India-China / कैसे चीनी सेना ने भारतीय नागरिक को बंधक बना कर ढाया जुल्म, सुनिए उसी की जुबानी

AajTak : Sep 16, 2020, 07:02 AM
Delhi: 21 साल के टोगले सिंगकम उन काले दिनों को याद कर आज भी सिहर उठते हैं, जब उन्हें अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने बंधक बना लिया था।  चीन-भारत सरहद के पास अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबानसिरी जिले के ताकसिंग क्षेत्र के रहने वाले टोगले कुली का काम करते हैं। और क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर सामान पहुंचाने के लिए अक्सर आधिकारिक संस्थानों की भी मदद करते हैं। पहाड़ी रास्तों का अच्छा जानकार होने की वजह से टोगले ने रोजी-रोटी के लिए इस पेशे को अपनाया। 


19 मार्च को PLA ने बंधक बना लिया

पलक झपकने की देर में ही टोगले को घुटनों पर बैठने को मजबूर कर दिया गया और हाथ रस्सी से बांध दिए गए। टोगले के चेहरे को भी कपड़े से ढंक दिया गया। टोगले उस दिन के बारे में बताते हैं, "मैं 19 मार्च को भारतीय क्षेत्र में था। मैं खाने का इंतजाम करने के लिए शिकार करने नियमित तौर पर उस क्षेत्र में जाता रहता था। वहीं PLA ने मुझे घेरा और पकड़ लिया। उनके संख्या में अधिक होने की वजह से मैं भाग नहीं सका। उन्होंने मुझे फर्श पर बैठाया, मेरे चेहरे को कपड़े से लपेट कर मुझे वहां से ले गए। जब ​​मेरी आंखें खोली गईं तो मैं एक चीनी कैंप में था। मुझे बिस्तर से बांध कर पीटा गया। मुझे फिर किसी वाहन से किसी और जगह पर ले जाया गया। मेरा चेहरा ढंका हुआ था और मुझे पीटा जा रहा था।" 

टोगले को वाहन से चीन के भीतरी क्षेत्र में कहीं ले जाया गया। जब आंखों से कपड़ा हटाया गया तो टोगले ने खुद को एक अंधेरे कमरे में लकड़ी की कुर्सी पर बैठा पाया। जहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। 

टोगले को बंधक रहते हुए जिस तरह के कष्ट सहने पड़े, उनकी आंखों में वो दर्द आज भी साफ देखा जा सकता है। उन्हें कैसी क्रूरता का सामना करना पड़ा, ये टोगले के इन शब्दों से व्यक्त होता है, " मुझे 15 दिन के लिए एक कुर्सी पर बैठे रहने को मजबूर किया गया और कुछ सेकेंड के लिए भी आंखें बंद करने की इजाजत नहीं दी गई। स्थिति इतनी खराब थी कि मुझे वक्त के बारे में भी नहीं पता था।।।कि सुबह है या रात। मुझे बिजली के झटके दिए गए और यह कबूल करने के लिए जोर दिया जाता रहा कि मैं भारतीय सेना का जासूस हूं। वे मुझे कभी भी पीटना शुरू कर देते थे।” 

यातना का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ

लातें, थप्पड़ की बरसात के साथ ही टोगले को बिजली के तब तक झटके दिए जाते थे जब तक उनकी सहने की सीमा खत्म नहीं हो जाती थी। लेकिन PLA ने जितना सोचा था तो टोगले मानसिक और शारीरिक तौर पर कहीं ज्यादा मजबूत निकले। 

टोगले ने बताया, “मुझे पूरे 15 दिनों के लिए एक अंधेरे कमरे में रखा गया। मुझे अपनी आंखें बंद करने की अनुमति नहीं थी। थप्पड़, पिटाई, झटके।।।सब कुछ था। मुझे पैक्ड फूड दिया जाता था। सिर्फ टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए उठने दिया जाता था। मेरे हाथ लगातार कुर्सी से बांधे रखे गए। आंखें बंद किए बिना कोई भी इतने लंबे समय तक बैठे रह सकता।।।उन्होंने मुझे बिजली के झटके दिए, लेकिन मैंने उसके बाद भी हार नहीं मानी।” 

