AajTak : Apr 14, 2020, 09:43 AM
कोरोना वायरस संकट के बीच भारत ने बीते दिनों अमेरिका की मदद की थी। तब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा था कि वह इस मदद को नहीं भूलेंगे। अब इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है। सोमवार को ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी संसद को इस बारे में सूचना दी कि वह भारत को 155 मिलियन डॉलर के एक सौदे में हारपून ब्लॉक 2 एयर लॉन्च मिसाइल और टॉरपीडो देगा।
इस समझौते के तहत भारत को 10 AGM-84L हारपून एयर लॉन्च मिसाइलें 92 मिलियन डॉलर की कीमत कीं, जबकि 16 ML 54 राउंड टॉरपीडो-3 MK 54 एक्ससाइज़ टॉरपीडो 64 मिलियन डॉलर की दी जाएगी।
अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि भारत सरकार की ओर से इस बारे में अपील की गई थी, जिसे अब अमेरिका ने मंजूरी दी है। पेटागन के मुताबिक, हारपून मिसाइल सिस्टम की मदद से समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है। अमेरिका इसका इस्तेमाल कई मोर्चों पर करता आया है। पेंटागन का कहना है कि भारत इनका इस्तेमाल क्षेत्रीय संकटों से निपटने में किया करेगा, अमेरिका लगातार भारत को समर्थन देता रहेगा।
भारत को मिलने वाली हारपून मिसाइल का निर्माण बोइंग के द्वारा किया जाएगा, जबकि टॉरपीडो को रेथियॉन कंपनी के द्वारा दिया जाएगा। पेंटागन की ओर से कहा गया है कि भारत और अमेरिका पिछले लंबे समय से अच्छे दोस्त रहे हैं, सुरक्षा की दृष्टि से भी दोनों देश आगे भी इसी दोस्ती को बढ़ावा देंगे।
गौरतलब है कि अमेरिका में इस वक्त कोरोना वायरस का महासंकट छाया हुआ है, ऐसे मौके पर अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देने की अपील की थी। जिसे भारत ने स्वीकार किया था और अमेरिका को बड़ी मात्रा में ये दवाई दी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया किया था।
इस समझौते के तहत भारत को 10 AGM-84L हारपून एयर लॉन्च मिसाइलें 92 मिलियन डॉलर की कीमत कीं, जबकि 16 ML 54 राउंड टॉरपीडो-3 MK 54 एक्ससाइज़ टॉरपीडो 64 मिलियन डॉलर की दी जाएगी।
अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि भारत सरकार की ओर से इस बारे में अपील की गई थी, जिसे अब अमेरिका ने मंजूरी दी है। पेटागन के मुताबिक, हारपून मिसाइल सिस्टम की मदद से समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है। अमेरिका इसका इस्तेमाल कई मोर्चों पर करता आया है। पेंटागन का कहना है कि भारत इनका इस्तेमाल क्षेत्रीय संकटों से निपटने में किया करेगा, अमेरिका लगातार भारत को समर्थन देता रहेगा।
भारत को मिलने वाली हारपून मिसाइल का निर्माण बोइंग के द्वारा किया जाएगा, जबकि टॉरपीडो को रेथियॉन कंपनी के द्वारा दिया जाएगा। पेंटागन की ओर से कहा गया है कि भारत और अमेरिका पिछले लंबे समय से अच्छे दोस्त रहे हैं, सुरक्षा की दृष्टि से भी दोनों देश आगे भी इसी दोस्ती को बढ़ावा देंगे।
गौरतलब है कि अमेरिका में इस वक्त कोरोना वायरस का महासंकट छाया हुआ है, ऐसे मौके पर अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देने की अपील की थी। जिसे भारत ने स्वीकार किया था और अमेरिका को बड़ी मात्रा में ये दवाई दी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया किया था।