News18 : Apr 06, 2020, 02:42 PM
नई दिल्ली: साल 2020 जब से शुरू हुआ है तभी से ऑयल और एनर्जी मार्केट (Oil and Energy Market) की हालत बेहद ख़राब हो गयी है। कोरोनावायरस के आने से पहले ही पूरा विश्व आर्थिक सुस्ती (Global Slowdown) के दौर से गुजर रहा था। अब इस महामारी कोरोना ने विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी की सीमा पर ला दिया है। कोरोना महामारी के कारण वैश्विक तौर पर ऑयल और एनर्जी की डिमांड में भारी गिरावट आई। सऊदी अरब और रूस अपने-अपने कारणों से उत्पादन में कटौती का नाम नहीं ले रहे हैं। इसका दबाव कीमत पर पड़ रहा है। यही वजह है कि कच्चे तेल का दाम 18 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है।
10 डॉलर तक कीमत पहुंचने का अनुमान
पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये अंदेशा जताया गया था कि अगर सोमवार को ओपेक प्लस देशों की बैठक लंबे समय के लिए टल जाती है तो कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। इन तमाम वैश्विक घटनाक्रम के बीच आज 21वें दिन भी पेट्रोल डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं आया है।आज होने वाली ओपेक की बैठक टली
सोमवार को ओपक प्लस देशों की होने वाली बैठक टल गई है जिसके कारण ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 4 फीसदी तक गिर गई। WTI क्रूड की कीमत 6।50 फीसदी तक लुढ़क चुकी है। आने वाले दिनों में यह स्थिति और बिगड़ने वाली है जब विश्व में तेल को स्टोर करने वाला टैंक पूरी तरह भर जाएगा और उसके बाद भी अगर उत्पादन किया जाता है तो तेल कंपनियों को सोचना होगा कि आखिर इसे रखा कहां जाए।कच्चे तेल की कीमतें घटने नुकसान
आपको बता दें कि कच्चे तेल की कीमतें घटने से नुकसान होते है। राज्यों की कमाई घटेगी: रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक क्रूड प्राइस घटने से राज्यों को नुकसान होगा। पेट्रोलियम वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) से होने वाली कमाई घटेगी। इसके कारण राज्य पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ा सकते हैं।
10 डॉलर तक कीमत पहुंचने का अनुमान
पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये अंदेशा जताया गया था कि अगर सोमवार को ओपेक प्लस देशों की बैठक लंबे समय के लिए टल जाती है तो कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। इन तमाम वैश्विक घटनाक्रम के बीच आज 21वें दिन भी पेट्रोल डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं आया है।आज होने वाली ओपेक की बैठक टली
सोमवार को ओपक प्लस देशों की होने वाली बैठक टल गई है जिसके कारण ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 4 फीसदी तक गिर गई। WTI क्रूड की कीमत 6।50 फीसदी तक लुढ़क चुकी है। आने वाले दिनों में यह स्थिति और बिगड़ने वाली है जब विश्व में तेल को स्टोर करने वाला टैंक पूरी तरह भर जाएगा और उसके बाद भी अगर उत्पादन किया जाता है तो तेल कंपनियों को सोचना होगा कि आखिर इसे रखा कहां जाए।कच्चे तेल की कीमतें घटने नुकसान
आपको बता दें कि कच्चे तेल की कीमतें घटने से नुकसान होते है। राज्यों की कमाई घटेगी: रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक क्रूड प्राइस घटने से राज्यों को नुकसान होगा। पेट्रोलियम वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) से होने वाली कमाई घटेगी। इसके कारण राज्य पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ा सकते हैं।