News18 : Aug 06, 2020, 08:48 AM
रोहतक। हेपेटाइटिस-सी (Hepatitis-C ) की दवा खाने वाले मरीजों पर कोरोना (Corona Virus) का असर दिखाई नहीं पड़ रहा। कई देशों में इस दवा का ट्रायल चल रहा है और भारत में भी इस पर रिसर्च किया जा रहा है। रोहतक पीजीआई में अभी तक 2000 ऐसे मरीज चिन्हित किए गए हैं, जोकि हेपेटाइटिस-सी यानि काला पीलिया की दवा ले रहे हैं। इनमें से किसी पर भी कोरोना का असर नजर नहीं आया है।
रोहतक पीजीआई में हेपेटाइटिस-सी का स्टेट नोडल ट्रीटमेंट सेंटर है। इस सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि ब्रिटेन, ब्राजील, ईरान और सऊदी अरब आदि देशों में हेपेटाइटिस-सी के प्रभावी होने के प्रमाण मिले हैं। इसकी दवा खाने वाले मरीजों पर कोरोना का असर दिखाई नहीं पड़ रहा।
हरियाणा में तकरीबन 5000 हेपेटाइटिस-सी के मरीज दवा ले रहेपिछले 4 महीने के दौरान हरियाणा में तकरीबन 5000 हेपेटाइटिस-सी के मरीज दवा ले रहे हैं। हम इस पर रिसर्च कर रहे हैं और अभी तक 2000 लोगों का डाटा जुटा चुके हैं और खुशी की बात यह है कि इन मरीजों में से किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं मिले हैं। हालांकि यह परोक्ष प्रमाण है, लेकिन उम्मीद है कि शायद हेपेटाइटिस की दवा कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होगी।रोहतक पीजीआई को मिली अनुसमतिबता दें कि कोविड़ मरीजों के इलाज के लिए रोहतक पीजीआई में काला पीलिया की दवाई का ट्रॉयल करने की मंजूरी मिल गई है और इसके लिए 86 लाख रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई है। हैल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ ओपी कालरा ने ये जानकारी दी। दरअसल विश्व के पांच देशों में काला पीलिया (Black Jaundice) की दवाई से कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए ट्रॉयल किया गया था, जिसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं। इसके बाद रोहतक पीजीआई (Rohtak PGI) की ओर से भी ये ट्रॉयल करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से अनुमति मांगी गई थी।
रोहतक पीजीआई में हेपेटाइटिस-सी का स्टेट नोडल ट्रीटमेंट सेंटर है। इस सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि ब्रिटेन, ब्राजील, ईरान और सऊदी अरब आदि देशों में हेपेटाइटिस-सी के प्रभावी होने के प्रमाण मिले हैं। इसकी दवा खाने वाले मरीजों पर कोरोना का असर दिखाई नहीं पड़ रहा।
हरियाणा में तकरीबन 5000 हेपेटाइटिस-सी के मरीज दवा ले रहेपिछले 4 महीने के दौरान हरियाणा में तकरीबन 5000 हेपेटाइटिस-सी के मरीज दवा ले रहे हैं। हम इस पर रिसर्च कर रहे हैं और अभी तक 2000 लोगों का डाटा जुटा चुके हैं और खुशी की बात यह है कि इन मरीजों में से किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं मिले हैं। हालांकि यह परोक्ष प्रमाण है, लेकिन उम्मीद है कि शायद हेपेटाइटिस की दवा कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होगी।रोहतक पीजीआई को मिली अनुसमतिबता दें कि कोविड़ मरीजों के इलाज के लिए रोहतक पीजीआई में काला पीलिया की दवाई का ट्रॉयल करने की मंजूरी मिल गई है और इसके लिए 86 लाख रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई है। हैल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ ओपी कालरा ने ये जानकारी दी। दरअसल विश्व के पांच देशों में काला पीलिया (Black Jaundice) की दवाई से कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए ट्रॉयल किया गया था, जिसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं। इसके बाद रोहतक पीजीआई (Rohtak PGI) की ओर से भी ये ट्रॉयल करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से अनुमति मांगी गई थी।