Coronavirus / इन अहम फैसलों ने बदल दी दिल्ली की किस्मत, अन्य राज्यों को लेनी चाहिए सीख

Zee News : Jul 06, 2020, 08:10 PM

नई दिल्ली: देश भर में बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में कोरोना अब काबू में आता दिख रहा है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के आंकडे भले ही 1 लाख के पार हो गए हों लेकिन ठीक होने वालों की संख्या 72 हजार है यानी देश भर के मुकाबले कोरोना से ठीक होने में दिल्ली का रिकवरी रेट 71 फीसदी पहुंच गया है। 

कोरोना ममालों को लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को पीछे छोड़ने वाली दिल्ली में आखिर ऐसा क्या हुआ कि कोरोना अंडर कंट्रोल हो गया? क्या महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों को दिल्ली मॉडल से सीखने की जरूरत है? दिल्ली में कोरोना से होने वाले मौतों के आंकडों को कैसे कम किया गया? ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के रोकथाम के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार की साथ में लिए गए फैसलों और बेहतर रणनीति के चलते कोरोना से जंग में जीत दिखाई दे रही है। 

दिल्ली में एक ओर हर रोज टेस्ट के आंकडे बढ़ रहे हैं इसके ठीक उलट कोरोना संक्रमण के मामलें में कमी आ रही है। इतना ही नहीं कोरोना से बिमार हुए मरीजों का रिकवरी रेट भी दिल्ली में 71 फीसदी तक जा पहुंचा है। जबकि देश भर में रिकवरी रेट 60 फीसदी के आसपास है। 

लगभग डेढ़ महीने पहले जब दिल्ली में लॉकडाउन खोला गया था, तब कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी थी। अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी थी, लोगों को टेस्ट कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। जिस गति से उस वक्त कोरोना के केस बढ़ रहे थे, उसके मुताबिक यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अगर यही स्थिति रही तो 30 जून तक दिल्ली में कोरोना के एक लाख केस होंगे और जुलाई के आखिर तक ये आंकड़ा साढ़े पांच लाख तक पहुंच जाएगा। 

लेकिन 15 अहम फैसलों ने बदल दी दिल्ली की किस्मत-

1. अलग-अलग संस्थाओं को विश्वास में लेकर एक टीम का गठन-

14 जून को गृह मंत्री अमित शाह ने एमसीडी दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के नुमाइंदों को मिलाकर एक यूनिफाइड कमांड का गठन किया। जिनका काम था कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक साथ काम करना। इसी दिन वीके पाल कमेटी का भी गठन किया गया जिसमें एम्स निदेशक, भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय के आला अधिकारी और अन्य पेशेवर लोग थे। जिन्होंने दिल्ली में कोरोनावायरस का आकलन करना शुरू कर दिया।

2. मैनपावर की कमी को पूरा करना

दिल्ली सरकार की तरफ से अक्सर यह शिकायत आ रही थी कि उनके पास समुचित स्टाफ नहीं है। अलग-अलग एजेंसियों के साथ बैठक करके यह सुनिश्चित किया गया कि अर्धसैनिक बल, रेलवे और सेना के लोग भी दिल्ली में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में साथ आएं और उन्हें भी इस काम में लगाया गया। 

3. टेस्टिंग की संख्या बढाई

दिल्ली में कम टेस्टिंग एक बहुत बड़ा कारण था कि संक्रमण का पता नहीं लग पा रहा था। डेढ महीने पहले दिल्ली में 6000 टेस्ट हो रहे थे। टेस्टिंग ज्यादा हो सके इस क्रम में एंटीजन टेस्टिंग दिल्ली में लागू की गई। नतीजा यह हुआ कि 1 अप्रैल से 14 जून तक दिल्ली में रोजाना औसत कोविड टेस्ट जो 2800 हो रहे थे वह अब बढ़कर 20000 प्रति दिन हो गए हैं। 14 जून से 30 जून के बीच में 240000 लोगों की जांच की गई। 

4. कोरोना टेस्ट की कीमत कम की

गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश में बनाई गई वीके पाल कमेटी की सिफारिश पर सभी प्राइवेट लैब और अस्पतालों में टेस्टिंग की दर ₹24000 कर दी गई। 14 जून से पहले दिल्ली में टेस्टिंग की दर 4500 रुपए थी।

5. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट जोन का बेहतर मैनेजमेंट

दिल्ली में कंटेनमेंट जोन का आकलन कैसे हो उसके लिए दिल्ली सरकार की मदद से एक बड़ा अभियान चलाया गया। जिसके बाद कंटेनमेंट जोन की संख्या 436 निर्धारित की गई और उसी के मुताबिक उन जोन में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी शुरू की गई। इस प्रक्रिया ने इस बात की आशंका को कम कर दिया कि जुलाई के अंत तक जो मामले 5।30 लाख अनुमानित थे वह अब कहीं कम होंगे। 

