अमेरिका / तालिबान के अमेरिकियों पर हमला करने पर 'तबाह करने वाली ताकत से' उनकी रक्षा करेंगे: बाइडन

Zoom News : Aug 17, 2021, 03:40 PM
वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान नेतृत्व को बिना किसी संघर्ष के तालिबान (Taliban) को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया और साथ ही तालिबान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिकी कर्मियों पर हमला किया या देश में उनके अभियानों में बाधा पहुंचाई, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई करेगा।

बाइडन ने अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरों को "बेहद परेशान" करने वाली बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिक किसी ऐसे युद्ध में नहीं मर सकते जो अफगान बल अपने लिए लड़ना ही नहीं चाहते।

उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा, "मैं अपने फैसले के साथ पूरी तरह हूं। मैंने 20 सालों के बाद ये सीखा कि अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का कभी अच्छा समय नहीं आया, इसलिए हम अभी तक वहां थे। हम जोखिमों को लेकर स्पष्ट थे। हमने हर आकस्मिक स्थिति की योजना बनाई, लेकिन मैंने अमेरिकी लोगों से हमेशा वादा किया कि मैं आपसे बिल्कुल स्पष्ट बात करूंगा।"

उन्होंने कहा, "सच्चाई ये है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा जल्दी हुआ। तो, क्या हुआ? अफगानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए। अफगान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना। पिछले हफ्ते के घटनाक्रमों ने ये साबित कर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को खत्म करना सही फैसला है।"

तालिबान को जवाब दिया जाएगा

बाइडन ने साथ ही कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के ऑपरेशन में हस्तक्षेप करता है, तो अमेरिका पूरी ताकत के साथ जवाब देगा। उन्होंने कहा, "सेना की वापसी के साथ ही हमने तालिबान को साफ कर दिया है कि अगर उन्होंने हमारे कर्मियों पर हमला किया या हमारे अभियान में बाधा डाली तो त्वरित और जोरदार जवाब दिया जाएगा।"

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हम जरूरत पड़ने पर विध्वंसकारी बल के साथ अपने लोगों की रक्षा करेंगे। हमारे मौजूदा अभियान का मकसद अपने लोगों और सहयोगियों को सुरक्षित और जल्द से जल्द बाहर निकालना है।"

उन्होंने कहा, "हम 20 सालों के खून-खराबे के बाद अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करेंगे। हम अब जो घटनाएं देख रहे हैं, वे दुखद रूप से ये साबित करती हैं कि कोई भी सेना स्थिर, एकजुट और सुरक्षित अफगानिस्तान नहीं बना सकती, जैसा कि इतिहास रहा है, ये साम्राज्यों का कब्रिस्तान है।"

बाइडन ने कहा, "हमने एक हजार अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए। हमने अफगानिस्तानी सेना के करीब 3,00,000 सैनिकों को ट्रेन किया। उन्हें साजो-सामान दिए। उनकी सेना हमारे कई NATO सहयोगियों की सेनाओं से कहीं अधिक बड़ी है। हमने उन्हें वेतन दिए, वायु सेना की देखरेख की, जो तालिबान के पास नहीं है। तालिबान के पास वायु सेना नहीं है। हमनें उन्हें अपना भविष्य तय करने का हर मौका दिया। हम उन्हें उस भविष्य के लिए लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं दे सकते।"

उन्होंने कहा, "अफगान सेना में कई बहादुर और सक्षम सैनिक हैं, लेकिन अगर अफगानिस्तान अब तालिबान का कोई प्रतिरोध करने में असमर्थ है, तो एक साल, एक और साल, पांच और साल या 20 और साल तक अमेरिका के वहां होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"

उन्होंने कहा, "जब अफगानिस्तान की खुद की सशस्त्र सेना लड़ना नहीं चाहती, तो अमेरिका की और सेना को भेजना गलत है। अफगानिस्तान के राजनीतिक नेता अपने लोगों की भलाई के लिए एक साथ आगे नहीं आ पाए।"

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