नई दिल्ली / पूर्व पीएम मनमोहन ने आर्थिक मंदी से उबरने के लिए सरकार को बताए 5 उपाय

News18 : Sep 12, 2019, 02:47 PM
नई दिल्ली. देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy Slowdown) को फिर से पटरी पर लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह (Former Prime Minister Manmohan Singh) ने मौजूदा मोदी सरकार (Modi Government) को कई महत्वपूर्ण सलाह दी हैं. अखबार दैनिक भास्कर को दिए स्पेशल इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को नौकरियां (Jobs Creation) देने वाले सेक्टर्स को मजबूत करना चाहिए. साथ ही, उनका मानना है कि देश आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा है, ये स्ट्रक्चरल और साइक्लिक दोनों है.

मनमोहन सिंह ने कहा है कि पहला कदम तो यही स्वीकार करना चाहिए कि हम संकट का सामना कर रहे हैं. सरकार को चाहिए कि वह विशेषज्ञों और सभी स्टेकहोल्डर्स की बात खुले दिमाग से सुने. सेक्टरवार घोषणाएं करने की बजाए अब सरकार पूरे आर्थिक ढांचे को एक साथ आगे बढ़ाने पर काम करे. उन्होंने आर्थिक हालात सुधारने के लिए ये पांच कदम उठाने की सलाह दी है.

मनमोहन सिंह ने सलाह देते हुए कहा है कि जीएसटी को तर्कसंगत करना होगा, भले ही थोड़े समय के लिए टैक्स का नुकसान हो. ग्रामीण खपत बढ़ाने और कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए नए तरीके खोजने होंगे. कांग्रेस के घोषणा-पत्र में ठोस विकल्प हैं, जिसमें कृषि बाजारों को फ्री करके लोगों के पास पैसा लौट सकता है.

पूंजी निर्माण के लिए कर्ज की कमी दूर करनी होगी. सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक नहीं, बल्कि एनबीएफसी भी ठगे जाते हैं. कपड़ा, ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और रियायती आवास जैसे प्रमुख नौकरी देने वाले क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना होगा. इसके लिए आसान कर्ज देना होगा. खासकर एमएसएमई के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.

हमें अमेरिका-चीन में चल रहे ट्रेडवॉर के चलते खुल रहे नए निर्यात बाजारों काे पहचाना होगा. याद रखना चाहिए कि साइक्लिक और स्ट्रक्चरल दोनों समस्याओं का समाधान जरूरी है. तभी हम 3-4 साल में उच्च विकास दर को वापस पा सकते हैं.

>> मनमोहन का ये भी मानना है कि भारत बहुत चिंताजनक आर्थिक मंदी में है. पिछली तिमाही की 5% जीडीपी विकास दर 6 वर्षों में सबसे कम है.

>> नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ भी 15 साल के निचले स्तर पर है. अर्थव्यवस्था के कई प्रमुख क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही ऑटोमोटिव सेक्टर के उत्पादन में भारी गिरावट आई है.

>> साढ़े तीन लाख से ज्यादा नौकरियां जा चुकी हैं. रियल एस्टेट सेक्टर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, जिससे ईंट, स्टील व इलेक्ट्रिकल्स जैसे संबद्ध उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं.

>> कोयला, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट के बाद कोर सेक्टर धीमा हो गया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था फसल की अपर्याप्त कीमतों से ग्रस्त है. 2017-18 में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर रही.

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