6. डोर टू डोर सर्वे/ स्क्रीनिंग

दिल्ली में बड़े स्तर पर सेरोलॉजिकल सर्वे और स्क्रीनिंग का काम शुरू किया गया है। जहां लोगों की स्क्रीनिंग कर उनमें से कोरोना मरीजों को चिह्नित कर उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है, ताकि कोरोना का फैलाव रोका जा सके। एनजीओ आरडब्लूए व अन्य सामाजिक संस्थाओं को एक साथ लाया गया और एक सघन सर्वे की प्रक्रिया शुरू की गई जिससे सरकार के पास एक पुख्ता डेटाबेस बन गया।  

7. दिल्ली में कोविड बेड्स की संख्या को तीन गुना करना

14 जून तक दिल्ली में कोविड बेड्स की संख्या करीब 10,000 थी जो वर्तमान में 30000 से ज्यादा हो गई है। 10200 बेड्स का कोविड केयर सेंटर छतरपुर में, करीब 8000 बेड्स का रेलवे कोच कोविड केयर सेंटर, और डीआरडीओ का 1000 बेड्स का कोविड केयर सेंटर 15 जून से 30 जून के बीच बनकर तैयार हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली में अब 30,000 से ज्यादा कोविड बेड्स उपलब्ध हैं।

8. कोरोना इलाज के खर्च में एक तिहाई तक की कमी

आइसोलेशन बेड बिना आईसीयू वेंटिलेटर और आईसीयू वेंटीलेटर के लिए जो इलाज का खर्चा आता था वह एक तिहाई कर दिया गया है।  दिल्ली के सभी निजी अस्पतालों में अब प्रतिदिन आइसोलेशन का खर्चा 8000 रुपये, बिना आईसीयू वेंटीलेटर 14000 रुपये और आईसीयू वेंटीलेटर के साथ 18000 रुपये हो गया है।

9. आवश्यक संसाधनों की सप्लाई

पिछले 15 दिनों के दौरान केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 500 ऑक्सीजन सिलेंडर, 440 वेंटीलेटर और 10,000 ऑक्सीमीटर दिए हैं।

10. होम आइसोलेशन की रणनीति

दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने एक विस्तृत होम आइसोलेशन पॉलिसी तैयार की और उस पर दिल्ली सरकार को अमल करने को कहा है।

11. अस्पतालों की कनेक्टिविटी

दिल्ली के सभी जिलों को उनके आसपास से कोरोना वायरस अस्पतालों से जोड़ दिया गया है ताकि जो भी कोरोना वायरस मरीज हैं उनकी जरूरत के हिसाब से प्रशासन उनको सामान या अन्य वस्तुएं मुहैया करवा सके।

12. प्लाज्मा थेरेपी

देश में सबसे पहले दिल्ली में ही प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल शुरू किए गए, जिसके नतीजे भी अच्छे रहे थे। प्लाज्मा थेरेपी से कई मरीजों की जान बचाई गई। दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी के और ट्रायल करने की अनुमति ली। उसके बाद लोगों को प्लाज्मा मिलने में आ रही दिक्कतें दूर करने के लिए दिल्ली सरकार ने देश का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू किया। अब लोगों को प्लाज्मा लेने में भी दिक्कत नहीं हो रही है।

13. कोरोना वायरस पीड़ित मृतकों का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार

पिछले 14 दिनों के दौरान मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि तुरंत शवों का अंतिम संस्कार किया जाए और किसी भी हालत में अस्पतालों में शव ना जमा हों।

14. ऑक्सीमीटर की सहायता से कम किया मौतों का आंकड़ा

भारी संख्या में ऑक्सीमीटर की खरीद की और होम आइसोलेशन में मौजूद हर मरीज के पास उसे पहुंचाया। इससे मरीज अपने शरीर में ऑक्सीजन नापते और कम होने पर सरकार को सूचित करते, जिसपर सरकारी टीम मरीज के घर जाकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराकर उसकी जान बचा लेती। इससे अब दिल्ली में रोज होने वाली मौतों का आंकड़ा आधे पर आ गया है। 

15 एनसीआर के अस्पतालों को एम्स से निर्देश मिलने की सुविधा

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को गृह मंत्री ने निर्देश दिया कि छोटे अस्पतालों को भी इंच की टेलीमेडिसिन और वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा से जोड़ा जाए ताकि उन्हें भी समय-समय पर कोरोना वायरस को लेकर आधुनिक इलाज की जानकारी मिलती रहे।

इन सभी रणनीतियों का फायदा दिल्ली में बेकाबू होते कोरोना पर साफ दिखाई दे रहा है। बीते हफ्ते भर में कोरोना संक्रमण तेजी से कम हुआ है। 

25 जून को दिल्ली का रिकवरी रेट पहली बार 60 फीसदी के पार गया था और ठीक दसवें दिन शनिवार को यह 70 के पार पहुंच गया। यानी दस दिन में रिकवरी रेट 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। दिल्ली में 5 जुलाई तक कुल 643504 टेस्ट हो चुके हैं और 99444 पॉजिटिव मामले सामने आए यानी ओवरऑल 15।45 फीसदी पॉजिटव केस हैं।

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