राजस्थान / सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया : सुनील महाराज

Zoom News : Jan 27, 2020, 03:38 PM
धर्माथ सेवा संस्थान रजि. व श्री सालासर बालाजी प्रचार एवं सेवा समिति रजि., किसान नर्सरी कच्छवाह परिवार के संयुक्त तत्वावधान में रॉयल्टी नाका के पास प्रताप नगर में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन रासलीला, मथुरा गमन, कंस वध, उद्धव चरित्र, रूकणि विवाह, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, शुकदेव विदाई आदि प्रसंग सुनाएं। इस दौरान रूकमणि विवाह के दौरान श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया। भागवत कथा में धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं ने उत्साह से भाग लिया।

आयोजक अजय कच्छवाह, पन्नालाल कच्छवाह, ताराचन्द कच्छवाह, प्रभुलाल कच्छवाह, मगराज कच्छवाह ने जानकारी देते हुए बताया रुकमणी विवाह की कथा कहते हुए कथा वाचक सुनील जी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण और रुकमणी जी का विवाह साधारण स्त्री पुरुष का मिलन नहीं है, ये विशुद्ध आत्मा का परमात्मा से मिलन है। सुदामा चरित्र की कथा को विस्तार से कहते हुए कहा कि जीव जब स्वयं परमात्मा की शरण में जाता है तब परमात्मा उसकी सहायता अवश्य करते हैं। संकट के समय भी धर्म नहीं छोङऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें संकट के समय का डट कर सामना करना चाहिए। यदि हम ऐसा कर पाए तो मानव देह प्राप्ती का सद उपाय हो गया। उन्होंने कहा कि जीवन में संयोग और वियोग का जोड़ा है। दोनों संतुलित ही गति का परिचायक है। कथा में भगवान कृष्ण के इंद्रप्रस्थ से विदाई के करुण प्रसंगों का वर्णन करते हुए द्वारका गमन के प्रसंगों को प्रवचनों से सुनकर धर्मप्रेमी भावुक हो गए। सुदामा का चरित्र बताते हुए महाराज ने कहा कि सच्चा मित्र याचक नहीं होता, लेकिन परमात्मा अपने सखाओं को संकट में नहीं रहने देता।

इस मौके पर महाराज ने गोपी गीत, उद्धव चरित्र, रुक्मणि, सुदामा व परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग सुनाकर स्पष्ट किया कि भगवान प्रेम के वशीभूत हैं। वह प्रेम भक्ति के आगे सभी नियम बदल सकते हैं। सैकड़ों श्रद्धालुओं भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणी की झांकी के दर्शन किए। कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इसके साथ ही सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं। पर परमात्मा ने कहा कि मेरे भक्त जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां हैं। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। 

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