धर्म / गणेश चतुर्थी: गणेश पूजन मुहूर्त, यह समय सबसे उत्तम समय

NavBharat Times : Sep 01, 2019, 11:12 PM
2 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन गजमुख भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन चंद्रमा ने गणपति की पूजा करके शाप से मुक्ति पाई थी और कहा था कि जो भी इस दिन गणेशजी की पूजा करेगा गणपति उनकी सभी मनोकामना पूरी करेंगे। गणेशजी ने भी चंद्रमा को शाप मुक्त करते हुए कहा था कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन जो भी खाली हाथ आपका दर्शन करेगा उसे झूठे कलंक का सामना करना होगा।

गणेश चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में गणेश प्रतिमा की स्थापना करके उनकी पूजा करने का भी विधान है। कई स्थानों पर गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों के लिए गणपति पूजा का आयोजन किया जाता है। अगर आप भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश प्रतिमा स्थापित करके घर में शुभ मंगल की कामना कर रहे हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए गणेश प्रतिमा की स्थापना करें।

गणेश चतुर्थी का नियम है कि जिस दिन दोपहर के समय चतुर्थी तिथि हो उस दिन ही गणेश चतुर्थी का पूजन किया जाना चाहिए। मंगलवार और रविवार को चतुर्थी होने पर इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक है जो शुभ फलदायी है।

गणेश चतुर्थीः गणेश पूजन विधि

गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए पहला मुहूर्त

सोमवार को गणेश चतुर्थी होने के कारण सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा। इसलिए सुबह 6 बजे से साढ़े सात बजे के बीच गणेश प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं।

गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए दूसरा मुहूर्त

सुबह 9 बजे से लेकर 10 बजकर 30 मिनट तक मूर्ति स्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त है। 10 बजकर 30 मिनट से यमगंड आरंभ हो जाएगा जो 12 बजे तक रहेगा। यमगंड के दौरान शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, इसलिए शुभ लाभ के लिए इस दौरान प्रतिमा की स्थापना हो सके तो नहीं करना चाहिए।

गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त

दोपहर का समय गणेश स्थापना के लिए उत्तम माना जाता है। 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है। इस समय के समाप्त होने के बाद यानी 1 बजकर 31 मिनट से 3 बजे का समय सबसे उत्तम रहेगा। इस शुभ समय के बाद भी 4 बजकर 30 मिनट तक गणेश प्रतिमा स्थापना औऱ पूजन का कार्य किया जा सकता है।


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