Vikrant Shekhawat : Jun 22, 2021, 07:56 PM
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि डेल्टा वेरियंट इस समय दुनिया के 80 देशों में है। भारत में भी यह है और इसे 'वेरियंट ऑफ कंसर्न' की श्रेणी में रखा गया है। मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि डेल्टा प्लस वेरियंट अभी 9 देशों में हैं। यूके, यूएस, जापान, रशिया, भारत, पुर्तगाल, स्विटरजरलैंड, नेपाल और चीन। उन्होंने कहा कि भारत में डेल्टा प्लस के 22 मामले हैं और अभी इसे 'वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट' की श्रेणी में रखा गया है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में पाए गए हैं। राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा गया है कि कैसे डेल्टा प्लस वेरियंट को डील करना है। हम नहीं चाहते हैं कि डेल्टा प्लस वेरियंट आगे बढ़े।विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट, देश में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है।स्वास्थ्य सचिव ने कहा, भारत के दोनों वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड, डेल्टा वेरिएंट पर असरदार हैं। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V लेट आई है लेकिन अभी कोविशील्ड और कोवैक्सिन पर पाया गया कि दोनों वैक्सीन डेल्टा वेरियंट पर असरदार है।नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने इस दौरान बताया कि कोरोना की नई वेव इसलिए आती है क्योंकि वायरस घूम रहा है। अगर हम प्रोटेक्टेड नही हैं तो संवेदनशील हैं। ऐसे में अगर वायरस रूप बदल देता है तो दिक्कत हो जाती है। इस बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है। वायरस हो रहा है हम वैक्सीन के जरिए ससेप्टिबिलिटी को बदल सकते हैं।। उन्होंने कहा कि अगर हम वायरस को मौका नही देते हैं तो दिक्क्क्त नही होगी।कई देशों में चार वेव तक आयी है। कोरोना वेब को लेकर कही रूल नहीं है, इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्कूल एक क्राउड है। वहां टीचर, बच्चे और हेल्पर सब होंगे। जब थोड़े और केस कम होंगे और वैक्सीन लग जाएंगे तो स्कूल खोलना आसान होगा। इसमें दो तीन मन्त्रालय इन्वॉल्व हैं। इस दौरान पॉल ने कहा कि बुजुर्ग लोग, जिन्होंने दोनों डोज लिए हैं, थोड़ा बाहर टहल सकते हैं लेकिन भीड़ में नही जाना है। यह सब इस बात पर डिपेंड करता है कि उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा है, कोई दिक्क्क्त न हो। वैक्सीनेशन को लेकर पूछे सवाल के जवाब मे उन्होंने कहा कि भारत जो ठान लेता हूं, उसे कर लेता है। पोलियो में एक दिन में 7-8 करोड़ ड्रॉप्स मिलते रहे। 16-17 करोड़ तक पोलियो में आंकड़ा पहुचा था। अगर बड़े स्केल पर काम करने की बात आती है तो हो जाता है।