News18 : Jul 06, 2020, 08:55 AM
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के मामलों में दिनोंदिन तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कोरोना वायरस संक्रमितों (Covid-19) के इलाज के लिए अस्पतालों में व्यवस्था की गई है। हालांकि इस बीच कुछ अस्पतालों की ओर से मरीजों से इलाज के एवज में अधिक रकम वसूलने के मामले भी सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हैदराबाद (Hyderabad) से सामने आया है। यहां एक सरकारी अस्पताल की डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थीं। इलाज के लिए वह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुईं। उनका आरोप है कि अस्पताल ने उनसे एक दिन के इलाज के 1।19 लाख रुपये वसूले। साथ ही उन्हें बंधक भी बनाया गया था। उन्होंने इसके संबंध में केस भी दर्ज करवाया है।
हैदराबाद के गवर्नमेंट फीवर हॉस्पिटल की असिस्टेंट सिविल सर्जन असरा सुल्ताना के अनुसार 1 जुलाई को सांस लेने में तकलीफ होने पर वह अगले दिन थम्बे हॉस्पिटल इलाज के लिए गई थीं। उन्होंने दो हफ्ते पहले कोरोना जांच कराई थी। इसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं। वह घर पर ही क्वारंटाइन में रह रही थीं। उनके अनुसार वह जब हॉस्पिटल पहुंचीं तो उनसे 40 हजार रुपये बतौर एडमिशन चार्ज जमा करने को कहा गया। इसके बाद वह अगले दिन जब अस्पताल छोड़ना चाह रही थीं तो उनसे उस वक्त 79 हजार रुपये और चुकाने को कहा गया। उन्हें यह रकम चुकाए बिना अस्पताल से जाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।डॉक्टर असरा के अनुसार, 'अस्पताल में मुझे बेहतर इलाज नहीं मिल रहा था। वहां की नर्स भी गैर जिम्मेदार थीं। वे मुझे समय पर दवा भी नहीं देती थीं। 2 जुलाई को सिर्फ एक दिन के लिए ही अस्पताल ने मुझे 1।19 लाख रुपये का बिल थमा दिया। मैंने 40000 रुपये चुका दिए थे। मेरे पास बाकी के रुपये नहीं थे। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारियों ने मुझे कई घंटों तक बंधक बना लिया था। मुझे तब ही वहां जाने दिया गया जब मेरा भाई वहां आया और उसने बाकी के रुपये चुकाए। वह खुद भी कोरोना पॉजिटिव है। हमने एक दिन के इलाज के लिए 1।19 लाख रुपये चुकाए हैं।'वहीं अस्पताल ने एक बयान में कहा कि डॉक्टर सुल्ताना को बिना किसी विवाद के अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनका बिल उन्हें दी गई सेवा और दवाओं के खर्च पर आधारित है। इस घटना के बाद डॉ। सुल्ताना ने अपना एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।
हैदराबाद के गवर्नमेंट फीवर हॉस्पिटल की असिस्टेंट सिविल सर्जन असरा सुल्ताना के अनुसार 1 जुलाई को सांस लेने में तकलीफ होने पर वह अगले दिन थम्बे हॉस्पिटल इलाज के लिए गई थीं। उन्होंने दो हफ्ते पहले कोरोना जांच कराई थी। इसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं। वह घर पर ही क्वारंटाइन में रह रही थीं। उनके अनुसार वह जब हॉस्पिटल पहुंचीं तो उनसे 40 हजार रुपये बतौर एडमिशन चार्ज जमा करने को कहा गया। इसके बाद वह अगले दिन जब अस्पताल छोड़ना चाह रही थीं तो उनसे उस वक्त 79 हजार रुपये और चुकाने को कहा गया। उन्हें यह रकम चुकाए बिना अस्पताल से जाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।डॉक्टर असरा के अनुसार, 'अस्पताल में मुझे बेहतर इलाज नहीं मिल रहा था। वहां की नर्स भी गैर जिम्मेदार थीं। वे मुझे समय पर दवा भी नहीं देती थीं। 2 जुलाई को सिर्फ एक दिन के लिए ही अस्पताल ने मुझे 1।19 लाख रुपये का बिल थमा दिया। मैंने 40000 रुपये चुका दिए थे। मेरे पास बाकी के रुपये नहीं थे। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारियों ने मुझे कई घंटों तक बंधक बना लिया था। मुझे तब ही वहां जाने दिया गया जब मेरा भाई वहां आया और उसने बाकी के रुपये चुकाए। वह खुद भी कोरोना पॉजिटिव है। हमने एक दिन के इलाज के लिए 1।19 लाख रुपये चुकाए हैं।'वहीं अस्पताल ने एक बयान में कहा कि डॉक्टर सुल्ताना को बिना किसी विवाद के अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनका बिल उन्हें दी गई सेवा और दवाओं के खर्च पर आधारित है। इस घटना के बाद डॉ। सुल्ताना ने अपना एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किया है।