AajTak : Apr 09, 2020, 09:11 AM
कोरोना अलर्ट: दुनिया भर में कोरोना वायरस की महामारी फैल रही है तो इसके लिए इंसान खुद ही जिम्मेदार हैं। एक स्टडी में दावा किया गया है कि शिकार, खेती और बड़ी संख्या में लोगों के शहरों की तरफ पलायन की वजह से जैव-विविधता में बड़े पैमाने पर कमी आई है और लोगों का वन्य जीवों के साथ सीधा संपर्क बढ़ता गया। इन वजहों से ही Covid-19 जैसे वायरस का खतरा बढ़ा।
स्टडी में इस बात की संभावना जताई गई है कि कोरोना वायरस महामारी वन्य जीवों के साथ मनुष्यों के ज्यादा संपर्क बढ़ने की वजह से फैली है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि कौन से जानवर मनुष्यों में ज्यादा वायरस फैलाते हैं।कई सालों से 142 वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इन वायरसों का अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) की खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची से मिलान किया।
गाय, भेड़, कुत्ते और बकरियों जैसे पालतू जानवरों से मनुष्यों में सबसे अधिक वायरस जाते हैं। वो जंगली जानवर, जो मनुष्यों के वातावरण में अच्छे से ढल जाते हैं, वो भी लोगों में वायरस को फैलाने का काम करते हैं।
चूहे, गिलहरी, चमगादड़ और सभी स्तनधारी जीव अक्सर लोगों के बीच, घरों और खेतों के करीब रहते हैं। ये सब एकसाथ मिलकर करीब 70 फीसदी वायरस फैलाते हैं। सार्स, निपाह, मारबर्ग और इबोला जैसी बीमारियां अकेले चमगादड़ों से ही फैल गई थीं।लंदन की रॉयल सोसाइटी बी की पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार संक्रामक रोग फैलने का सबसे ज्यादा खतरा विलुप्त हो रहे उन जंगली जानवरों से है जिनकी आबादी शिकार, वन्य जीव व्यापार और कम होते जंगलों की वजह से काफी हद तक कम हो गई है।इस स्टडी में कहा गया है, 'जैव विविधता वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण की वजह से मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच नए संपर्क स्थापित हो रहे हैं जिसकी वजह से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। स्तनधारी जानवरों और चमगादड़ों की कुछ प्रजातियों से पशुजन्य वायरस फैलने की ज्यादा संभावना होती है।
स्टडी की प्रमुख लेखक और वन हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर क्रेउडर जॉनसन ने कहा, 'जानवरों से वायरस फैलने की सीधी वजह वन्य जीवों और उनके निवास स्थान से जुड़े हमारे काम हैं। अब परिणाम यह है कि वे अपने वायरस हम तक फैला रहे हैं। ये चीजें जानवरों के अस्तित्व को खतरे में डालने के साथ संक्रमण के भी खतरे को बढ़ा रही हैं।'
क्रेउडर जॉनसन ने कहा, 'ये चीजें दुर्भाग्यपूर्ण हैं और हम अपने लिए कई मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। हमें वास्तव में इस चीज को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है कि वन्य जीवों और मनुष्यों के बीच किस तरह से सही तालमेल बिठाया जा सके। जाहिर है कि हम इस तरह की महामारी नहीं चाहते हैं। हमें वन्य जीवों के साथ मिलजुलकर रहने के और तरीके खोजने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास वायरस की कोई कमी नहीं है।'इसके अलावा, दुनिया भर के 200 से अधिक वन्य जीव संगठनों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिखकर कई देशों पर वन्य जीवों के अरबों रुपये के व्यापार को लेकर कई तरह की सावधानी बरतने को कहा है। इसमें सभी जीवित वन्य जीव के बाजारों और पारंपरिक चिकित्सा में इनके इस्तेमाल पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की गई है।
इस पत्र के अनुसार, Covid-19 महामारी, चीन के वेट मार्केट से फैली है जहां हर तरह के पशुओं का मांस मिलता है। जानवरों और लोगों के बीच इतनी करीबी होने की वजह से यह मनुष्यों में फैल गया।
इंटरनेशनल वेलफेयर फॉर एनिमल वेलफेयर, जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन और पेटा जैसे समूहों का भी कहना है कि वैश्विक स्तर पर वन्य जीव बाजारों पर प्रतिबंध से कई तरह की बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है।इन संगठनों का कहना है कि इबोला, मेर्स, एचआईवी, ट्यूबरक्लोसिस, रेबीज और लेप्टोस्पायरोसिस जैसे पशुजन्य रोगों से हर साल 2 अरब से ज्यादा लोग बीमार पड़ते हैं और 20 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
