 : Jan 22, 2020, 01:19 PM
वाराणसी। धर्म नगरी काशी (Kashi) को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। मंदिरों के इस शहर में अब एक और नाम जुड़ गया है। शहर में अब नेता जी सुभाष चंद्र बोस का मंदिर (Netaji Subhash Chandra Bose Temple) भी बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन आरएसएस (RSS) के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) करेंगे।भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े नेता सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा (तब उड़ीसा) के कटक शहर में हुआ था। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 123वीं जयंती मनाई जाएगी। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में आजाद हिंद मार्ग स्थित सुभाष भवन में इंद्रेश कुमार द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा और उसे आम जनता के लिए खोला जाएगा। इस मंदिर की महंत एक दलित महिला होंगी। रोज सुबह आरती कर भारत माता की प्रार्थना के साथ मंदिर का पट खुलेगा। रात्रि में भी भारत माता की प्रार्थना कर मंदिर का पट बंद किया जाएगा।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
लमही स्थित सुभाष भवन के बाहरी हिस्से में यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 11 फुट है, जिसमें सुभाष चंद्र बोस की आदम कद प्रतिमा स्थापित होगी। प्रतिमा का निर्माण ब्लैक ग्रेनाइट से किया गया है। सीढ़ी का कलर लाल और सफेद रंग का है। मंदिर की सीढ़ियों, आधार व प्रतिमा को खास रंग दिया गया है। मंदिर की स्थापना करने वाले बीएचयू के प्रोफेसर डॉक्टर राजीव बताते हैं कि लाल रंग क्रांति का प्रतीक, सफेद शांति का और ब्लैक शक्ति का प्रतीक है। क्रांति से शांति की ओर चलकर ही शक्ति की पूजा की जा सकती है।मंदिर बनाने के पीछे क्या है उद्देश्य
नेता जी सुभाष चंद्र बोस का ये मंदिर देश का पहला मंदिर होगा जो देश की आजादी के नायक से जुड़ा है। इस मंदिर को देखकर लोगों के मन मे देश प्रेम की भावना जागृत होगी। इसके साथ ही नेताजी से जुड़ा इतिहास पढ़ने को मिलेगा। जो लोग नेता जी के बारे में ठीक से नहीं जान पाए हैं वो अब इस मंदिर में आकार नेता जी के बारे में ठीक से जान पाएंगे।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
लमही स्थित सुभाष भवन के बाहरी हिस्से में यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 11 फुट है, जिसमें सुभाष चंद्र बोस की आदम कद प्रतिमा स्थापित होगी। प्रतिमा का निर्माण ब्लैक ग्रेनाइट से किया गया है। सीढ़ी का कलर लाल और सफेद रंग का है। मंदिर की सीढ़ियों, आधार व प्रतिमा को खास रंग दिया गया है। मंदिर की स्थापना करने वाले बीएचयू के प्रोफेसर डॉक्टर राजीव बताते हैं कि लाल रंग क्रांति का प्रतीक, सफेद शांति का और ब्लैक शक्ति का प्रतीक है। क्रांति से शांति की ओर चलकर ही शक्ति की पूजा की जा सकती है।मंदिर बनाने के पीछे क्या है उद्देश्य
नेता जी सुभाष चंद्र बोस का ये मंदिर देश का पहला मंदिर होगा जो देश की आजादी के नायक से जुड़ा है। इस मंदिर को देखकर लोगों के मन मे देश प्रेम की भावना जागृत होगी। इसके साथ ही नेताजी से जुड़ा इतिहास पढ़ने को मिलेगा। जो लोग नेता जी के बारे में ठीक से नहीं जान पाए हैं वो अब इस मंदिर में आकार नेता जी के बारे में ठीक से जान पाएंगे।