AajTak : Apr 10, 2020, 10:04 AM
कोरोना अलर्ट: कुछ हफ्ते पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस को लेकर रैंडम सैंपलिंग के जरिए जांच शुरू की थी। मकसद था यह पता करना कि कहीं कोरोना वायरस कम्यूनिटी ट्रांसमिशन यानी सामुदायिक स्तर पर संक्रमित तो नहीं कर रहा है। सामान्य भाषा में कहें तो तीसरी स्टेज में तो नहीं पहुंचा। ICMR ने अब जो रिपोर्ट दी है उससे इस बात की ओर इशारा मिला है कि देश में मौजूद कुछ क्लस्टरों में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। फरवरी से लेकर 2 अप्रैल तक आईसीएमआर ने कोरोना वायरस से बीमार 5911 संदिग्ध मरीजों का सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (SARI) टेस्ट किया है। पता चला है कि इनमें से 104 यानी 1.8 फीसदी कोरोना प़ॉजिटिव हैं। ये टेस्ट देश के 15 राज्यों के 36 शहरों में किए गए।
जिन राज्यों में 1 फीसदी से ज्यादा SARI केस हैं, वो हैं- गुजरात 792 में से 13 केस यानी 1.6%, तमिलनाडु के 577 में से 5 केस यानी 0.9%, महाराष्ट्र में 553 में से 21 केस यानी 3.8% और केरल के 502 में से 1 केस यानी 0.2 फीसदी।ICMR की रिपोर्ट इस बात की सलाह देती है कि इन राज्यों और जिलों पर सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को ध्यान में रखते हुए इन जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखना चाहिए। इन 5911 मामलों में से सिर्फ 2 पॉजिटिव केस ऐसे हैं, जिनमें से एक कोरोना मरीज के सीधे संपर्क में था। दूसरा केस अंतरराष्ट्रीय यात्रा से जुड़ा हुआ है। जबकि, 59 पॉजिटिव केस ऐसे हैं जिनकी कोई इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी इन्हें देश के अंदर ही संक्रमण हुआ है। 14 मार्च को आई ICMR की पहली रिपोर्ट में कहा गया था कि उस समय जितने भी लोगों की कोरोना जांच की गई थी, उसमें कोई SARI टेस्ट में प़ॉजिटिव नहीं आया था। लेकिन जब ये प़ॉलिसी बनाई गई कि SARI टेस्ट करना जरूरी है। उसके बाद 15 मार्च से 21 मार्च के बीच जांचे गए 106 मरीजों में से 2 ही पॉजिटिव मिले थे। 22 मार्च से 28 मार्च के बीच जांचे गए 2877 मरीजों में से 48 मरीज SARI टेस्ट में पॉजिटिव मिले थे। ठीक इसी तरह, ICMR की दूसरी रिपोर्ट भी बताती है कि 83।3 फीसदी कोरोना पॉजिटिव मरीज 50 साल के ऊपर के हैं। 81.4 प्रतिशत मरीज 40 साल से ऊपर के हैं। ICMR की दूसरी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि मार्च 14 से पहले SARI टेस्ट वाले मरीजों की संख्या शून्य थी। जो 2 अप्रैल तक बढ़कर 2.6 फीसदी हो गई है।
जिन राज्यों में 1 फीसदी से ज्यादा SARI केस हैं, वो हैं- गुजरात 792 में से 13 केस यानी 1.6%, तमिलनाडु के 577 में से 5 केस यानी 0.9%, महाराष्ट्र में 553 में से 21 केस यानी 3.8% और केरल के 502 में से 1 केस यानी 0.2 फीसदी।ICMR की रिपोर्ट इस बात की सलाह देती है कि इन राज्यों और जिलों पर सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को ध्यान में रखते हुए इन जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखना चाहिए। इन 5911 मामलों में से सिर्फ 2 पॉजिटिव केस ऐसे हैं, जिनमें से एक कोरोना मरीज के सीधे संपर्क में था। दूसरा केस अंतरराष्ट्रीय यात्रा से जुड़ा हुआ है। जबकि, 59 पॉजिटिव केस ऐसे हैं जिनकी कोई इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी इन्हें देश के अंदर ही संक्रमण हुआ है। 14 मार्च को आई ICMR की पहली रिपोर्ट में कहा गया था कि उस समय जितने भी लोगों की कोरोना जांच की गई थी, उसमें कोई SARI टेस्ट में प़ॉजिटिव नहीं आया था। लेकिन जब ये प़ॉलिसी बनाई गई कि SARI टेस्ट करना जरूरी है। उसके बाद 15 मार्च से 21 मार्च के बीच जांचे गए 106 मरीजों में से 2 ही पॉजिटिव मिले थे। 22 मार्च से 28 मार्च के बीच जांचे गए 2877 मरीजों में से 48 मरीज SARI टेस्ट में पॉजिटिव मिले थे। ठीक इसी तरह, ICMR की दूसरी रिपोर्ट भी बताती है कि 83।3 फीसदी कोरोना पॉजिटिव मरीज 50 साल के ऊपर के हैं। 81.4 प्रतिशत मरीज 40 साल से ऊपर के हैं। ICMR की दूसरी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि मार्च 14 से पहले SARI टेस्ट वाले मरीजों की संख्या शून्य थी। जो 2 अप्रैल तक बढ़कर 2.6 फीसदी हो गई है।