इंसानियत शर्मसार / बेरहम इंसानों ने तोड़ दी ऊंटनी की टांग, सड़क किनारे 4 दिन से तड़प रही

AajTak : Jul 30, 2020, 12:26 PM
जैसलमेर | बीते दिनों केरल में एक हथिनी को विस्फोटक पदार्थ खिलाकर मारने और राजस्थान के चुरू में एक ऊंट के पैर तोड़कर बुरी तरह घायल करने के मामले को बहुत समय नहीं हुआ है। इस बीच पशुओं पर किए जा रहे अत्याचार का एक और मामला जैसलमेर से सामने आया है। जैसलमेर के एक गांव में इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना में कुछ अज्ञात लोगों ने ऊंटनी की क्रूरतापूर्वक पिटाई करते हुये उसके पैर तोड़ दिए। जिसके बाद 4 दिन से वह ऊंटनी वहीं सड़क पर पड़ी कराह रही है लेकिन प्रशासन ने उसे अस्पताल तक पहुंचाने की जहमत नहीं उठाई है।

ये मामला जैसलमेर के सांकड़ा थानान्तर्गत बेतीना गांव का है। इस सनसनीखेज मामले को लेकर पशु प्रेमियों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। घटना तीन दिन पुरानी बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, घटना के बाद ऊंटनी दर्द से कराह रही है। ऊंटनी की दहाड़ने की आवाज काफी दूर तक सुनाई देने लगी है लेकिन अभी तक स्थानीय तौर पर न तो पशुपालन विभाग की टीम मौके पर पहुंची है और न ही अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही देखने को मिली है। ऊंटनी मालिक ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया  है। इसके बाद बुधवार को सांकड़ा पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की।

बता दें कि भारत सहित पूरे विश्व में ऊंटों की संख्या लगातार कम हो रही है। राजस्थान द्वारा घोषित राज्य पशु ऊंट अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहा है। खासकर राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर में पाए जाने वाले ऊंटों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है। ऊंटों की उपयोगिता न होने के कारण लगातार ऊंट कटने के लिए भेजे जा रहे हैं और आए दिन ऊंटों के साथ क्रूरता की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना कुछ दिन पहले चुरू में भी घटित हुई थी। अब उसी प्रकार की घटना जैसलमेर में देखने को मिली है।

देगराय उष्ट कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष सुमेर सिंह भाटी ने इस घटना के संबंध में बताया कि उन्हें सूचना मिली है कि सांकड़ा थानान्तर्गत बेतीना गांव में एक ऊंटनी के पैर टूटे हुए हैं तथा वह बुरी तरह कराह रही है। जानकारी मिलते ही उनके अन्य साथी मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने ऊंटनी को बड़ी बेरहमी से घायल किया है। उसके पैर टूटे हुए हैं और वह चलने की हालत में नहीं है। कोई भी व्यक्ति जब उसके पास जाने की कोशिश करता है तो वह डर के मारे और जोरदार आवाजें निकालती है और बुरी तरह कराह रही है।

उन्होंने बताया कि पैरों में लगी चोट के कारण वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक हिल नहीं पा रहा है। अभी तक उसकी पशुपालन विभाग और स्थानीय तौर पर किसी ने सुध नहीं ली है। बुधवार शाम को टीम के कुछ लोग थोड़ी बहुत पट्टी और उपचार करके चले गए लेकिन ऊंटनी को अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई। ऊंटनी के मालिक ने पुलिस को सूचित किया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए तथा अतिशीघ्र उन्हें पकड़ा जाना चाहिए।

ऊंटनी के मालिक का कहना है कि सरकार ने ऊंट को भले ही राज्य पशु घोषित कर दिया गया हो लेकिन ऊंट के संरक्षण के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए गए हैं। ऊंट संरक्षण के लिए जो योजनाएं चल रही थीं वो सारी योजनाएं बंद कर दी गई हैं। राष्ट्रीय ऊंट विकास योजना से किसी प्रकार की कोई राशि पशुपालकों को नहीं मिल पा रही है। इस योजना में नए पंजीयन भी बंद कर दिए गए हैं। इस कारण ऊंटों की संख्या लगातार सभी स्थानों पर कम हो रही है। ऊंटों की तस्करी लगातार चल रही हैं जिससे ऊंट लुप्त होने की कगार पर हैं।

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