स्टडी में इस बात की संभावना जताई गई है कि कोरोना वायरस महामारी वन्य जीवों के साथ मनुष्यों के ज्यादा संपर्क बढ़ने की वजह से फैली है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि कौन से जानवर मनुष्यों में ज्यादा वायरस फैलाते हैं।कई सालों से 142 वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इन वायरसों का अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) की खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची से मिलान किया।
गाय, भेड़, कुत्ते और बकरियों जैसे पालतू जानवरों से मनुष्यों में सबसे अधिक वायरस जाते हैं। वो जंगली जानवर, जो मनुष्यों के वातावरण में अच्छे से ढल जाते हैं, वो भी लोगों में वायरस को फैलाने का काम करते हैं।
चूहे, गिलहरी, चमगादड़ और सभी स्तनधारी जीव अक्सर लोगों के बीच, घरों और खेतों के करीब रहते हैं। ये सब एकसाथ मिलकर करीब 70 फीसदी वायरस फैलाते हैं। सार्स, निपाह, मारबर्ग और इबोला जैसी बीमारियां अकेले चमगादड़ों से ही फैल गई थीं।लंदन की रॉयल सोसाइटी बी की पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार संक्रामक रोग फैलने का सबसे ज्यादा खतरा विलुप्त हो रहे उन जंगली जानवरों से है जिनकी आबादी शिकार, वन्य जीव व्यापार और कम होते जंगलों की वजह से काफी हद तक कम हो गई है।इस स्टडी में कहा गया है, 'जैव विविधता वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण की वजह से मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच नए संपर्क स्थापित हो रहे हैं जिसकी वजह से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। स्तनधारी जानवरों और चमगादड़ों की कुछ प्रजातियों से पशुजन्य वायरस फैलने की ज्यादा संभावना होती है।
स्टडी की प्रमुख लेखक और वन हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर क्रेउडर जॉनसन ने कहा, 'जानवरों से वायरस फैलने की सीधी वजह वन्य जीवों और उनके निवास स्थान से जुड़े हमारे काम हैं। अब परिणाम यह है कि वे अपने वायरस हम तक फैला रहे हैं। ये चीजें जानवरों के अस्तित्व को खतरे में डालने के साथ संक्रमण के भी खतरे को बढ़ा रही हैं।'
क्रेउडर जॉनसन ने कहा, 'ये चीजें दुर्भाग्यपूर्ण हैं और हम अपने लिए कई मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। हमें वास्तव में इस चीज को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है कि वन्य जीवों और मनुष्यों के बीच किस तरह से सही तालमेल बिठाया जा सके। जाहिर है कि हम इस तरह की महामारी नहीं चाहते हैं। हमें वन्य जीवों के साथ मिलजुलकर रहने के और तरीके खोजने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास वायरस की कोई कमी नहीं है।'इसके अलावा, दुनिया भर के 200 से अधिक वन्य जीव संगठनों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिखकर कई देशों पर वन्य जीवों के अरबों रुपये के व्यापार को लेकर कई तरह की सावधानी बरतने को कहा है। इसमें सभी जीवित वन्य जीव के बाजारों और पारंपरिक चिकित्सा में इनके इस्तेमाल पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की गई है।
इस पत्र के अनुसार, Covid-19 महामारी, चीन के वेट मार्केट से फैली है जहां हर तरह के पशुओं का मांस मिलता है। जानवरों और लोगों के बीच इतनी करीबी होने की वजह से यह मनुष्यों में फैल गया।
इंटरनेशनल वेलफेयर फॉर एनिमल वेलफेयर, जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन और पेटा जैसे समूहों का भी कहना है कि वैश्विक स्तर पर वन्य जीव बाजारों पर प्रतिबंध से कई तरह की बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है।इन संगठनों का कहना है कि इबोला, मेर्स, एचआईवी, ट्यूबरक्लोसिस, रेबीज और लेप्टोस्पायरोसिस जैसे पशुजन्य रोगों से हर साल 2 अरब से ज्यादा लोग बीमार पड़ते हैं और 20 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।