AajTak : Sep 03, 2020, 08:44 PM
झारखंड | हौसले बुलंद हों, तो कोई भी चुनौती की छोटी हो जाती है। ऐसा ही बुलंद हौसलों की कहानी झारखंड से देखने को मिली। जहां धनंजय मांझी इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, धनंजय मांझी गोड्डा से 1176 किलोमीटर का सफर का तय करके ग्वालियर अपनी पत्नी सोनी को परीक्षा दिलाने पहुंचे हैं। पत्नी सोनी हेम्ब्रम डिलेड सेकंड इयर की परीक्षा दे रही हैं।जानकारी के मुताबिक, धनंजय अपनी 7 महीने की गर्भवती पत्नी को परिक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से ग्वालियर लेकर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि ट्रेन अभी नहीं चल रही है और न ही उनके पास कोई और साधन था। तो वहीं, उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण गाड़ी की सुविधा भी नहीं ले सकते थे। इसके चलते उन्होंने स्कूटी से ही गोड्डा से 1176 किलोमीटर का सफर का तय करके ग्वालियर जाने का फैसला किया। धनंजय का कहना है कि उनकी पत्नी नहीं चाहती थीं कि उनकी परीक्षा छूटे। वह डीलेड कर शिक्षक बनना चाहती हैं। धनंजय गुजरात की एक कंपनी में कुक का काम करते हैं। लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई। 3 महीने से धनंजय घर पर ही हैं। उनका कहना है कि जो बचे हुए पैसे थे वो अब खर्च हो चुके हैं।लॉकडाउन में नौकरी जाने से धनंजय के पास स्कूटी में पेट्रोल भराने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में धनंजय की पत्नी सोनी ने अपने गहने 10 हजार में गिरवी रख दिए। इसके बदले में उसे हर महीने 300 रुपये ब्याज देने होंगे। पति पत्नी के मुताबिक, ग्वालियर पहुंचने में कुल 3500 रुपये खर्च हो चुके हैं। यहां रहने के लिए 1500 रुपये के किराए पर कमरा लिया है।धनंजय और उनकी पत्नी को रास्ते में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धनंजय खुद 10वीं पास भी नहीं है लेकिन शिक्षा की कीमत को समझते हुए अपनी पत्नी के सपने को सच करने के लिए स्कूटी से ही ग्वालियर जाने का फैसला किया। धनंजय को ग्वालियर पहुंचने के लिए बिहार, यूपी और एमपी के विभिन्न पहाड़ी और मैदानी रास्तों से गुजरना पड़ा है।धनंजय का कहना है कि ग्वालियर जाने के लिए कुछ प्राइवेट बसों से बात की तो उन्होंने गोड्डा से ग्वालियर तक के लिए 15 हजार रुपये प्रति व्यक्ति तक का किराया मांगा। ऐसे में उनके पास दोनों का 30 हजार रुपये किराया देने तक की राशि नहीं थी। जिसके बाद उन्होंने ट्रेन टिकट भी बुक कराई लेकिन बाद में ट्रेन कैंसिल हो गई। तब जाकर पत्नी को लेकर धनंजय 28 अगस्त को गोड्डा से चले और 30 अगस्त को रुकते-रुकते ग्वालियर पहुंच गए।