देश / लॉकडाउन के बीच सरकार अब इस इनकम टैक्स पर दे सकती है बड़ी राहत, मिलेगा सीधा फायदा

News18 : May 06, 2020, 04:13 PM
नई दिल्ली।  कोरोना वायरस महामारी (Lockdown Part 3) के संक्रमण को रोकने के लिए शुरू किए लॉकडाउन को देखते हुए सरकार TDS पर लगने वाले ब्याज पर और रियायत देने पर विचार कर रही है। देरी से TDS जमा करने पर फिलहाल 18 फीसदी ब्याज देने का नियम है। हालांकि सरकार ने मार्च के राहत पैकेज में इसे आधा कर दिया था। साथ ही इस पर लगने वाले पेनाल्टी को भी हटाने का ऐलान किया था लेकिन अब इसे पूरी तरह से हटाने को लेकर लगातार मांग हो रही है।

अब क्या होगा- सरकार ने पहले ही टीडीएस जमा करने की आखिरी तारीख बढ़ा कर 30 जून कर दी है। साथ ही टीडीएस पर ब्याज की दर को भी 18 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर दिया था लेकिन अब सरकार इसे पूरी तरह से माफ करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

किसे मिलेगी राहत- आपको बता दें कि कई TDS पर लगने वाले ब्याज को हटाने के लिए कारोबारियों और सांसदों ने भी चिट्ठी लिखी है। कारोबारियों की दलील है कि लॉकडाउन के चलते कारोबारियों के तमाम पेमेंट जगह जगह अटके है।

कारोबारियों की दलील है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट के दफ्तर बंद होने के वजह से टैक्स कैलकुलेट करना मुश्किल हो रहा है। टैक्स कैलकुलेट करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट भी नहीं मिल पा रहे है।

क्या होता है टीडीएस (What is TDS)- टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा है। इसका मतलब होता है 'टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स।' यह इनकम टैक्स को आंकने का एक तरीका हैं। इनकम टैक्स से टीडीएस ज्यादा होने पर रिफंड क्लेम किया जाता है और कम होने पर अडवांस टैक्स या सेल्फ असेसमेंट टैक्स जमा करना होता है।

कंपनी के केस में अगर टैक्सेबल इनकम पर देय टैक्स बुक प्रॅफिट के 15 फीसदी से कम है तो बुक प्रॉफिट को इनकम मानकर 15 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा।

आम आदमी के लिए टीडीएस का मतलब क्या होता है-टीडीएस हर आय पर और हर किसी लेन-देन पर लागू नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इस पर जो आय प्राप्त हुई उस पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा लेकिन अगर आप एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा।

जो पेमेंट कर रहा है टीडीएस सरकार के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी भी उसकी होगी। टीडीएस काटने वालों को डिडक्टर कहा जाता है। वहीं जिसे टैक्स काट के पेमेंट मिलती है उसे डिडक्टी कहते हैं।

फार्म 26AS एक टैक्स स्टेटमेंट है जिसमें यह दिखाया जाता है कि काटा गया टैक्स और व्यक्ति के नाम या पैन में जमा किया गया है। हर डिडक्टर को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करके ये बताना भी जरूरी है कि उसने कितना टीडीएस काटा और सरकार को जमा किया।

कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है। जिससे टैक्स लिया गया है उसे भी टीडीएस कटने का सर्टिफिकेट जरूर लेना चाहिए। डिडक्टी अपने चुकाए गए टैक्स का टीडीएस क्लेम कर सकता है। हालांकि उसी फाइनेंशियल ईयर में क्लेम करना पड़ेगा।

एक तय रकम से ज्यादा भुगतान पर ही टीडीएस कटता है। विभिन्न तरह की आय सीमा पर टीडीएस कटता है आयकर विभाग ने सैलरी, ब्याज आदि पर टीडीएस काटने के कुछ नियम तय किये हैं जैसे कि एक साल में एफडी से अगर 10 हजार से कम ब्याज मिलता है तो आपको उसपर टीडीएस नहीं चुकाना पड़ेगा।

अगर एक वित्तीय वर्ष में व्यक्ति की आय इनकम टैक्स छूट की सीमा से नीचे है तो वह अपने नियोक्ता से टीडीएस फार्म 15 G/15H भरके टीडीएस नहीं काटने के लिए कह सकता है।

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