Congress / कांग्रेस में पीढ़ियों का टकराव, पुराने नेता बोले- अपनी ही विरासत का न करें अपमान

NavBharat Times : Aug 02, 2020, 08:01 AM
नई दिल्ली | कांग्रेस के भीतर इस वक्त पार्टी की मौजूदा दुर्गति के लिए (Old vs New Guard in Congress) 'कौन जिम्मेदार? पुराने या नए नेता?' को लेकर बहस छिड़ी हुई है। नियमित अध्यक्ष और पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की उठ रही मांगों के बीच पार्टी में पीढ़ी संघर्ष होता दिख रहा है। पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं के बीच का टकराव खुलकर सामने आ रहा है। कांग्रेस की बुरी स्थिति के लिए एक युवा नेता के यूपीए-2 की कमियों को जिम्मेदार बताए जाने से पुराने नेता आहत हैं और नई पीढ़ी को अपनी ही विरासत को नीचा न दिखाने की नसीहत दे रहे हैं। मनीष तिवारी के बाद आनंद शर्मा, मिलिंद देवरा से लेकर शशि थरूर तक यूपीए-2 की मनमोहन सरकार के बचाव में कूद पड़े हैं।

कहां से निकला 'कौन जिम्मेदार?' का जिन्न

आगे बढ़ने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर कांग्रेस के भीतर 'पार्टी की दुर्गति के लिए कौन जिम्मेदार?' का जिन्न आखिर कहां से निकला, जिससे पार्टी में मतभेद की बातें खुलकर सार्वजनिक हो रही हैं। दरअसल हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के राज्यसभा सांसदों की बैठक बुलाई थी। बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी, कपिल सिब्बल जैसे पार्टी के तमाम दिग्गज भी मौजूद थे।

इस दौरान पार्टी के लगातार कमजोर होने को लेकर जब एक सीनियर लीडर ने 'नीचे से ऊपर तक' आत्ममंथन की जरूरत की बात कही तो राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले युवा नेता राजीव सातव ने इसका कड़ा प्रतिकार किया। सातव ने कांग्रेस की दुर्गति के लिए यूपीए-2 सरकार की नाकामियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर समीक्षा होनी ही है तो 2009 के बाद से अब तक की स्थिति की हो। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे और यह सब उन्हें असहज करने वाला था। मीटिंग में पीएल पुनिया, छाया वर्मा और रिपुन बोरा जैसे नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की भी मांग की।

पुरानी पीढ़ी के नेताओं की नसीहत, अपनी ही विरासत का अपमान न करें

मीटिंग में ओल्ड वर्सेज न्यू गार्ड का टकराव होने के बाद अब कांग्रेस के पुराने नेता नए नेताओं को अपनी ही विरासत को 'अपमानित' नहीं करने की नसीहत दे रहे हैं। कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने पार्टी नेताओं को अपनी शिकायतों को सार्वजनिक करने को लेकर चेताते हुए कह रहे हैं कि ऐसा करने से बीजेपी को फायदा होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के डेप्युटी लीडर आनंद शर्मा ने शनिवार को कहा कि किसी को भी अपनी ही विरासत को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस को यूपीए की विरासत पर गर्व होना चाहिए। कोई भी पार्टी अपनी विरासत को छोड़ती या अपमान नहीं करती है। कोई भी यह उम्मीद नहीं कर सकता कि बीजेपी उदार होगी और हमें क्रेडिट देगी लेकिन हमारे अपनों को तो विरासत का सम्मान करना चाहिए और भूलना नहीं चाहिए।'

वैचारिक दुश्मनों के हाथ में न खेलें नेता: थरूर

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल का बचाव करते हुए पार्टी के नेताओं को 'वैचारिक दुश्मनों' के हाथ न खेलने की नसीहत दी। थरूर ने ट्वीट किया, 'मैं मनीष तिवारी और मिलिंद देवरा से सहमत हूं। दुर्भावना से प्रेरित होकर यूपीए के शानदार 10 वर्षों की गलत छवि पेश की गई, कलंकित की गई। हमें अपनी हार से सीखने के लिए बहुत कुछ है और कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत कुछ किया जाना है। लेकिन वैचारिक दुश्मनों के हाथों में खेलकर यह नहीं किया जा सकता।'

क्या कहा था मनीष तिवारी और देवरा ने

इससे पहले शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कांग्रेस की अगुआई वाली पूर्ववर्ती यूपीए-2 सरकार का खुलकर बचाव किया। कांग्रेस के लोकसभा सांसद तिवारी ने ट्वीट किया था, 'बीजेपी 2004 से 2014 तक सत्ता से बाहर रही थी। उनमें से किसी ने भी एक बार भी कभी वाजपेयी या उनकी सरकार को अपनी दुर्दशा के लिए दोष नहीं दिया। कांग्रेस में दुर्भाग्य से कुछ कम जानकारी वाले लोग एनडीए/BJP से लड़ने के बजाय डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर हमला कर रहे हैं।'

तिवारी के सुर में सुर मिलाते हुए एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने भी मनमोहन सिंह सरकार पर सवाल उठाने की आलोचना की। देवरा ने लिखा, 'बहुत खूब कहा है मनीष। 2014 में सत्ता से बाहर होने पर डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था- इतिहास मुझ पर दयालु होगा। क्या उन्होंने कभी कल्पना भी की होगी कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग उनकी देश सेवा को खारिज करेंगे और उनकी विरासत को नष्ट करना चाहेंगे, वह भी उनकी ही मौजूदगी में?'

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