AajTak : Sep 17, 2020, 07:30 AM
लद्दाख में जारी सीमा विवाद के बीच जासूसी का नया मामला सामने आया है। विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में चीनी राजदूत के सामने बुधवार को चीनी कंपनी झेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से कई प्रमुख भारतीयों की कथित तौर पर जासूसी करने का मुद्दा उठाया। इस बीच भारत सरकार ने जासूसी प्रकरण पर एक जांच समिति का भी गठन कर दिया है।
सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने चीनी राजदूत सुन वेइडांग के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई गई। सूत्रों के अनुसार, चीनी राजदूत ने बताया कि झेनहुआ एक निजी कंपनी है और उसने सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट की है।चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को दैनिक ब्रीफिंग के दौरान ऐसी खबरों को 'असत्य' करार दिया।उन्होंने कहा, 'मैंने कंपनी की प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया कि खबर गंभीर रूप से गलत है। कंपनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह एक निजी कंपनी है साथ ही रिसर्च इंस्टीट्यूट और बिजनेस ग्रुप उसके ग्राहक हैं। डेटा जमा करने के बजाए, वह केवल डेटा जुटाती है जो ओपन और ऑनलाइन उपलब्ध होता है।'
30 दिनों के अंदर देगी होनी रिपोर्टइस बीच, भारत सरकार ने इन खबरों का अध्ययन करने, उनके निहितार्थों का मूल्यांकन करने, कानून के किसी भी उल्लंघन का आकलन करने और 30 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है।एक अधिकारी ने कहा, 'भारत सरकार ने इस खबर को गंभीरता से लिया है जो यह बताती है कि विदेशी स्रोत हमारी सहमति के बिना हमारे नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने या हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय नागरिकों की गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार बहुत गंभीर है।'चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'मैं यह कहना चाहता हूं कि साइबर सुरक्षा के कट्टर रक्षक के रूप में, चीन सभी साइबर अपराधों का विरोध करता है और उनसे लड़ता है। हम संयुक्त रूप से एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, खुला और सहकारी साइबर स्पेस बनाने के लिए अन्य देशों के साथ बातचीत और सहयोग को बढ़ाना चाहेंगे।'
विदेश मंत्री जयशंकर ने दी जानकारीजासूसी मामला विवाद का मुद्दा बन गया है और विपक्ष द्वारा उठाया गया था। इस मुद्दे पर भारत सरकार ने अब तक जो कुछ भी किया है, उसके जवाब मांगे गए हैं।सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी कंपनियों द्वारा भारतीय नेताओं और अन्य लोगों के डेटा की रक्षा के लिए उनकी और अन्य सांसदों की मांगों के जवाब में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल को एक समिति गठित करने के निर्णय की जानकारी दी।मीडिया ब्रीफिंग के दौरान अपनी प्रतिक्रिया में वांग वेनबिन ने यह भी कहा, 'हाल ही में, प्रमुख डेटा सुरक्षा जोखिमों के जवाब में, चीन ने डेटा को बनाए रखने और श्रृंखला सुरक्षा तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए डेटा सुरक्षा पर वैश्विक पहल का प्रस्ताव रखा, जिसका सक्रिय रूप से कई देशों की ओर से जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन वैश्विक नियमों द्वारा सभी पक्षों के साथ सहयोग और संचार बढ़ाने के लिए तैयार है जो सभी देशों के हितों की इच्छा और सम्मान को दर्शाते हैं।'
सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने चीनी राजदूत सुन वेइडांग के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई गई। सूत्रों के अनुसार, चीनी राजदूत ने बताया कि झेनहुआ एक निजी कंपनी है और उसने सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट की है।चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को दैनिक ब्रीफिंग के दौरान ऐसी खबरों को 'असत्य' करार दिया।उन्होंने कहा, 'मैंने कंपनी की प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया कि खबर गंभीर रूप से गलत है। कंपनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह एक निजी कंपनी है साथ ही रिसर्च इंस्टीट्यूट और बिजनेस ग्रुप उसके ग्राहक हैं। डेटा जमा करने के बजाए, वह केवल डेटा जुटाती है जो ओपन और ऑनलाइन उपलब्ध होता है।'
30 दिनों के अंदर देगी होनी रिपोर्टइस बीच, भारत सरकार ने इन खबरों का अध्ययन करने, उनके निहितार्थों का मूल्यांकन करने, कानून के किसी भी उल्लंघन का आकलन करने और 30 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है।एक अधिकारी ने कहा, 'भारत सरकार ने इस खबर को गंभीरता से लिया है जो यह बताती है कि विदेशी स्रोत हमारी सहमति के बिना हमारे नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने या हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय नागरिकों की गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार बहुत गंभीर है।'चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'मैं यह कहना चाहता हूं कि साइबर सुरक्षा के कट्टर रक्षक के रूप में, चीन सभी साइबर अपराधों का विरोध करता है और उनसे लड़ता है। हम संयुक्त रूप से एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, खुला और सहकारी साइबर स्पेस बनाने के लिए अन्य देशों के साथ बातचीत और सहयोग को बढ़ाना चाहेंगे।'
विदेश मंत्री जयशंकर ने दी जानकारीजासूसी मामला विवाद का मुद्दा बन गया है और विपक्ष द्वारा उठाया गया था। इस मुद्दे पर भारत सरकार ने अब तक जो कुछ भी किया है, उसके जवाब मांगे गए हैं।सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी कंपनियों द्वारा भारतीय नेताओं और अन्य लोगों के डेटा की रक्षा के लिए उनकी और अन्य सांसदों की मांगों के जवाब में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल को एक समिति गठित करने के निर्णय की जानकारी दी।मीडिया ब्रीफिंग के दौरान अपनी प्रतिक्रिया में वांग वेनबिन ने यह भी कहा, 'हाल ही में, प्रमुख डेटा सुरक्षा जोखिमों के जवाब में, चीन ने डेटा को बनाए रखने और श्रृंखला सुरक्षा तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए डेटा सुरक्षा पर वैश्विक पहल का प्रस्ताव रखा, जिसका सक्रिय रूप से कई देशों की ओर से जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन वैश्विक नियमों द्वारा सभी पक्षों के साथ सहयोग और संचार बढ़ाने के लिए तैयार है जो सभी देशों के हितों की इच्छा और सम्मान को दर्शाते हैं।'