कोरोना वायरस / अमेरिका ने तगड़ा जुर्माना वसूलने की धमकी दी, तो चीन ने किया पलटवार

कोरोना संकट को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तगड़ा हर्जाना वसूलने की धमकी का बीजिंग ने करार जवाब दिया है। उसका कहना है कि अमेरिकी राजनेता बार-बार सच्चाई की अनदेखी करते रहे और अब सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अमेरिका का केवल एक ही उद्देश्य है

Zee News : Apr 29, 2020, 09:12 AM
बीजिंग: कोरोना संकट (Coronavirus) को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तगड़ा हर्जाना वसूलने की धमकी का बीजिंग ने करार जवाब दिया है। उसका कहना है कि अमेरिकी राजनेता बार-बार सच्चाई की अनदेखी करते रहे और अब सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग (Geng Shuang) ने कहा कि अमेरिका का केवल एक ही उद्देश्य है, महामारी की रोकथाम में अपनी नाकामी के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा वक्त में अमेरिकी नेताओं को अपनी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और कोरोना के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास करने चाहिए।  

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि महामारी में चीन की भूमिका को लेकर जांच चल रही है और हम उससे नुकसान की भरपाई के लिए तगड़ा जुर्माना वसूल करेंगे। इससे पहले भी कई मौकों पर ट्रंप चीन को निशाना बना चुके हैं। उनका यह भी कहना है कि वायरस को वुहान में ही रोका जा सकता था, लेकिन चीन ने इसमें गंभीरता नहीं दिखाई और उसके चलते पूरी दुनिया को इस संकट का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के तीखे तेवर देखने के बाद कई अन्य देश भी चीन पर आक्रामक हो गए हैं। जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने महामारी को लेकर स्वतंत्र जांच बैठाई है। 

हालांकि, चौतरफा दबाव के बाद भी चीन यह मानने को तैयार नहीं है कि उसकी लापरवाही के चलते कोरोना संकट दुनिया भर में फैला। उल्टा वह बराबर से अमेरिका को जवाब दे रहा है। पिछले महीने उसने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा था कि संभव है कि कोरोना वायरस अमेरिकी सेना द्वारा फैलाया गया हो, जो उसे वुहान लेकर आई थी। हालांकि, उसकी यह कोशिश भी है कि किसी न किसी तरह अन्य देशों के तीखे तेवरों को नरम किया जा सके। इसी के तहत वह सबसे साथ मिलकर काम करने की अपील कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश कथनी और करनी में भेद न करते हुए ऐसे कार्यों के लिए चीन के साथ आएंगे, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आपसी विश्वास के अनुकूल हों’।