Coronavirus / कोरोना के इलाज में गेम चेंजर, 30 दिन में 20 करोड़ टैबलेट बना सकता है भारत

AajTak : Apr 08, 2020, 08:13 AM
Coronavirus In India: कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। इस वायरस की वजह से हजारों मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। तो वहीं दुनिया के सुपरपावर कहा जाने वाले देश के सामने भी मुश्किल की घड़ी है। कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई के लिए भारत से मदद मांगी है। पूरी दुनिया इस दवाई को कोरोना वायरस के इलाज की एक उम्मीद तरह देख रही है यही नहीं इस दवाई को 'गेमचेंजर' का दर्जा दिया जा रहा है।

भारत ने भी ट्रंप की डिमांड को देखते हुए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के निर्यात से बैन हटा दिया है। बताया जा रहा है इस दवाई के लिए पूरी दुनिया को भारत से काफी उम्मीद है क्योंकि इस दवाई की पूरी सप्लाई का 70 फीसदी हिस्सा भारत देश में ही बनता है। दावा किया जा रहा है कि भारत ने अप्रैल-जनवरी 2019-2020 के दौरान 1.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ओपीआई (API) एक्सपोर्ट किया था।

वहीं इंडियन फार्मास्‍यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन का कहना है कि पूरी दुनिया को भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई का 70 फीसदी सप्लाई करता है। यही नहीं दावा किया जा रहा है कि भारत में इस दवा बनाने की कैपेसिटी काफी प्रभावी है। भारत 30 दिन में 40 टन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवाई बनाने की क्षमता रखता है। यानी इस तरह से 20 मिली ग्राम की 20 करोड़ टैबलेट्स बनाई जा सकती हैं।

जानकारी के मुताबिक इस दवाई का उपयोग ह्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस और लूपुस जैसी बीमारियों के लिए भी होता है तो इसका प्रोडक्शन अभी भी बढ़ाया जा सकता है। इस दवाई को बनाने वाली कंपनियों में इप्का लैबोरेट्रीज (Ipca Laboratories), ज़ेडस कैडिला (Zydus Cadila) और वैलेस फार्मास्यूटिकल्स (Wallace Pharmaceuticals) नाम शामिल है। वहीं भारत के केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय की तरफ से हाल ही में ज़ेडस कैडिला (Zydus Cadila) और इप्का लैबोरेट्रीज (Ipca Laboratories) को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन  की 10 करोड़ टैबलेट्स बनाने का ऑर्डर दिया गया है।

शुरुआती तौर पर सरकार इस बात का पता लगाने में लगी हुई है कि भारत को कोरोना वायरस से निपटने के लिए कितनी  दवाइयों की जरूरत पढ़ेगी। साथ ही अमेरिका की गुजारिश पर निर्यात पर बैन हटा दिया गया है। इसे देखते हुए भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का आउटपुट और प्रोडक्शन को बढ़ा दिया है। बल्कि कुछ दिनों पहले इसको उन सामानों की लिस्ट में रखा गया था जिनके एक्सपोर्ट पर बैन लगाया गया था।

बता दें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई का अमेरिका जैसे विकसित देशों में उत्पादन नहीं होता है क्योंकि वहां मलेरिया का नामोनिशान नहीं है। क्लोरोक्वीन सबसे पुरानी और अच्छी दवाइयों में से एक है और इसके साइड इफेक्टस भी कम होते हैं। ये दवा काफी कम दामों में उपलब्ध हो जाती है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई का कम्पोजिशन  क्लोरोक्वीन से मिलता जुलता ही होता है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते कई देशों ने इस पर रोक लगा दी है। क्योंकि वैज्ञानिकों को अभी इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि कोरोना को खत्म करने में कारगर साबित होगी या नहीं। इतना जरूर है कि जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है वहां इसके उपयोग की इजाजत दी गई है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER