News18 : May 29, 2020, 11:44 AM
जयपुर। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने (Vishvendra Singh) केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) के साथ जोधपुर में मिर्ची बड़ा खाने की इच्छा जताई है। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का जोधपुर जाकर मंत्री शेखावत के साथ मिर्ची बड़ा खाने की इच्छा जताने वाला ट्वीट () सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। गजेन्द्र सिंह जोधपुर से लगातार दूसरी बार बीजेपी से सांसद चुने गए हैं और वे वहां की राजनीति में सीएम अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी हैं।
जोधपुर का मिर्ची बड़ा अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में विख्यात हैदरअसल इस गहरे राजनीतिक अर्थ वाले संवाद की शुरुआत ट्वीटर पर एक यूजर के ट्वीट से हुई। लॉकडाउन-4 में दी गई छूट के बाद जोधपुर में प्रसिद्ध मिर्ची बड़े की एक दुकान खुलने पर वहां सोशल डिस्टेंसिंग को दरकिनार कर भीड़ उमड़ पड़ी। इस पर एक यूजर ने ट्वीट किया था। विश्वेंद्र सिंह ने उस ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि हमें पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए इसी तरह की चीजों को प्रमोट करने की आवश्कता है। कभी साथ बैठ के खाते हैं गजेंद्र सिंह शेखावत भाई साहब। विश्वेंद्र सिंह के इस ट्वीट के बहुत से सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। जोधपुर का मिर्ची बड़ा अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में विख्यात है।
कभी साथ बैठ के खाते हैं गजेंद्र सिंह शेखावत भाई साहबविश्वेन्द्र सिंह पिछले कई दिनों से पार्टी लाइन से ऊपर उठकर खुलकर ट्वीट करने के कारण चर्चाओं में हैं। शेखावत के साथ पर्यटन मंत्री की मिर्ची बड़ा खाने की इच्छा जताना राजनीतिक हलकों में खूब चर्चाएं बटोर रहा है। हालांकि विश्वेन्द्र सिंह ने इन सब ट्वीट्स को किसी राजनीति से जोड़कर देखने से इनकार करते हुए महज शिष्टाचार बताया है। विश्वेन्द्र हाल ही में राजगढ़ सीआई विष्णुदत्त विश्नोई के आत्महत्या मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाकर भी सियासी चर्चाओं को बल दे चुके हैं।विश्वेन्द्र सिंह का फूड ट्यूरिज्म का आइडिया और सियासत का फ्यूजनपर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह का फूड ट्यूरिज्म का यह आइडिया कइयों को सियासत के फ्यूजन वाला दिख रहा है। राजस्थान के हर इलाके के स्थानीय व्यंजन प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मिर्ची बड़ा, भरतपुर की बेड़ई कचौरी, गंगापुर का खीर मोहन, नसीराबाद का कचौरा और चिड़ावा के पेड़े देश दुनिया में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्द हैं। लेकिन बहुत से स्थानीय व्यंजनों को अब भी पहचान का संकट है। फिलहाल फूड ट्यूरिज्म में सियासत का फ्यूजन ही चलने वाला है।
जोधपुर का मिर्ची बड़ा अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में विख्यात हैदरअसल इस गहरे राजनीतिक अर्थ वाले संवाद की शुरुआत ट्वीटर पर एक यूजर के ट्वीट से हुई। लॉकडाउन-4 में दी गई छूट के बाद जोधपुर में प्रसिद्ध मिर्ची बड़े की एक दुकान खुलने पर वहां सोशल डिस्टेंसिंग को दरकिनार कर भीड़ उमड़ पड़ी। इस पर एक यूजर ने ट्वीट किया था। विश्वेंद्र सिंह ने उस ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि हमें पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए इसी तरह की चीजों को प्रमोट करने की आवश्कता है। कभी साथ बैठ के खाते हैं गजेंद्र सिंह शेखावत भाई साहब। विश्वेंद्र सिंह के इस ट्वीट के बहुत से सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। जोधपुर का मिर्ची बड़ा अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में विख्यात है।
This is the kind of content we actually need to promote to increase domestic footfall in #Rajasthan! Kabhi saath baith ke khate hai @gssjodhpur Bhai Sahib! Thank you for sharing @avinashkalla, but yes, social distancing should be followed. https://t.co/qOoeBaGcEw
— Vishvendra Singh Bharatpur (@vishvendrabtp) May 28, 2020
कभी साथ बैठ के खाते हैं गजेंद्र सिंह शेखावत भाई साहबविश्वेन्द्र सिंह पिछले कई दिनों से पार्टी लाइन से ऊपर उठकर खुलकर ट्वीट करने के कारण चर्चाओं में हैं। शेखावत के साथ पर्यटन मंत्री की मिर्ची बड़ा खाने की इच्छा जताना राजनीतिक हलकों में खूब चर्चाएं बटोर रहा है। हालांकि विश्वेन्द्र सिंह ने इन सब ट्वीट्स को किसी राजनीति से जोड़कर देखने से इनकार करते हुए महज शिष्टाचार बताया है। विश्वेन्द्र हाल ही में राजगढ़ सीआई विष्णुदत्त विश्नोई के आत्महत्या मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाकर भी सियासी चर्चाओं को बल दे चुके हैं।विश्वेन्द्र सिंह का फूड ट्यूरिज्म का आइडिया और सियासत का फ्यूजनपर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह का फूड ट्यूरिज्म का यह आइडिया कइयों को सियासत के फ्यूजन वाला दिख रहा है। राजस्थान के हर इलाके के स्थानीय व्यंजन प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मिर्ची बड़ा, भरतपुर की बेड़ई कचौरी, गंगापुर का खीर मोहन, नसीराबाद का कचौरा और चिड़ावा के पेड़े देश दुनिया में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्द हैं। लेकिन बहुत से स्थानीय व्यंजनों को अब भी पहचान का संकट है। फिलहाल फूड ट्यूरिज्म में सियासत का फ्यूजन ही चलने वाला है।