कोरोना अलर्ट / खुशखबरीः कोरोना के पुराने मरीजों के खून से हुआ नए मरीजों का सफल इलाज

कोरोना वायरस के भयावह दौर के बीच एक राहत देने वाली खबर आई है। कोरोना वायरस से संक्रमित पांच गंभीर मरीजों का इलाज खून से किया गया है। ये खून उन मरीजों का था जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित थे। इलाज के इस तरीके को चीन के अस्पताल में अपनाया गया। तीन मरीजों को अस्पताल से वापस भेज दिया गया है। दो अब भी अस्पताल में है, लेकिन पहले से बहुत ज्यादा बेहतर हालत में।

AajTak : Apr 01, 2020, 10:37 AM
दिल्ली: कोरोना वायरस के भयावह दौर के बीच एक राहत देने वाली खबर आई है। कोरोना वायरस से संक्रमित पांच गंभीर मरीजों का इलाज खून से किया गया है। ये खून उन मरीजों का था जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित थे। इलाज के इस तरीके को चीन के अस्पताल में अपनाया गया। तीन मरीजों को अस्पताल से वापस भेज दिया गया है। दो अब भी अस्पताल में है, लेकिन पहले से बहुत ज्यादा बेहतर हालत में।

इन मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर का मानना है कि पुराने मरीजों के खून के जरिए ट्रीटमेंट के इस तरीके से कोरोना के काफी ज्यादा मरीजों को ठीक किया जा सकता है। ये खबर डेलीमेल वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है। 

चीन के द शेनझेन थर्ड पीपुल्स हॉस्पिटल ने अपने इलाज के इस तरीके की रिपोर्ट 27 मार्च को प्रकाशित की थी। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि जिन पांच मरीजों का इलाज पुराने कोरोना मरीजों के खून से किया गया था, वो 36 से 73 साल के बीच थे।

वैज्ञानिक पुराने मरीजों के खून से नए मरीजों का इलाज करने की तकनीक को कोवैलेसेंट प्लाज्मा कहते हैं। इससे कई बीमारियों को ठीक किया जा चुका है। इससे नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाती है। 

इस तकनीक में खून के अंदर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाते हैं। ये एंटीबॉडी वायरस से लड़कर उन्हें मार देते हैं। या फिर दबा देते हैं। शेनझेन थर्ड अस्पताल में संक्रामक बीमारियों के अध्ययन के लिए नेशनल क्लीनिकल रिसर्च सेंटर भी है। 

करीब 12 दिन पहले की बात है जब इस अस्पताल में मौजूद पांचों मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इनमें से तीन पुरुष और दो महिलाएं थीं। शेनझेन अस्पताल के डॉक्टरों ने पुराने ठीक हो चुके मरीजों के खून से इन मरीजों का इलाज कर डाला।

अस्पताल के उप-निदेशक लिउ यिंगजिया ने बताया कि हमने 30 जनवरी से ही कोरोना से ठीक हुए मरीजों को खोजना शुरू कर दिया था। उनके खून लिए फिर उसमें से प्लाज्मा निकाल कर स्टोर कर लिया। जब नए मरीज आए तो उन्हें इसी प्लाज्मा का डोज दिया गया। 

लिउ यिंगजिया ने बताया कि हमें उम्मीद है कि हमारी इस बेसिक तकनीक का उपयोग पूरी दुनिया कर सकती है। इससे वाकई में लाभ होता दिखाई दे रहा है। यह तकनीक भरोसेमंद भी है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ। माइक रियान ने चीन के अस्पताल द्वारा खून से इलाज करने के तरीके को बेहतरीन बताया है। बोले इस समय के अनुसार ये सही कदम है।

डॉ। माइक रियान ने कहा कि कोरोना को हराने के लिए इससे बेहतर तरीका अभी नहीं है। इसे विकसित करके हम मरीजों को ठीक कर सकते हैं। इससे नए मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वायरस को हराने की ताकत भी।