सीमा के किनारे संकेतक बोर्ड होते हैं जिन्हें निश्चित रणनीतिक जगहों पर लगाया जाता है। इससे आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों को भारतीय क्षेत्र को जानने में आसानी रहती है। साथ ही उन्हें ये अपने क्षेत्र में सुरक्षित रखता है। चीनी सेना PLA की आंखों में इस तरह के भारतीय संकेतक बोर्ड चुभते हैं। PLA ने टोगले के हाथों की लिखावट का भी ऐसे बोर्डों की तस्वीरों से मिलान किया। ये साबित करने की कोशिश में कि टोगले का भारतीय खुफिया तंत्र से जुड़ाव है।   

टोगले ने कहा, "उन्होंने मेरी हैंड राइटिंग की भी जांच की। मुझे लिखने के लिए शीट्स दी गईं। वे ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि क्या मैं वो शख्स हूं जिसने सरहद के पास लिखा और कुछ जगहों पर बोर्ड लगाए। वे पता लगाना चाह रहे थे कि क्या मैंने ताजा लगे बोर्डों में भारत लिखा था। यह हैंड राइटिंग टेस्ट था।।।लेकिन मेरी लिखावट उनमें से किसी से भी मेल नहीं खाई, जिससे वो मिलान कर रहे थे।" ऐसे में सवाल उठता है कि वो कैसे एक भारतीय से संवाद कर रहे थे, जिसे चीनी भाषा नहीं आती।   

टोगले ने उन्हें ये साफ कर दिया था कि वो इतने भी शिक्षित नहीं कि हिन्दी में भी वाक्य लिख सकें। वे (PLA) ऑडियो रिकॉर्ड करने, अनुवाद करने के लिए गैजेट्स का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी तरीके से वो अपनी बात टोगले से कह रहे थे।

टोगले ने कहा, "चीनी सेना ने मेरे बोले गए शब्दों का अनुवाद करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल किया। फिर इसी तरह से वो हिन्दी में मुझ तक अपनी बात कहते थे। सवाल जवाब इसी तरह किए जाते थे। उन्होंने मुझे मोबाइल का इस्तेमाल करने के लिए कहा। ये उनका एक टेस्ट था। लेकिन मुझे पता था कि यह एक ट्रैप था, इसलिए मैंने उसका इस्तेमाल करने से दूर रहने की कोशिश की।।।ये दिखाना चाहा कि मुझे कितना कम पता था।” 

ताकसिंग का स्थानीय निवासी होने की वजह से टोगले क्षेत्र में भारतीय सेना के मूवमेंट को देखते हुए ही बड़े हुए। लेकिन उन्हें ये कोई सुराग नहीं था कि अगर पड़ोसी मुल्क की सेना उसे बंधक बना लेगी तो उसे क्या करना होगा। टोगले ने कहा, "वे सिर्फ मुझसे कबूल करवाना चाहते थे कि मैं भारत सेना के लिए काम कर रहा था, क्षेत्र की फोटो क्लिक कर रहा था और गुप्त स्थानों का खुलासा कर रहा था। मैंने उन्हें बताया कि मैं शिकार के लिए जंगल में आया था और पकड़ लिया गया।”  

हालांकि टोगले को अंधेरी जगहों पर रखा गया था लेकिन वे देख सकते थे कि चीनियों की मंशा क्या थी और क्या साबित करना चाहते थे। टोगले ने कहा, "चीनी सेना आमतौर पर सरहद पर लोगों को परेशान करती है। वे ऐसे झूठे आरोपों के आधार पर लोगों को हिरासत में लेते हैं। वे हमारे क्षेत्र में घुस आते हैं, लेकिन भारतीय सेना की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है।” 

टोगले अपनी सुरक्षित वापसी के लिए देशवासियों का शुक्रिया करते नहीं थकते। टोगले की 7 अप्रैल 2020 को भारतीय क्षेत्र में वापसी हुई थी। टोगले ने कहा, "उन्होंने मुझे भारतीय सेना के हस्तक्षेप की वजह से रिहा किया। केंद्र सरकार ने मेरा मामला उठाया और मेरे आधार कार्ड की जानकारी उन्हें भेजी। उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि मैं जिंदा बचा रहूंगा। मैंने उस वक्त तक हार मान ली थी। चीनी अधिकारी बार-बार मुझे कह रहे थे कि मुझे उनकी सरकार की ओर से दंडित किया जाएगा। मैं शुक्रगुजार हूं कि मुझे बचा लिया गया और मैं घर लौट आया।

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