News18 : Apr 22, 2020, 03:27 PM
वाशिंगटन। कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मसले पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के चीन (China) पर लगातार हमलावर रहने के बाद अमेरिका (US) के मिसूरी (Missouri) राज्य ने चीनी सरकार के खिलाफ पहला लीगल केस दायर कर दिया है। ये केस चीनी सरकार के खिलाफ मिसूरी के अटॉर्नी जनरल एरिक श्मिट (Attorney General Eric Schmitt) ने दायर किया है। इसमें चीनी सरकार को मिसूरी स्टेट में कोरोना से हुई मौतों और आर्थिक नुकसान के लिए सीधा जिम्मेदार बताया गया है।
इस केस में चीन की सरकार के अलावा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी संस्थाओं को भी आरोपी बनाया गया है। आरोप लगाया गया है कि चीनी सरकार ने न सिर्फ कोरोना से जुड़ी जानकारियां छुपाईं बल्कि इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्हिसलब्लोअर्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया। चीन पर आरोप लगाया गया है कि उसे कोरोना वायरस के इतना घातक होने की पहले से जानकारी थी लेकिन उसने इसे किसी के साथ साझा नहीं किया जिसके चलते मिसूरी की जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
चीन को जवाब देना ही होगा'
केस दायर करने के बाद मिसूरी के अटॉर्नी जनरल एरिक श्मिट ने कहा कि कोरोना ने सिर्फ अमेरिका और मिसूरी ही नहीं दुनिया के सभी देशों में तबाही मचाई हुई है। सभी देशों में न सिर्फ काम-धंधा ठप है बल्कि लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इस वायरस का असर असली है, लाखों बीमार हैं, लाखों मारे गए और करोड़ों काम-धंधा बंद कर घरों में बंद रहने के लिए मजबूर हैं। आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के पास अब खाना खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं। इस सब के लिए किसी को तो जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।श्मिट ने आगे कहा कि चीन ने न सिर्फ दुनिया से कोरोना वायरस के बारे में झूठ बोला बल्कि सच सामने न आए तो व्हिसलब्लोअर्स डॉक्टर्स को भी गिरफ्तार करा दिया, उन्हें बार-बार सजा दी गई। इन लोगों को इनकी हरक़तों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तभी इन्साफ हो पाएगा। बता दें कि ये केस मिसूरी के डिस्ट्रिक कोर्ट में दाखिल किया गया।
इसमें आरोप लगाया गया है कि चीन ने महीनों तक ये बात नहीं मानी कि ये वायरस इंसान से इंसान से फैलने में सक्षम है। इसके आलावा कोरोना के बारे में वुहान के डॉक्टर्स की एक बेहद ज़रूरी रिसर्च को नष्ट भी कर दिया गया है। अमेरिका के मिसूरी में अब तक कोरोना संक्रमण के 6,105 केस सामने आ चुके हैं जबकि 229 लोगों की इससे मौत भी हो चुकी है।
इस केस में चीन की सरकार के अलावा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी संस्थाओं को भी आरोपी बनाया गया है। आरोप लगाया गया है कि चीनी सरकार ने न सिर्फ कोरोना से जुड़ी जानकारियां छुपाईं बल्कि इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्हिसलब्लोअर्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया। चीन पर आरोप लगाया गया है कि उसे कोरोना वायरस के इतना घातक होने की पहले से जानकारी थी लेकिन उसने इसे किसी के साथ साझा नहीं किया जिसके चलते मिसूरी की जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
चीन को जवाब देना ही होगा'
केस दायर करने के बाद मिसूरी के अटॉर्नी जनरल एरिक श्मिट ने कहा कि कोरोना ने सिर्फ अमेरिका और मिसूरी ही नहीं दुनिया के सभी देशों में तबाही मचाई हुई है। सभी देशों में न सिर्फ काम-धंधा ठप है बल्कि लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इस वायरस का असर असली है, लाखों बीमार हैं, लाखों मारे गए और करोड़ों काम-धंधा बंद कर घरों में बंद रहने के लिए मजबूर हैं। आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के पास अब खाना खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं। इस सब के लिए किसी को तो जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।श्मिट ने आगे कहा कि चीन ने न सिर्फ दुनिया से कोरोना वायरस के बारे में झूठ बोला बल्कि सच सामने न आए तो व्हिसलब्लोअर्स डॉक्टर्स को भी गिरफ्तार करा दिया, उन्हें बार-बार सजा दी गई। इन लोगों को इनकी हरक़तों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तभी इन्साफ हो पाएगा। बता दें कि ये केस मिसूरी के डिस्ट्रिक कोर्ट में दाखिल किया गया।
इसमें आरोप लगाया गया है कि चीन ने महीनों तक ये बात नहीं मानी कि ये वायरस इंसान से इंसान से फैलने में सक्षम है। इसके आलावा कोरोना के बारे में वुहान के डॉक्टर्स की एक बेहद ज़रूरी रिसर्च को नष्ट भी कर दिया गया है। अमेरिका के मिसूरी में अब तक कोरोना संक्रमण के 6,105 केस सामने आ चुके हैं जबकि 229 लोगों की इससे मौत भी हो चुकी है।